राजस्थान सरकार में फर्जी डिग्री वाले नौकर! दलालों के जरिए से बिहार,आसाम और गुजरात में बांटी डिग्रियां
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राजस्थान सरकार में फर्जी डिग्री वाले नौकर! दलालों के जरिए से बिहार,आसाम और गुजरात में बांटी डिग्रियां

Rajasthan Crime: फर्जी डिग्री के सहारे असली नौकरी पाने के मामले का SOG  ने खुलासा किया है.दो यूनिवर्सिटी संचालक सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. मामले की जांच की जा रही है.

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Rajasthan Crime: राजस्थान सहित कई राज्यों में फर्जी डिग्री और खेल प्रमाण पत्र के सहारे असली सरकारी नौकरी पाने का खुलासा हुआ है. SOG ने फर्जी डिग्रियां जारी करने वाले दो विश्वविद्यालयों के संचालक सहित 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस गिरोह ने दलालों के माध्यम से राजस्थान, बिहार, आसाम, गुजरात सहित कई राज्यों में फर्जी डिग्रियां बांटी.

एसओजी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वीके सिंह को कुछ विश्व विद्यालयों से विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों की फर्जी डिग्री व खेल प्रमाण पत्र जारी करने की शिकायत मिली थी. इसके बाद एसओजी ने केस दर्ज कर किया. मामले की जांच के बाद एसओजी ने तीन अभियुक्त राजगढ़ चूरू की ओपीजेएस विश्वविद्यालय के मालिक जोगेंद्र सिंह, सनराइज विश्वविद्यालय, अलवर, एमके विश्वविद्यालय, पाटन गुजरात के मालिक जितेंद्र यादव और ओपीजेएस स्कूल की पूर्व रजिस्ट्रार सरिता कडवासरा को आज गिरफ्तार कर लिया. फर्जी डिग्रियों के इस केस में पहले भी एसओजी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.

एसओजी के DIG पारिस देशमुख ने बताया कि ओपीजेएस विश्वविद्यालय का संस्थापक जोगेन्द्र सिंह शाहबाद (बांरा) में वैदिक विश्वविद्यालय स्थापित करने जा रहा है. इसी प्रकार जितेन्द्र यादव लाखेरी, बूंदी में जीत विश्वविद्यालय स्थापित करने जा रहा है. जितेन्द्र यादव ओपीजेएस विश्वविद्यालय में 2015 से 2020 तक रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत रहा है. जितेन्द्र यादव का जीत रिसोर्ट रतनगढ़, चूरू में स्वयं का संचालित है. प्रकरण में गिरफ्तार सरिता कड़वासरा ओपीजेएस विश्वविद्यालय में वर्ष 2013 से 2015 तक रजिस्ट्रार एवं वर्ष 2015 से 2020 तक चेयरपर्सन के रूप में कार्यरत रही है.

एसओजी के डीआईजी पारिस देशमुख ने बताया कि  प्रकरण के अनुसंधान के दौरान जब भी ओपीजेएस से रिकॉर्ड मांगा गया तो दिसम्बर 2019 में आग से नष्ट होना बताते रहे हैं. जबकि शिक्षा निदेशालय बीकानेर, लोकसेवा आयोग, कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा जब भी दस्तावेज सत्यापन के लिए भेजा जाता है तो उनका सत्यापन किया जाता है.

सवाल यह उठ रहा है कि जोगेंद्र के खिलाफ पहले भी फर्जी डिग्री के मामले दर्ज हो चुके थे, लेकिन किसी ने ठीक ढंग से जांच नहीं की जिससे वो पकड़ में नहीं आया. अब मामले की जांच की गई तो परत दर परत खुलती गई तो ये खुलासा हुआ.

1. बैंक डेट में सैंकडों फर्जी डिग्रियां जारी की गई हैं.

2. मान्यता से पूर्व ही बीएड व बीपीएड की डिग्रियों जारी की गई.

3. बिना मान्यता कोर्स संचालित करना व डिग्री जारी करना जैसे एमएससी, एग्रीकल्चर.

4. फर्जी प्रवेश दिखाकर खेल प्रमाण पत्र जारी करना पाया गया है.

अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि विश्व विद्यालय भी पूरी तरह फर्जी है. इनमें मात्र 26 फैकल्टी हैं जबकि विभिन्न कोर्स संचालित किए जा रहे हैं. पीटीआई भर्ती 2022 में 100 सीट की मान्यता थी, पांच वर्ष का कोर्स होना चाहिए, लेकिन फिर भी सर्टिफिकेट जारी कर दिए . राज्य सरकार के बीपीएड के नियमों को दरकिनार किया गया. दलालों के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में अभ्यर्थियों को फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए.

एसओजी डीआईजी ने कहा कि कुछ अभ्यर्थी इन डिग्रियों के साथ राजस्थान सरकार में नौकरी कर रहे हैं.राजस्थान के साथ साथ बिहार, बंगाल, आसाम सहित दूसरे राज्यों में भी फर्जी डिग्री से नौकरी पाई है.

अलग-अलग कोर्स के हिसाब से डिग्री के दाम तय किए जाते थे. दलाल अपने हिसाब से डिग्रियां बेच रहे थे. अभी तक की जानकारी में सामने आया है कि नकद रााशि लेकर डिग्रियां दी जा रही थी. दलाल डिग्रियां दे देते थे, लेकिन जब विश्व विद्यालय से सत्यापन के लिए आती थी जब कन्फर्म कर लिया जाता था कि रकम आ गई है.

अब तक जांच में सामने आया है कि विवि को सौ सीट की क्षमता थी, राजस्थान में पीटीआई 2022 में 1300 से ज्यादा आवेदन आए. पांच साल 500  स्टूडेंट होते थे, लेकिन फॉर्म आए तो 1300 ने कहा कि ओपीजेसी से डिग्री ली है. 60 से ज्यादा ने बीपीएड नौकरी ली. राजस्थान के साथ बिहार, असम, बंगाल सहित कई राज्यों में फर्जी डिग्री बांटी गई. इनमें भी बिहार में सबसे ज्यादा संख्या में नौकरियां पाने जी जानकारी सामने आ रही है.

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