कोरोना में अपने माता—पिता या फिर केवल पिता को खो चुके बच्चों के लिए सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना को लागू किया है.
Trending Photos
Jhunjhunu : कोरोना में अपने माता—पिता या फिर केवल पिता को खो चुके बच्चों के लिए सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना को लागू किया है. जिसको धरातल पर उतारने के लिए प्रशासनिक अमला लग गया है, लेकिन इसमें बाजी मारी है झुंझुनूं ने. झुंझुनूं कलेक्टर यूडी खान (Jhunjhunu collector) की पूर्व तैयारियों के बलबूते पर योजना का सर्कुलर जारी होने के एक सप्ताह के अंदर अंदर अब प्रभावित बच्चों को सहायता मिलना शुरू हो जाएगी. झुंझुनूं (Jhunjhunu News) में कोरोना में अपने माता—पिता या फिर केवल पिता को खो चुके बच्चों का सर्वे पूरा हो गया है. जिनके आंसू पोंछने के लिए जितनी संजीदगी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिखा रहे है. वहीं तत्परता झुंझुनूं कलेक्टर यूडी खान ने भी दिखाई है.
यह भी पढ़ें : 2 दिन की राहत के बाद फिर से सताने लगी गर्मी, अब 1 जुलाई को पलटी मारेगा मौसम
थैंक यू सीएम अंकल... थैंक यू कलेक्टर अंकल.... ये उन बच्चों की दुआएं है. जो कोरोना के कहर में टूट चुके है. जिनके आंसू पोंछने के साथ—साथ उनके पैरों पर खड़े होने तक का जिम्मा गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने लिया है. 25 जून को, यानि कि पांच दिन पहले ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना का सर्कुलर जारी कर कोरोना में प्रभावित बच्चों के आंसू पोंछने के लिए सहायता पहुंचाने का रोड मैप जारी किया था. इन पांच दिनों में भी दो दिन अवकाश के निकाल दिए जाए तो तीन दिन में ही झुंझुनूं में इस बच्चों को सहायता पहुंचाने के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. संभवतया एक या दो दिनों में इन बच्चों तक सरकार की सहायता पहुंच जाएगी.
झुंझुनूं कलेक्टर यूडी खान ने बताया कि प्रभावित बच्चों को लेकर उनकी पूर्व तैयारियां काम आई और अब किए गए सर्वे जो बच्चे सामने आए है. उनका वेरिफिकेशन किया जा रहा है. झुंझुनूं में ऐसे 10 बच्चे सामने आए है. जिन्होंने कोरोना में अपने माता—पिता, दोनों को खो दिया है. जिन्हें इसी माह यानि कि दो दिनों में ही एक—एक लाख रूपए की सहायता देने के अलावा अन्य सुविधाएं शुरू करवा दी जाएगी. इसके अलावा 185 बच्चे ऐसे है. जिन्होंने अपने पिता को कोरोना में खो दिया है. ऐसे बच्चों और उनकी माताओं को भी सहायता देने का काम आने वाले एक सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दे दिए गए है.
कलेक्टर यूडी खान ने बताया कि मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना के तहत राज्य सरकार अनाथ प्रत्येक बालक एवं बालिका को तत्काल आवश्यकता के लिए एक लाख रूपए एकमुश्त अनुदान देगी. वहीं उनकी 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक प्रति माह प्रत्येक बालक एवं बालिका को 2500 रूपए अनुदान देगी. इसके अतिरिक्त प्रत्येक बालक एवं बालिका के 18 वर्ष पूर्ण करने पर 5 लाख रूपए की एकमुश्त सहायता दी जाएगी. इसके अतिरिक्त कक्षा 12 तक राजकीय आवासीय विद्यालय एवं छात्रावास या विद्यालय में निःशुल्क शिक्षा दी जाएगी. काॅलेज में अध्ययन करने वाली छात्राओं को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में प्राथमिकता से प्रवेश दिया जाएगा.
वहीं, काॅलेज में अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए आवासीय सुविधाओं के लिए अंबेडकर डीबीटी वाउचर योजना का लाभ दिया जाएगा. इनकी पात्रता के लिए कोई अन्य शर्ते यथा जाति, आय इत्यादि लागू नहीं होगी. इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता दिए जाने में भी इन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. मुख्यमंत्री कोरोना विधवा सहायता के तहत विधवा महिला को एक लाख रूपए तत्काल अनुदान दिया जाएगा और पेंशन पात्रता धारित करने की अवधि में आजीवन 1500 रूपए प्रति माह पेंशन प्रदान की जाएगी. मुख्यमंत्री कोरोना पालनहार सहायता के तहत विधवा महिला के बालक एवं बालिका को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक प्रति माह एक हजार रूपए प्रति बालक एवं बालिका को दिए जाएंगे. इसके अतिरिक्त 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक विद्यालय पोशाक, पाठ्य पुस्तकें आदि के लिए दो हजार रूपए प्रति बालक एवं बालिका को एकमुश्त वार्षिक अनुदान दिया जाएगा. योजना का भुगतान बैंक खाते के माध्यम से ही किया जाएगा.
झुंझुनूं कलेक्टर यूडी खान ने बताया कि इस सहायता को समय पर पहुंचाने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. जो ना केवल मेडिकल संबंधी वेरिफिकेशन करेगी, बल्कि वेरिफिकेशन के बाद तुरंत सहायता पहुंचाने के लिए भी अधिकृत होगी. उन्होंने बताया कि झुंझुनूं में कोरोना प्रभावितों के सर्वे के अलावा पिछले सवा साल से ऐसे बच्चों को भी सूचीबद्ध कर लिया गया है. जिन्होंने अपने माता—पिता या फिर केवल पिता को कोरोना की बजाय अन्य बीमारी और हादसों के कारण खोया है. इनकी भी एक अच्छी खासी संख्या सामने आई है.
पूरे जिले में ऐसे करीब 995 बच्चे सामने आए है. जिनको पालनहार सहित अन्य योजनाओं को जोड़ने के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया है. यह काम भी सरकारी सिस्टम में फंस ना जाए. इसके लिए 15 दिन का समय भी अधिकारियों को दिया गया है. इन 15 दिनों में 195 कोरोना प्रभावित बच्चों के अलावा 995 अन्य प्रभावित बच्चों अथवा विधवाओं तक पहुंचाया जाएगा. जो झुंझुनूं के लिए बच्चों व विधवाओं के आंसू पोंछने के नजरिए से बड़ी उपलब्ध होगी.
अकसर सरकारी योजनाओं को लेकर यही धारणा होती है कि योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंचती और पहुंचती है तब तक बहुत देरी हो जाती है. लेकिन कोरोना काल में कोई भी योजना हो या फिर आदेश... उसमें कहीं पर भी कोई लेट लतीफी ना होना. सरकार की सकारात्मक सोच को दर्शाता है. यही कारण है कि जिस योजना को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने अमलीजामा पहनाकर 25 जून को जारी किया. उसके एक सप्ताह के भीतर तो इस योजना का फायदा लाभार्थी तक पहुंच जाएगा. झुंझुनूं ने जो राह प्रदेश को इस दिशा में दिखाई है. वो निसंदेह पूरे प्रदेश के बच्चों के लिए समय पर और सही लाभ देने में मील का पत्थर साबित होगी.
रिपोर्ट : संदीप केडिया
यह भी पढ़ें : NFSA का लाभ लेने के लिए आवेदनों की जल्द जांच कर पात्र परिवारों को मिले योजना का फायदा: अशोक गहलोत