Chomu News: जब किसी दफ्तर में कुर्सी एक हो और बैठने वाले दो अधिकारी हो.तो ऐसे में क्या होगा? कुर्सी पर बैठेगा एक ही. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि चौमूं नगरपालिका में रहा किस्सा अधिशासी अधिकारी की कुर्सी का.
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Chomu: जब किसी दफ्तर में कुर्सी एक हो और बैठने वाले दो अधिकारी हो.तो ऐसे में क्या होगा? कुर्सी पर बैठेगा एक ही. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि चौमूं नगरपालिका में रहा किस्सा अधिशासी अधिकारी की कुर्सी का. हालांकि अब इस पूरे एपिसोट पर विराम तो लग गया. लेकिन कांग्रेस का आंतरिक कलह जो का त्यों बना हुआ है.EO की कुर्सी से पूर्व विधायक और चेयरमैन के साख जुड़ी हुई थी.साख तो बच गई लेकिन अपनो साथ नहीं मिल पा रहा.आइए दिखाते है आपको किस्सा कुर्सी का.
राजधानी जयपुर की चौमूं नगर पालिका में पिछले 2 साल से कांग्रेस का बोर्ड है. कांग्रेस का बोर्ड बनने के बाद पूर्व विधायक भगवान सहाय सैनी ने अपने पुत्र विष्णु सैनी को चेयरमैन बना दिया. तब से कांग्रेस दो खेमों में बट गई. करीब एक दर्जन पार्षद पुत्र विष्णु सैनी को चेयरमैन बना देने से नाराज हो गए. पार्षदों की यह नाराजगी आज तक लगातार जारी है. कांग्रेस में आपसी गुटबाजी और नाराजगी के चलते ही दो साल में 1 दर्जन से ज्यादा अधिशासी अधिकारी बदले जा चुके हैं. लेकिन एक अधिशासी अधिकारी देवेंद्र जिंदल ने पिता और पुत्र के नाक में दम कर दिया.
पिता और पुत्र ने अपने राजनैतिक रसूख से EO देवेंद्र जिंदल का ट्रांसफर, 2 बार एपीओ और अंत मे निलंबन तक करवा दिया. लेकिन हर बार देवेंद्र जिंदल भी कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर तबादला आदेश पर स्टे लेकर वापस आ जाते. जिंदल 9 माह के कार्यकाल में 4 बार स्टे लेकर अधिशासी अधिकारी के पद पर बने रहे. इस बार उन्हें 14 फरवरी 2023 को निलंबन करने के आदेश डीएलबी ने जारी कर हैड क्वाटर भरतपुर कर दिया. लेकिन जिंदल में भरतपुर जॉइन नही क्या.और फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ट्रिब्यूनल कोर्ट ने देवेंद्र जिंदल को राहत देते हुए 29 मार्च को निलंबन आदेश पर स्टे कर दिया.
जिंदल इस स्टे आदेश को लेकर शुक्रवार को नगरपालिका चौमूं में फिर से ज्वाइन करने के लिए पहुंच गए. लेकिन यहां EO की कुर्सी पर पहले ही डीएलबी ने आदेश जारी कर कर निर्धारक जितेंद्र मीणा को बिठा दिया था. जितेंद्र मीणा ने भी कुर्सी नहीं छोड़ी और कहा जब तक डीएलबी का आदेश नहीं आएगा तब तक मैं कुर्सी नहीं छोडूंगा. इधर जितेंद्र मीणा ने पुलिस भी बुला ली. ऐतिहासिक तौर पर पुलिस जाब्ता भी मौके पर मौजूद रहा. इधर दूसरे कमरे में बैठकर देवेंद्र जिंदल ने जॉइनिंग की फॉर्मेलिटी पूरी करके ईमेल के जरिए डीएलबी को सूचना भिजवा दी. इधर कर्मचारियों के सामने भी धर्म संकट हो गया कि हमारा अधिशासी अधिकारी कौन है.चर्चा इस बात की रही जितेंद्र मीणा ने कर्मचारियों को पहले ही पाबंद कर दिया था.
कोई भी कर्मचारी देवेंद्र जिंदल के पास नहीं जाएगा. ऐसे में एक संविदा कर्मी देवेंद्र जिंदल के बुलाने पर उनके कक्ष में चला गया. तो जितेंद्र मीणा ने संविदा कर्मी को फटकार लगाई. दो शेरों की लड़ाई में एक खरगोश शहीद हो गया. EO जितेंद्र मीणा का कही और जोर चला नही तो संविदा कर्मी की सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी कर घर भेज दिया. यह ड्रामा काफी देर तक चलता रहा. बाद में देवेंद्र जिंदल उठकर एसडीएम ऑफिस चले गए जहां एसडीएम भी दफ्तर में नहीं मिले. इधर करीब 1:00 बजे डीएलबी ने जिंदल को रेट के फैसले के अनुपालना में थानागाजी नगरपालिका में EO लगाने के आदेश जारी कर दिए. तब जाकर EO कुर्सी की रस्साकशी तो समाप्त हो गई. लेकिन कांग्रेस के पार्षदों और चेयरमैन के बीच चल रही अदावत कम नहीं हुई.
इधर, दूसरा विवाद नगरपालिका में अभी तक भी लगातार जारी है .दरअसल जितेंद्र मीणा को डीएलबी ने आदेश निकाल कर चौमूं नगर पालिका में लगा है.जो कर निर्धारक है.
जबकि कर निर्धारक को नियमानुसार अधिशासी अधिकारी नहीं लगाया जा सकता. इस मामले को लेकर विधायक रामलाल शर्मा ने विधानसभा में भी का मामला उठाया था.तो वही इस मसले को लेकर कांग्रेस के पार्षद प्रतिनिधि शेलेंद्र चौधरी ने हाईकोर्ट में कर निर्धारक के बावजूद जितेंद्र मीणा को EO पद पर ज्वाइन कराने के खिलाफ अपील की गई है. कोर्ट ने DLB से 15 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है. अब DLB का स्पष्टीकरण आने के बाद फैसला होगा क्या जितेंद्र मीणा की EO के पद पर नियुक्ति सही है या गलत.
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