Jaipur: BJP नेता शीला धाभाई का 7 माह बाद पूरा हुआ सपना, बनीं कार्यवाहक मेयर
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Jaipur: BJP नेता शीला धाभाई का 7 माह बाद पूरा हुआ सपना, बनीं कार्यवाहक मेयर

Jaipur Samachar: शील धाभाई ने इसी कुर्सी पर बैठने के लिए भाजपा दफ्तर में आंसू बहाए थे और उनकी तबियत भी बिगड़ गई थी.

शीला धाभाई बनीं ग्रेटर नगर निगम की कार्यवाहक मेयर,

Jaipur: सात माह पहले शहरी सरकार की मुखिया और मेयर की कुर्सी नहीं मिलने का मलाल तो रहा. लेकिन आज वो सपना शील धाभाई का पूरा हो गया है. ग्रेटर नगर निगम महापौर सौम्या गुर्जर के साथ ही तीन भाजपा पार्षदों के निलंबन के बाद ही राज्य सरकार ने वार्ड नंबर 60 से भाजपा पार्षद शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर नियुक्त कर दिया है. शील धाभाई दूसरी बार नगर निगम में मेयर की कुर्सी पर काबिज होंगी. 

जयपुर नगर निगम ग्रेटर में सरकार ने गुर्जर कार्ड से मास्टर स्ट्रॉक खेलते हुए डॉक्टर सौम्या गुर्जर को निलंबित कर भाजपा की ही शील धाभाई को मेयर की संभला दी है. शील धाभाई ने इसी कुर्सी पर बैठने के लिए भाजपा दफ्तर में आंसू बहाए थे और उनकी तबियत भी बिगड़ गई थी. लेकिन सौम्या गुर्जर को हटने के बाद सरकार ने उनकी वरिष्ठता को देखते हुए सरकार ने शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया है.

धाभाई पहले ही जयपुर महापौर रह चुकी हैं और भाजपा के महापौर पद के प्रबल दावेदारों में थी. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश के बाद यह आदेश जारी किए हैं. नगर निगम ग्रेटर में भाजपा का बोर्ड है, ऐसे में किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए धाभाई को महापौर बनाया गया है.

हालांकि, पहले चर्चा थी कि किसी कांग्रेस पार्षद को कार्यवाहक महापौर का पद दिया जाएगा. डीएलबी ने इस संबंध में नगर निगम से पार्षदों की सूची मांगी थी. हालांकि, कार्यवाहक महापौर एक महीने के लिए ही नियुक्त होता है. इसके बाद बोर्ड को महापौर का चयन करना होगा. लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकार में कई माह तक कार्यवाहक सभापति, अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं. नियमों के तहत बोर्ड कार्यवाहक महापौर के ​खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकता है. 

अमूमन परम्परा रही है कि महापौर की अनुपस्थिति में उप महापौर को कार्यभार सौंपा जाता है. इस बार ओबीसी की महिला महापौर है और उप महापौर इस वर्ग से नहीं है. इस स्थिति में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 69क (1) iv के तहत शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया गया है.

शील धाभाई भाजपा के महापौर पद की प्रबल प्रत्याशी थीं. मगर सौम्या गुर्जर को महापौर प्रत्याशी बनाया था. इसे लेकर शील धाभाई ने विरोध भी किया था. उन्हें महापौर नहीं बनाया तो वह रो पड़ी थी. धाभाई समर्थकों ने इसका विरोध भी किया था. नगर निगम के 1999 में बने दूसरे बोर्ड में निर्मला वर्मा को महापौर बनाया गया था. उनके निधन के बाद 2001 में धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया गया. अगले चुनाव तक वही महापौर बनी रही.

 

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