इंसान की खींची गयी लकीरें जो उसे एक दूसरे से अलग-थलग कर रही हैं. कहीं रंग भेद, कहीं धर्म तो कहीं जाति और राजनीतिक हित साधने के लिए पैदा किया गया भेदभाव और आर्थिक ऊंच-नीच, यह सभी इंसान के जीवन के लिए घातक बनते जा रहे हैं.
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Jaipur: इंसान की खींची गयी लकीरें जो उसे एक दूसरे से अलग-थलग कर रही हैं. कहीं रंग भेद, कहीं धर्म तो कहीं जाति और राजनीतिक हित साधने के लिए पैदा किया गया भेदभाव व आर्थिक ऊंच-नीच, यह सभी इंसान के जीवन के लिए घातक बनते जा रहे हैं. इन सभी भावों को व्यक्त करने के उद्देश्य से जवाहर कला केंद्र में ''द ज़ू स्टोरी'' नाटक का मंचन किया गया. रमेश भाटी नामदेव के निर्देशन में हुए नाटक ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी. जेकेके की पाक्षिक नाट्य योजना के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया. द ज़ू स्टोरी अमरीकी लेखक एडवर्ड एल्बी द्वारा लिखा गया है.
इसके दो पात्रों जैरी और पीटर की कहानी को रंगकर्मियों ने मंच पर जाहिर किया. दर्शाया गया कि जैरी जो अति वाचाल प्रवृत्ति का है, स्वयं से हो रहे भेदभाव से बुरी तरह कुंठित है.चीड़िया घर में जानवरों से होने वाले विभेद का उदाहरण देते हुए जैरी इंसानी वर्ग भेद को जाहिर करता है.भेदभाव की जंजीरों में जकड़ा जैरी चाहता है कि इंसान आपस में भेदभाव नहीं करें.
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Reporter- Anup Sharma