Holika Dahan Kab hai : होलिका दहन पर इस बार देर रात तक इंतजार नहीं करना होगा. होली कल और अगले दिन मंगलवार सात मार्च को धुलंडी यानी रंग खेलने का पर्व होगा. होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित समय में करना श्रेष्ठ माना गया है.
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Holika Dahan Kab hai : समय के साथ जीवन और उसके रंग बदलते रहते हैं. नहीं बदलती तो होली के रंगों की वो रूमानियत, उमंग और खूबसूरत अहसास. जो जीवन के खालिसपन को बाहर लाता है. जयपुराइट्स भी इसी दिन का ब्रेसब्री से इंतजार करते हैं. पिंकसिटी वैसे तो गुलाबी है लेकिन होली के दिन इस पर भी अलग अलग रंग चढते हुए नजर आते हैं. 6 मार्च को होली और 7 मार्च को रंगों की होली यानि की धुलंडी जिसमें लोग रंगों में ऐसे सराबोर होंगे कि अमीरी, गरीबी का भी भेद मिट जाएगा. होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है. रंग वाली होली से एक दिन पहले होली जलाई जाती है. जिसे होलिका दहन कहते हैं. होलिका दहन के साथ ही बुराइयों को भी अग्नि में जलाकर खत्म कर दिया जाता हैं.
होलिका दहन पर इस बार देर रात तक इंतजार नहीं करना होगा. होली कल और अगले दिन मंगलवार सात मार्च को धुलंडी यानी रंग खेलने का पर्व होगा. होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित समय में करना श्रेष्ठ माना गया है. लेकिन इस बार भद्रा अर्द्ध रात्रि के बाद यानी निशीथ काल से आगे चली जाती है तो ज्योतिष शास्त्र में भद्रा में ही होलिका दहन करने की अनुमति दी गई है. पिछले साल भी होलिका दहन भद्रा में ही हुआ था. उमंग और उत्साह का पर्व होली का उल्लास छोटीकाशी में देखते ही बन रहा है. छह मार्च को होली और सात मार्च को धुलंडी पर ग्रहों का योग संयोग भी खास होगा. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक मघा नक्षत्र, सुकर्मा व रवियोग में चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में होलिका दहन होगा. होली पर त्रिग्रही योग कुंभ राशि में शनि, सूर्य, बुध का संयोग 30 साल बाद बनेगा.
वहीं गुरु 12 साल बाद स्वराशि मीन और शुक्र भी इस राशि में विराजमान रहेंगे. इसका असर सभी राशि के जातकों पर होगा. कुंभ राशि में सूर्य और बुध की युति बुधादित्य राजयोग होने से बुधादित्य राजयोग बनेगा. प्रजाहित के कार्यों में शासकों के द्वारा प्राथमिकता प्रदान की जाएगी. जनहित के कई कार्य सिद्धिदायक साबित होंगे. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक सिटीपैलेस में शाम 6.30 बजे के आसपास होली मंगलेगी. इसके बाद परकोटे में इस अग्नि से विभिन्न जगहों पर होलिका दहन होगा. ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित करना शास्त्रोक्त बताया है. सोमवार शाम 4:18 बजे पूर्णिमा शुरू होकर मंगलवार को शाम 6:10 बजे तक रहेगी. प्रदोष काल में पूर्णिमा में सोमवार को होली रहेगी.
इस दिन भद्रा सायंकाल 4:18 से अंतराल 5:14 बजे तक रहेगी. शास्त्रानुसार भ्रदा मध्यरात्रि में होने के बाद भद्रा काल में ही होलिका दहन का पर्व संपन्न होगा. शाम 6.26 से 6.38 के बीच प्रदोष युक्त गोधुलि बेला में 12 मिनट का होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ समय रहेगा. होलिका दहन से पहले होली में अनाज डाला जाता है. होली के समय खेतों में नया अनाज पक जाता है. पुराने समय में फसल पकने की खुशी में ही होली की रात आग जलाकर उत्सव मनाया जाता है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक होली की रात होलिका के पास और किसी मंदिर में दीपक जलाएं. होली दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को होलिका की तीन या सात परिक्रमा करनी चाहिए...होलिका में कर्पूर भी डालना चाहिए. इससे होली जलते समय कर्पूर का धुआं वातावरण की पवित्रता बढ़ता है.
रंगों से हमारा करीबी रिश्ता है। रंग हमें उत्साहित करते हैं, खुश करते हैं, हमारे मन-मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। रंगों से हमारा जीवन भी फूलों की तरह खिल उठता है. होली पर रंगों से पुते चेहरे जब हम देखते हैं तो हम भी उन्हीं रंगों में भीगने के लिए मन आतुर हो जाता है. रंग हमें हंसी, खुशी, उत्साह, उमंग देते हैं, हमें जीना सिखाते हैं. हमें इन रंगों से जीना सीखना चाहिए. होली का त्योहार आते ही लोगों को रंगों का ख्याल आने लगता है. यह त्योहार रंगों के लिए ही जाना जाता है. लोग एक दूसरे को रंगों से सराबोर करने के लिए आतुर रहते हैं. धर्म के साथ ज्योतिष में भी रंगों का प्रभाव पड़ता है.
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक रंग,विविधता और मान्यताएं भारतीय संस्कृति के पर्याय है. भारतीय संस्कृति और उसके आकर्षण के कारण विदेशों से लोग यहां आते हैं...देश की परंपरा, संस्कृति और त्योहार लोगों को एक दूसरे के नजदीक लाते हैं और उन्हीं त्योहारों में से एक है रंगों का महोत्सव होली. होली का त्योहार बुराई की अच्छाई पर जीत और बसंत, फसल आने की खुशी में मनाया जाता है. रंगों के जरिए लोग अपनी इसी खुशी को जाहिर करते हैं. होली के दिन जगह-जगह रंग उड़ता दिखाई देता है. इस दिन परिवारजनों और दोस्तों को रंग गुलाल लगाए जाने की रिवाज है. इस दिन को रंगों का त्योहार इसलिए कहा जाता है...होली आई रे… होली के दिन पूरा देश नीले, पीले, हरे और गुलाबी रंग में रंगा हुआ नजर आता है. हवा में रंगों के साथ एक ही प्यार और खुशी का संदेश उड़ता हुआ दिखाई देता है. इसलिए होली पर लोगों के अपनी राशि के लिए सूट होने वाले रंग का उपयोग करना चाहिए
होली खुशियां बटोरने और बांटने का त्योहार है. रंगों का त्योहार है. रंग हमारे जीवन को परिभाषित करते हैं. सुख-दुःख के रंग हैं. हंसी-खुशी के रंग है. शांति और समृद्धि के भी अपने-अपने रंग हैं. लाल रंग प्रेम का संकेत है, गुलाबी खूबसूरती का, पीला खुशी का और केसरिया समृद्धि का. शांति और भाईचारे का रंग सफेद है, तो विरोध का रंग काला. होली में गालों पर लगाया जाने वाला गुलाल महज कोई खेल या परंपरा नहीं है. ये रंग जीवन जीने के सूत्र बताते हैं. कुछ बातें तो हम रंग देखकर समझ जाते हैं, कुछ वो हैं जिन्हें समझना पड़ता है.