Rajasthan में भाजपा के लिए कैसा रहा साल 2021, पार्टी की एकजुटता के लिए कब क्या हुआ? यहां जानिए
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Rajasthan में भाजपा के लिए कैसा रहा साल 2021, पार्टी की एकजुटता के लिए कब क्या हुआ? यहां जानिए

भाजपा (BJP) की राजनीतिक सरगर्मियों के नजरिए से साल 2021 का लेखा-जोखा देखा जाए, तो बीते साल में राजस्थान बीजेपी को दो राष्ट्रीय नेताओं का जयपुर में सानिध्य मिला. दोनों ही नेताओं ने कार्यकर्ताओं को संगठन और जीत का मंत्र भी दिया.

राजस्थान बीजेपी को दो राष्ट्रीय नेताओं का जयपुर में सानिध्य मिला

Jaipur: भाजपा (BJP) की राजनीतिक सरगर्मियों के नजरिए से साल 2021 का लेखा-जोखा देखा जाए, तो बीते साल में राजस्थान बीजेपी को दो राष्ट्रीय नेताओं का जयपुर में सानिध्य मिला. दोनों ही नेताओं ने कार्यकर्ताओं को संगठन और जीत का मंत्र भी दिया. शुरुआत पहली तिमाही में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के दौरे से हुई तो इसका समापन साल के आखिरी महीने में केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी की रणनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह (Amit Shah) के दौरे से हुआ.

बीजेपी नेताओं में साल 2021 में कई जगह खींचतान दिखी और इस खींचतान को पाटने की कोशिश केंद्रीय नेता करते हुए दिखाई दिए. साल की शुरुआत में 2 मार्च को बिरला ऑडिटोरियम में प्रदेश कार्यसमिति का आयोजन हुआ, तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बुलाया गया. एयरपोर्ट से बिरला ऑडिटोरियम तक का रोड शो हुआ. स्वागत किया गया जिसे सतीश पूनिया (Satish Punia) के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया. 

कार्यसमिति को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा ने पार्टी को एकजुटता की नसीहत दी तो साथ ही साल 2023 के विधानसभा चुनाव पर निगाह रखते हुए काम करने का लक्ष्य भी दिया. बिरला ऑडिटोरियम में वसुंधरा राजे (vassundhra Raje), सतीश पूनिया, गजेंद्र सिंह शेखावत (gajendra Singh Shekhawat), ओम माथुर (Om Mathur) गुलाबचंद कटारिया (Gulab Chand kataria), राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore), अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram meghwal) और अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) समेत सभी प्रमुख नेताओं के एक साथ हाथ मिलाकर खड़े करके एकजुटता का संदेश भी राजस्थान बीजेपी के कार्यकर्ताओं को दिया.

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नड्डा के इस दौरे पर कार्यसमिति के बाद लंच के दौरान की एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर काफी चर्चित दिखाई दी. जिसमें नड्डा और वसुंधरा राजे समेत अन्य नेता भोजन कर रहे थे, तो सतीश पूनिया परोसगारी थे.

फोटो को लेकर चर्चा इस बात की? रही कि आखिर पड़ोसगारी रसमलाई की हो रही थी या फिर रायते की?
साथ ही यह भी कि अगर रायते की परोसगारी हो रही थी तो रायता समेटने की कवायद थी या फैलाने की? कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इस नजरिए से भी देखा कि थाली भरी हुई थी, उसके बावजूद परोसगारी की मनुहार हो रही थी. 

सोशल मीडिया पर इस तस्वीर के चटकारों के बाद कुछ ही दिन में बीजेपी के नेता जेपी नड्डा की एकजुटता की नसीहत को भुलाते हुए दिखे. मार्च के दूसरे सप्ताह में वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर भरतपुर में कार्यक्रम हुआ. इसमें कई नेता प्रदेश संगठन की नजरों से छिपते-छिपाते वहां पहुंचे. इसके बाद पूरे साल बीजेपी में अलग-अलग खेमों से तरह-तरह की बातें और खबरें सामने आती रहीं. 

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साल का आखिर आते-आते प्रदेश बीजेपी को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे का कार्यक्रम मिल गया. अमित शाह 5 दिसंबर को जयपुर आए. कार्यसमिति की बैठक को संबोधित भी किया और उन्होंने भी कार्यकर्ताओं से एकजुटता की बात कही. कार्यसमिति के बाद अमित शाह ने जनप्रतिनिधि सम्मेलन को भी संबोधित किया. कई कार्यकर्ताओं को इस बात की उम्मीद थी कि अमित शाह यहां पार्टी में अगुवाई करने वाले चेहरे को लेकर कोई संकेत दे सकते हैं, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि बीजेपी राजस्थान में 2023 का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ेगी. 

हालांकि इस बीच अमित शाह के संबोधन और उनकी बॉडी लैंग्वेज को लेकर कई तरह के कयास कार्यकर्ता लगाते रहे थे. कार्यसमिति में स्वागत के दौरान वसुंधरा राजे से गुलदस्ता नहीं लेने की बात कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का मुद्दा बनी, तो जनप्रतिनिधि सम्मेलन में संबोधन के दौरान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का नाम भूल जाना और उन्हें सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष के पद नाम से संबोधित करना भी बीजेपी के जनप्रतिनिधियों में बातचीत का मुद्दा बना.

अपने दौरे पर अमित शाह ने भी साल 2023 के विधानसभा चुनाव पर ही कार्यकर्ताओं को फोकस रखने का संदेश दिया. उन्होंने राजस्थान की गहलोत सरकार को लेकर भी बात रखी. शाह ने कहा कि वे गहलोत की सरकार नहीं गिराएंगे, बल्कि 2023 में दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में लौटेंगे.
शाह का दौरा बीजेपी के कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने वाला रहा. इस दौरे से वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया गजेंद्र सिंह शेखावत और ओम माथुर से लेकर सभी नेता खुश दिखे और सभी ने अपने अपने नजरिए से इसके मायने भी निकाले. कहीं पर किसी नेता को यशस्वी कहकर संबोधित किया तो किसी नेता पर बड़ी जिम्मेदारियों का हवाला देकर अमित शाह ने उनका कद बढ़ाया. इसी तरह किसी को चुनाव जीतने वाली मशीन बताकर विशेष क्रेडिट दिया. कुल मिलाकर अमित शाह के इस दौरे से बीजेपी में यह बात लगभग साफ होती दिखाई दी, कि पार्टी 2023 के चुनाव में संभवतः किसी एक चेहरे को या तो आगे नहीं करेगी और अगर कोई एक चेहरा आगे किया तो वह सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का होगा. 

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