सुप्रीम कोर्ट से पहले सौम्या गुर्जर ने अपने निलंबन के मामले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने सस्पेंशन ऑर्डर में दखल देने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था.
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Jaipur: तमाम अटकलों के बीच नगर निगम ग्रेटर में कार्यवाहक मेयर के तौर पर शील धाभाई का साठ दिन का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है. स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ग्रेटर निगम की कार्यवाहक महापौर शील धाभाई (Sheel Dhabhai) का कार्यकाल 60 दिन बढ़ने के आदेश जारी कर दिए. बताया जा रहा है कि मंत्री ने कार्यकाल बढ़ाने से पहले धाभाई की कार्यप्रणाली, उनके भाजपा और कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र से जुड़े की जानकारी ली.
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अनुभव, वरिष्ठता और नगर निगम ग्रेटर के बोर्ड में राजनीतिक दल का बहुमत और विधायकों की रायशुमारी के आधार पर शील धाभाई का 60 दिन का कार्यवाहक मेयर के तौर पर कार्यकाल बढ़ा दिया गया है. कार्यकाल 6 अगस्त को पूरा हो रहा था. नया आदेश नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की मंजूरी मिलने के बाद जारी किया गया.
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सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) को मेयर पद से निलंबित किए जाने के बाद सरकार ने शील धाबाई को 7 जून को कार्यवाहक मेयर बनाया था. राजस्थान नगरपालिका एक्ट 2009 की धारा 50 के प्रावधानों के तहतराज्य सरकार 60 दिन के लिए कार्यवाहक महापौर बना सकती है. इसके बाद अगर जरूरत पड़ती है तो उस कार्यकाल को और आगे बढ़ा सकती है. इसी नियम के तहत कार्यकाल आगे बढ़ाया गया है.
दरअसल राज्य सरकार ने ग्रेटर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ अभद्रता और मारपीट मामले में 6 जून को पूर्व महापौर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय चौहान, रामकिशोर प्रजापत और शंकर शर्मा को निलंबित किया था। 7 जून को शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाने के आदेश हुए.
क्या हैं कार्यकाल बढ़ाने के कारण
जानकारों के मुताबिक, कार्यवाहक मेयर के तौर पर कार्यकाल बढाने से पहले स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने शील धाभाई की कार्यप्रणाली, उनके भाजपा और कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र से जुड़े की जानकारी ली हालांकि ग्रेटर निगम में चार विधानसभा क्षेत्र में से तीन में भाजपा विधायक है. ऐसे में कांग्रेस विधायक के विधानसभा क्षेत्र को लेकर ज्यादा इश्यू नहीं रहा. सरकार के कार्यकाल बढ़ाने के पीछे एक कारण सुप्रीम कोर्ट में चल रहा मामला भी है. सरकार नहीं चाहती कि वह सुप्रीम कोर्ट में हार जाए.
सरकार ने इसलिए मेयर का कार्यकाल बढ़ाया ताकि सुप्रीम कोर्ट में ये दर्शा सके कि सरकार की मंशा जानबूझ कर मेयर को हटाने की नहीं थी. यही कारण है कि मेयर को हटाने के बाद भाजपा का ही मेयर दोबारा लगाया और उसका कार्यकाल बढ़ाया. सरकार के निलंबन के फैसले को सौम्या गुर्जर और उनकी पार्टी भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है. इस पर 24 अगस्त को सुनवाई प्रस्तावित है. सौम्या की तरफ से लगाई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार, स्वायत्त शासन निदेशालय और कार्यवाहक मेयर शील धाभाई को नोटिस जारी कर उनका पक्ष रखने के लिए कहा है.
सौम्या गुर्जर ने दी थी निलंबन को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट से पहले सौम्या गुर्जर ने अपने निलंबन के मामले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने सस्पेंशन ऑर्डर में दखल देने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था.
ढाई साल के कार्यकाल में 17 जनप्रतिनिधियों पर गिर चुकी गाज
बहरहाल, जयपुर नगर निगम में मेयर और चार पार्षदों को निलंबित करने का मामला नया नहीं है. मौजूदा गहलोत सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में अब तक 17 जनप्रतिनिधियों पर भी गाज गिर चुकी है. इनमें से 16 जनप्रतिनिधि भाजपा के हैं और एक कांग्रेस का. इनमें एक महापौर, नगर परिषदों के 5 सभापति व एक उप सभापति, नगरपालिकाओं के चार अध्यक्ष और चार पार्षद शामिल हैं हालांकि, अभी अलवर के मामले में सरकार जांच प्रक्रिया में ही अटकी है...भाजपा राज में (1 जनवरी 2015 से दिसंबर 2018 के बीच) 16 जनप्रतिनिधि निलंबित हुए थे, जिसमें 11 कांग्रेस के थे.