CAS चयन प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी करना Rajasthan University को पड़ सकता है भारी!
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CAS चयन प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी करना Rajasthan University को पड़ सकता है भारी!

यूनिवर्सिटी की इस लापरवाही का खामियाजा राविवि पर भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है. 

यूनिवर्सिटी की इस लापरवाही का खामियाजा राविवि पर भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है.

Jaipur: राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) में करियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के तहत संचालित की जा रही चयन प्रक्रिया में नियमों को नजर अंदाज करना अब राजस्थान विश्वविद्यालय पर भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है.

यूजीसी के नियमों की अनदेखी कर सीएएस चयन प्रक्रिया जारी रखने के चलते अब यूजीसी की ओर से राविवि प्रशासन से तुरंत प्रभाव से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

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राजस्थान विश्वविद्यालय में इस समय सीएएस के तहत चयन प्रक्रिया हो रही है और इसके लिए विश्वविद्यालय के 272 शिक्षकों ने आवेदन किया है और इन 272 शिक्षकों में से करीब 150 शिक्षक ऐसे हैं जो रिटायर हो चुके हैं लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद भी चयन प्रक्रिया में इन शिक्षकों को शामिल करने का मामला लगातार गर्माता जा रहा है. 

मामले को लेकर सिंडेकट सदस्य और चयन समिति में राज्य सरकार के प्रतिनिधि प्रोफेसर रामलखन मीणा ने पहले राज्य सरकार को शिकायत की, जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से यूनिवर्सिटी प्रशासन से 9 बिंदुओं पर जवाब मांगा था लेकिन जानकारी के अनुसार, राविवि प्रशासन द्वारा अभी तक जवाब पेश नहीं किया गया है.

क्या कहना है राज्य सरकार के प्रतिनिधि प्रोफेसर रामलखन मीणा का
राजस्थान यूनिवर्सिटी में सिंडिकेट तथा चयन समिति में राज्य सरकार के प्रतिनिधि प्रोफेसर रामलखन मीणा का कहना है कि "विश्वविद्यालय द्वारा चयन प्रक्रिया में यूजीसी के नियमों की पालना नहीं की जा रही है,,साथ ही सीएएस के तहत हो रही चयन प्रक्रिया में सेवानिवृत्त हो चुके करीब 150 से ज्यादा शिक्षकों को भी शामिल किया जा रहा है जबकि यूजीसी के नियमों के तहत चयन प्रक्रिया में सिर्फ वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों को ही शामिल किया जा सकता है. इसके साथ ही राज्य सरकार कि ओर से जिन बिंदुओं को लेकर राविवि प्रशासन से जवाब मांगा गया था उसका जवाब भी अभी तक राविवि प्रशासन ने नहीं दिया है."

करीब डेढ़ साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं
गौरतलब है कि साल 1996 में इन 272 शिक्षकों की नियुक्ति राजस्थान यूनिवर्सिटी में की गई थी लेकिन इस समय भी इन शिक्षकों की नियुक्ति पर सवाल खड़े हुए थे लेकिन साल 2008 में राज्य सरकार की ओर से एक अध्यादेश लाकर इन शिक्षकों को स्थाई किया गया, जिसके बाद यूजीसी की ओर से फरवरी 2020 में साल 2018 के नियमों के तहत देश की सभी यूनिवर्सिटीज को करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत 6 महीने में चयन प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए गए लेकिन करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी राविवि इस कार्रवाई को अंजाम नहीं दे सका. 

इसके साथ ही राविवि प्रशासन की ओर से दो बार 6-6 महीनों का समय बढ़वाने के बाद भी 17 अगस्त को तय अवधि निकल चुकी है लेकिन इसके बाद भी राविवि प्रशासन द्वारा सीएएस के तहत शिक्षकों के साक्षात्कार प्रक्रिया जारी है. राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाने के बाद प्रोफेसर राम लखन मीणा ने इसकी शिकायत यूजीसी में की तो यूजीसी की ओर से राविवि को पत्र लिखकर तुरंत स्पष्टीकरण मांगा है.

बहरहाल, यूनिवर्सिटी की इस लापरवाही का खामियाजा राविवि पर भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है. अगर शिकायत सही पाते हुए कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है तो ना सिर्फ नेक की ग्रेड वापस ली जा सकती है साथ ही यूनिवर्सिटी की मिलने वाली ग्रांट भी रोकी जा सकती है. ऐसे में आर्थिक  हालात के बूरे दौर से गुजर रही यूनिवर्सिटी के सामने अपनी खुद की लापरवाही के चलते ये बड़ी मुसीबत और खड़ी हो गई है.

 

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