राजस्थान PHED में जलदाय कर्मियों की हड़ताल फेल होने के बाद अब माफी का इमोशनल ड्रामा शुरू हो गया है. आंदोलन स्थगित करने के बाद संचालक भवनेश कुलदीप जलदाय कर्मियों से बार-बार माफी मांग रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि क्या ये आंदोलन निजी हितों को पूरा करने के लिए किया जा रहा था?
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Jaipur News: PHED में जलदाय कर्मियों की हड़ताल फेल होने के बाद अब माफी का इमोशनल ड्रामा शुरू हो गया है. आंदोलन स्थगित करने के बाद संचालक भवनेश कुलदीप जलदाय कर्मियों से बार-बार माफी मांग रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि क्या ये आंदोलन निजी हितों को पूरा करने के लिए किया जा रहा था? आखिर PHED में क्यों अपने ही उखड़ गए आंदोलन में?
लाइट, कैमरा, एक्शन और ड्रामा-
लाइट, कैमरा, एक्शन और ड्रामा...PHED में आंदोलन कर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले नेताओं ने सख्त नेताओं ने अब नरमी बरत ली है. आंदोलन असफल होने के बाद अब अंदरूनी विरोध के सुर तेज हुए तो माफी का ऑडियो सामने आया. आंदोलन के मुख्य किरदार भवनेश कुलदीप जब जलदाय कर्मियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे तो माफी का ऑडियो वायरल करते हुए जलदाय कर्मियों से 11 बार माफी मांगी. ऑडियो ने भवनेश ने कहा कि आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया, लगातार जलदाय कर्मियों के मैसेज आ रहे हैं. आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई, इसलिए लिए मैं हाथ जोडकर माफी मांगता हूं. PHED के आंदोलन में पहले ही अंदरूनी गुटबाजी हावी हो रही थी. ये आंदोलन विभाग के निजीकरण के विरोध में था. आंदोलनकारियों की विभाग के साथ वार्ता हुई, जिससे कई जलदाय कर्मी संतुष्ट नहीं हैं.
पहले भी विवादों से घिरा
ऐसा नहीं है कि जलदाय विभाग में पहली बार इस तरह का विवाद हुआ हो, बल्कि इससे पहले भी ट्रांसफर, पोस्टिंग, APO को लेकर विवाद गरमाया था. हालांकि अब जांच का पूरा दायरा अब ईडी तक पहुंच गया है.पिछली सरकार में जलदाय विभाग में हुई ट्रांसफर, पोस्टिंग के खेल की बारीकी से प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा है. जांच एजेंसियां नए पद बढ़ाने को लेकर कथित लेन-देन की इन्वेस्टिगेशन कर सकती है. उधर सीबीआई की एंट्री के बाद से तो संबंधितों की धडकने और तेज हो गई है. ईडी की पूछताछ में संजय बडाया ने खुलासा किया था कि जांच, पोस्टिंग, ट्रांसफर के नाम पर इंजीनियर्स को धमकाते थे.
80 से 90% तक जलदाय कर्मी कैसे चले गए अवकाश पर
PHED में सामूहिक अवकाश पर जाने से नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी. बताया जा रहा है कि करीब 80 से 90 प्रतिशत तक जलदाय कर्मी आंदोलन के दौरान बिना अनुमति के छुट्टी पर चले गए. बाद में जब विभाग को पता चला तो आदेश निकाला कि सक्षम अधिकारी के अनुमति के बिना अवकाश पर जाना नियमानुसार उचित नहीं है. ऐसे में यदि बिना अनुमति के अवकाश पर कार्रवाई हो सकती है हालांकि पेयजल महकमा इमरजेंसी सेवाओं में आता है. ऐसे में सवाल ये है कि पूरे प्रदेश में कैसे जलदाय कर्मी अवकाश पर चले गए.