जयपुर में एक ऐसी सोसायटी जहां लोगों हाथ में रहती है 'लाठी',जानिए क्या है वजह
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जयपुर में एक ऐसी सोसायटी जहां लोगों हाथ में रहती है 'लाठी',जानिए क्या है वजह

जयपुर में एक ऐसी सोसायटी ऐसी है जहां हर हाथ में  लाठी रहती है. इसके पीछे का कारण आवारा कुत्तों का आंतक हैं. लोग आवारा कुत्तों को लेकर शिकायत कर चुके हैं.

 

जयपुर में एक ऐसी सोसायटी जहां लोगों हाथ में रहती है 'लाठी',जानिए क्या है वजह

Jaipur: इंसानों के सबसे भरोसेमंद साथी कहे जाने वाले कुत्ते अब दहशत का पर्याय बनते जा रहे हैं. पिछले चार साल में 9 लाख 67 हजार 848 लोग आवारा कुत्तों के शिकार हो चुके हैं. यानि की हर माह 20 हजार और हर एक दिन में 670 से ज्यादा लोगों को कुत्ते काटने की घटना हो रही हैं. इनमें से बहुत कम लोगों को ही सरकारी उपचार मुहैया हो पाता है और बाकी लोग निजी अस्पतालों के चक्कर काटते हुए जेबें ढीली करते हैं.इनमें से बहुत से लोग दम भी तोड़ देते हैं.

जयपुर शहर की महंगी-हाईराइज सोसायटी प्रताप एन्क्लेव में रहने वाले 600 से 700 सहमे लोगों के हाथ में लाठी नजर आती हैं.ये लाठी खुद की सुरक्षा के लिए हैं. इस कॉलोनी के लोग कुत्तों के आतंक से सहमे हैं.लोग घरों से अकेले निकलने में डर रहे हैं और यदि वह निकलते भी हैं तो हाथ में लाठी डंडे में लेकर निकलते हैं.लोगों के दिल में कुत्तों का डर इस कदर घर कर गया है कि कोई जरूरी काम हो तभी पूरे सुरक्षा उपकरणों (डंडे या लाठी) के साथ घर से बाहर निकल रहे हैं.

आवारा कुत्तों की संख्या को लेकर शहरवासी चिंतित

स्कूल आने जाने वाले छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर लोग पूरी एहतियात बरत रहे हैं. कॉलोनी में पार्क में घूमने जाते हैं तो भी लाठी लेकर निकलते हैं. पता नहीं कब कुत्ता झपट्टा मार जाए. कॉलोनीवासियों का कहना है कि इस कॉलोनी में इंसानों से ज्यादा कुत्तों का राज रहता है. शहर में लगातार बढ़ रही आवारा कुत्तों की संख्या को लेकर शहरवासी चिंतित हैं. हमेशा कुत्तों का डर बना रहता है. पहले कुत्तों के बारे में जांच पड़ताल (कहीं बैठा या नहीं) करते हैं. उसके बाद ही बच्चों को बाहर लेकर निकलते हैं. ये कुत्ते अभी तक कई लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं.

हाल ही में एक बच्ची को भी इन कुत्तों का शिकार होना पड़ा. जिसके बाद परिजनों ने प्रतापनगर थाना में एफआईआर दर्ज करवाई. कॉलोनी में रहने वाली गोमा सागर ने अपनी बेटी के कुत्ते के अटैक के बाद प्रतापनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई हैं. उसमें जिक्र किया की एक महिला रितु फौजदार ने आवारा कुत्ते पाल रखे हैं और कॉलोनी में छोड रखे हैं .जिनको वह खाना खिलाती हैं. ये कुत्ते आए दिन किसी ना किसी इंसान पर अटैक कर देते हैं.12 मार्च को शाम 8 बजे उनकी बेटी दीपिका सागर घर के सामने गार्डन में घूम रहीं थी. जिसे रितु फौजदार और लाज जैन द्वारा पाले हुए आवारा कुत्तों ने बांये पैर में नीचे से ऊपर तक कई जगह से काट लिया. आस-पड़ोस के लोगों ने चिल्लाने की आवाज सुनकर उसको कुत्तों के चंगुल से छुड़वाया.

पहले की जा चुकी है नगर निगम में शिकायत

स्थानीय निवासियों को कहना है की सोसायटी में घर इसीलिए खरीदते हैं कि हम वहां पर सुरक्षित रह सकें लेकिन अगर इसी तरह से कुत्तों का हमला बढ़ता जाएगा तो हम कहां जाएंगे. कुत्तों को छोटे बच्चे आसान शिकार लगते हैं. सोसायटी में जानवर प्रेमियों ने इन कुत्तों को मांस खिलाना शुरू कर दिया है. जिसके बाद इन कुत्तों के मुंह में खून लग गया है और वह बच्चों को अपना शिकार बनाने लगे हैं इसलिए मन में डर बैठा हुआ है. कुत्तों के आतंक की शिकायत नगर निगम में पहले कई बार की जा चुकी हैं लेकिन शहर में लगातार बढ़ रही आवारा कुत्तों की संख्या को लेकर शहरवासी चिंतित हैं पर निगम नहीं.

जगतपुरा के प्रताप प्रताप एन्क्लेव के स्थानीय निवासियों का कहना है की कुत्तों का आंतक तथाकतिथ पशु प्रेमियों पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं.वर्तमान में आवारा कुत्ते एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. कुछ लोग पशु प्रेम के नाम पर आवारा कुत्तों को खाना आदि देकर उनके आतंक को बढ़ावा देते हैं. पशु प्रेमियों के लिए आवारा कुत्ता सही होता है लेकिन वही कुत्ता अन्य लोगों पर काटने के लिए प्रतिदिन झपटता है.

पशु प्रेमी पशु से प्रेम करे, लेकिन उन्हें ऐसे उपाय करने में भी प्रशासन की मदद करनी चाहिए. जिससे कि कुत्ते मानव जिंदगी के लिए खतरा ना बने. केंद्र सरकार को आवारा पशुओं को पकड़कर पशु बंदी गृह में रखने का कानून बनाना चाहिए ताकि जयपुर ही नहीं पूरे देश के लोगों को आवारा कुत्तों के आतंक से निजात मिल सके. स्थानीय निवासियों का कहना है की जिस पेड़ की बनी लाठी से सदियों तक शासन हुआ, डंडे से कानून पालन , गांव का मकान बना, गाड़ी बनी, चारपाई बनी, मचिया बनी उसी लाठी से आज हम कुत्तों से अपनी सुरक्षा करने को मजबूर हैं.

कुत्तों के आतंक से प्रताड़ित लोग यह चाहते हैं कि सोसाइटी से बाहर कुत्तों को किया जाए. जो पशु प्रेमी हैं वो बाहर से कहीं कुत्तों को खाना दें ताकि कुत्ते सोसायटी में नहीं आएं. उन कुत्तों को सोसायटी में आने से रोका जाए जिससे बच्चे सुरक्षित होकर खेल सकें और बुजुर्ग भी बाहर निकल सकें.

कॉलोनीवासियों ने आरोप लगाया कि एमएनआईटी की डिप्टी रजिस्ट्रार रितु फौजदार ने कुछ डॉग लवर का गिरोह बना रखा है. जो दूरस्थ स्थानों से आकर इस कॉलोनी में कुत्तों को मांस इत्यादि खिलाते हैं. इस वजह से एक कुत्ते हिंसक हो रखे हैं. रितु फौजदार बिना किसी अनुमति के प्रताप एनक्लेव में आकर आवारा कुत्तों को मांस इत्यादि का भोजन कराती हैं और कॉलोनी वासियों का कहना है कि उनको अगर फीड ही कराना है तो वह जहां रहती हैं वहां कुत्तों को फीड कराएं.

बहरहाल, नगर निगम के अफसर भी मानते हैं की कुत्तों की संख्या में इजाफा होने के साथ खूंखार होते जा रहे हैं लेकिन उनके हाथ नियम-कायदों में बंधे हुए हैं. इसके लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल चलाया जाता है लेकिन उसका असर भी ज्यादा नहीं दिखाई दे रहा है. अब लोगों ने इसका सीधा बचाव घरों से निकलना ही बंद कर दिया हैं. जरूरत होने पर ही लोग घरों से बाहर निकलते हैं.

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