Jaipur news: प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ अपनी-अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी संगठनों ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया हैं.संगठनों का मानना है कि चुनाव से पहले आखिरी साल में सरकार उनकी मांगों को पूरा कर सकती है.
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Jaipur: प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ अपनी-अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी संगठनों ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया हैं. संगठनों का मानना है कि चुनाव से पहले आखिरी साल में सरकार उनकी मांगों को पूरा कर सकती है. मंत्रालयिक कर्मचारियों की हडताल के बाद प्रदेशभर के राजस्वकर्मियों ने भी सामूहिक अवकाश के साथ आंदोलन का बिगुल बजा दिया हैं. लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी सामने आने लगे हैं. सरकारी दफ्तरों में काम करवाने वाले लोगों को बैरंग ही लौटना पड़ रहा हैं.
विधानसभा चुनावी सरगर्मियों के बीच कर्मचारी संगठनों का सामूहिक अवकाश और हडताल पर जाकर राज्य सरकार पर मांगें पूरी करवाने का दबाव बनाया जा रहा हैं. किसी भी सरकार के हाथ सरकारी कर्मचारी होते हैं, वे ही सरकार की हर योजना को आमजन तक पहुंचाकर इसका लाभ दिलाते हैं. लेकिन ये कर्मचारी चुनावों से ठीक पहले राज्य सरकार से अपनी मांगों को लेकर 'रूठे' हुए हैं.चुनावी साल में योजनाओं को आमजन को लाभ दिलाना है तो कर्मचारियों का साधना भी बहुत जरूरी हैं.मंत्रालयिक कर्मचारियों के बाद आज से राजस्व सेवा परिषद के बैनर तले प्रदेशभर के पटवारी, गिरदावर, नायब तहसीलदार और तहसीलदार दो दिन के सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं. यानि की जिनके कंधों पर राजस्व विभाग का पूरा दायित्व है उनके एक साथ सामूहिक अवकाश पर जाने से राजस्व से जुडा काम नही हुआ.
राजस्थान पटवार संघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र कविया और तहसीलदार राजस्व सेवा के अधिकारी हनुत सिंह ने बताया की प्रदेश में प्रमोशन और वेतन विसंगति की मांग को लेकर राजस्व विभाग की सेवाओं से जुड़े पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार और तहसीलदार दो दिन के सामूहिक अवकाश पर हैं.आज प्रदेश के 16 हजार 500 राजस्वकर्मियों ने तहसीलों पर धरना-प्रदर्शन किया. उन्होने बताया की इसके बाद भी सरकार समझौते को लागू नहीं करती है तो राजस्वकर्मी 24 अप्रैल से सभी कार्यों, व प्रशासन गांवों और शहरों के संग अभियान का बहिष्कार करेंगे.राजस्थान राजस्व सेवा परिषद 4 अक्टूबर 2021 को सरकार के साथ हुए समझौते को लागू करने की मांग कर रही है.इसे लेकर परिषद ने 15 दिन पहले अल्टीमेटम दिया था.मांगों को लेकर प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में 5 बैठकें हुई, लेकिन कोई मांग पूरी नहीं हुई.
उधर दूसरी तरफ राजस्थान मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के आहृवाहन पर मंत्रालयिक कर्मचारियों ने महापडाव डाल रखा हैं.प्रदेश व्यापी सामूहिक अवकाश के चलते जिला कलेक्टर सहित सभी उपखंडों के साथ राजस्व मंडल, वाणिज्य कर, पंजीयन मुद्रांक, रसद, आरटीओ. शिक्षा, पेन्शन ,आबकारी, कोष-लेखा, अकेक्षंण, आयोजना एंव सांख्यिकी आयुर्वेद, महिला बाल विकास, कृषि के साथ सरकार की महत्वपूर्ण योजना चिरंजीवी, दुर्घटना बीमा, RGHS जैसे काम पूरी तरह ठप्प हैं.
राजस्व सेवा परिषद की हैं ये हैं प्रमुख मांगें
- नायब तहसीलदार का पद पटवारी के लिए रिजर्व किया जाए.
- ग्राम सेवक, पटवारी का पे ग्रेड पटवारी से ज्यादा है. पटवारी पद को तकनीकी पद घोषित करते हुए ग्रेड-पे 2800 किया जाए.
- वरिष्ठ पटवारी का पद विलोपित किया जाए.
- पटवारी, नायब तहलीसदार, तहसीलदार आदि का कैडर रिव्यू किया जाए.
- पटवारी के कम से कम तीन प्रमोशन किए जाए.
मंत्रालयिक कर्मचारियों की हडताल से जानिए किस शाखा में आमजन से जुड़े कौन-कौन से काम प्रभावित
मोबाइल एप से स्टांप विक्रय करने के विरोध में तीसरे दिन भी प्रदेश के 20 हजार स्टांप वेंडर्स हडताल पर हैं.जिसके कारण आम जनता को स्टांप नहीं मिल रहे हैं..विभिन्न प्रकार के शपथ पत्र, रजिस्ट्रियां, इकरारनामे आदि अटक गए हैं..छात्रों को भी काफी परेशानी हो रही हैं. उन्हें कई तरह के शपथपत्र बनवाने की तत्काल जरूरत होती है. स्टांप वेंडर एसोसिएशन महासचिव महेश झालानी के मुताबिक स्टांप विक्रेताओं की मांगों पर सहमति नहीं बनती है तो हड़ताल जारी रहेगी. जिसका खामियाजा आमजनता तो उठाना पडेगा क्योंकि आम जनता को स्टाम्प नहीं मिलेंगे और रजिस्ट्रियां भी नहीं हो पाएंगी.जिसका असर राज्य सरकार को मिलने वाले राजस्व पर भी पड़ेगा.
सरकार को हर रोज प्रदेश में 18 से 20 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होगा. स्टाम्प वेंडर्स ने आज मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग के आईजी शरद मेहरा से भी मुलाकात की.लेकिन अभी तक हमारी मांगों के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है. झालानी ने बताया कि सरकार के निर्णय से 20 हजार स्टांप वेंडर्स पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है और ये सभी परिजन और बच्चों के भविष्य को लेकर भी संशय में है.स्टांप वेंडर्स का कहना हैं की स्टांप विक्रय की ऑनलाइन व्यवस्था समाप्त कर पुरानी ऑफ लाइन व्यवस्था लागू की जाए.स्टांप वेंडर के कम पढ़े लिखे होने के कारण मोबाइल ऐप से उनके लिए यह संभव नहीं है. क्योंकि यह एक जटिल प्रक्रिया है. इससे विक्रेताओं को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
बहरहाल, आपके दैनिक काम भी अटक चुके है.भटकने से अच्छा है पहले ही स्थिति का पता कर ले.किस किस विभाग का कौनसा काम हो सकता है.इसके बाद भी घर से बाहर निकलें, ताकि परेशानी नहीं हो. कलेक्टर से लेकर एडीएम तक हड़ताल के चलते कुछ नहीं कर पा रहे. छात्र परेशान हैं, ग्रामीण परेशान हैं. परेशान हैं. जन्म - मृत्यु प्रमाण पत्र, वृद्धावस्था, विकलांग, विधवा पेंशन और ऑनलाइन पेंशन से संबंधित कार्यउपखंडों में उप पंजीयन कार्यालय में पंजीयन काम ठप हैं.
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