जानें राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की लड़ाई का गणित, केंद्र और राज्य को मोटी कमाई
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जानें राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की लड़ाई का गणित, केंद्र और राज्य को मोटी कमाई

पेट्रोल-डीजल महंगे नहीं हैं बल्कि वैट, सरचार्ज और सेस जुड़ने के कारण ढाई गुना से ज्यादा महंगे होकर आम आदमी तक पहुंच रहे हैं. तेल के दामों को लेकर जारी सियासत के बीच यह समझना जरूरी है कि कौन कितना टैक्स वसूल रहा है. इससे आमजन पर कितना बोझ पड़ रहा है और सरकार को कितना राजस्व मिल रहा है.

पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की लड़ाई का गणित

Jaipur: पेट्रोल-डीजल पर राज्य सरकार द्वारा वैट नहीं घटाने से हमारी जेब के साथ प्रदेश के चारों कोनों यानी पड़ोसी राज्यों के बॉर्डर पर स्थित पेट्रोल पंप भी चित्त हैं. इन पर पेट्रोल-डीजल की बिक्री गिर गई है, जबकि पड़ोसी राज्यों में दोगुनी हो गई है.

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जानिए कौन कितना टैक्स वसूल रहा है
पेट्रोल-डीजल महंगे नहीं हैं बल्कि वैट, सरचार्ज और सेस जुड़ने के कारण ढाई गुना से ज्यादा महंगे होकर आम आदमी तक पहुंच रहे हैं. तेल के दामों को लेकर जारी सियासत के बीच यह समझना जरूरी है कि कौन कितना टैक्स वसूल रहा है. इससे आमजन पर कितना बोझ पड़ रहा है और सरकार को कितना राजस्व मिल रहा है.

राजस्थान में उदाहरण के तौर पर सरदारशहर इलाके में पेट्रोल-डीजल पर केन्द्र और राज्य के टैक्स का गणित समझा तो चौंकाने वाली बातें निकलकर सामने आई हैं. पेट्रोल से राज्य सरकार को केन्द्र से भी 1 रुपये 77 पैसे प्रति लीटर ज्यादा कमाई हो रही हैं. वहीं डीजल से प्रति लीटर केन्द्र सरकार को राज्य सरकार से 3 रुपये 66 पैसे अधिक मिल रहे हैं.

पेट्रोल-डीजल से केंद्र और राज्य को मोटी कमाई
पेट्रोल और डीजल से केन्द्र और राज्य दोनों को मोटी कमाई है. केन्द्र सरकार उत्पाद शुल्क व कृषि विकास सेस के नाम से हर एक लीटर डीजल पर 21 रुपए 80 पैसे और पेट्रोल पर 27 रुपए 90 पैसे लेती है. वहीं राज्य सरकार वैट और सडकों के विकास के नाम से एक लीटर डीजल पर 18 रुपए 14 पैसे और पेट्रोल पर 29 रुपए 67 पैसे लेती है. 

पड़ताल में सामने आया कि आम आदमी सरचार्ज व सेस दे रहा है, लेकिन यह राशि जहां खर्च होनी है वहां पहुंच ही नहीं रही. इससे सेस-सरचार्ज का विकास में उपयोग नहीं हो रहा. नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक सरचार्ज व सेस के संबंधित फंड में ट्रांसफर नहीं होने और मनमाने उपयोग पर लगातार सवाल उठा रहे हैं.

पेट्रोल की कीमत-118.03 रुपये प्रतिलीटर
केन्द्र सरकार के द्वारा एक्साईज ड्यूटी- 27.90/- रुपये
राज्य सरकार के द्वारा वैट ( 31.04% )-27.04 /- रुपये

डीलर कमीशन पर वैट-1.13/- रुपये
रोडसैस-1.50/- रुपये

(इस प्रकार राज्य सरकार केन्द्र सरकार से 1.77/- रुपये ज्यादा लेती है)

डीजल की कीमत-100.92 रुपये प्रतिलीटर
केन्द्र सरकार के द्वारा एक्साईज ड्यूटी 21.80 /- रुपये

राज्य सरकार के द्वारा वैट (19.30% )-15.96/- रुपये
डीलर कमीशन पर वैट-0.43/- रुपये

रोडसैस--1.75/- रुपये
(इस प्रकार केन्द्र सरकार राज्य सरकार से 3.66/- रुपये ज्यादा लेती है)

वैट का गणित- किस राज्य में कितना वैट

राज्य का नाम पेट्रोल डीजल
तेलंगाना 35.20% 27%
महाराष्ट्र 26% 10.12 प्रतिलीटर एडिशनल टैक्स 24% के साथ 3 रुपए लीटर एडिशनल टैक्स
उड़ीसा 28% 24%
आंध्र प्रदेश 31% 4 रुपए लीटर अतिरिक्ट वैट 1 रुपए रोड सेस 22.25% 4 रुपए लीटर अतिरिक्ट वैट 1 रुपए रोड सेस
छत्तीसगढ़ 24% 2 रुपए प्रतिलीटर वैट 23% 1 रुपए प्रतिलीटर वैट
राजस्थान 31.04% 1.50 रुपए प्रतिलीटर रोड सेस 19.30% 1.75 रुपए प्रतिलीटर रोड सेस

वैट ज्यादा होने से राजस्थान में ब्रिकी पर पड़ा असर

वर्ष   पेट्रोल डीजल ब्रिकी किलोलीटर में कितना असर ब्रिकी पर
2018-19  2178910  5685400
2019-20 2329490  5478440 वर्ष 2018-19 की तुलना में 2,06,960 किलोलीटर डीजल की ब्रिकी घटी (3.65% की कमी)
2020-21 2179820 4534890 वर्ष 2019-20 की तुलना में 9,43,550 किलोलीटर डीजल की ब्रिकी घटी (17.04% की कमी)
2021-22 2279940 4535650 वर्ष 2020-21 की तुलना में 760 किलोलीटर की डीजल की बढोतरी हुई

  
राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों की माने तो राजस्थान एक ऐसा राज्य हैं, जहां डीलर कमीशन से भी वैट वसूला जाता हैं. राज्य सरकार तो डीलर कमीशन पर भी वित्त विधेयक के माध्यम से वैट वसूलती हैं. यानि कमीशन से भी सरकार कमाई करके अपना खजाना भरना चाहती हैं. डीजल पर रोड सेस 1.75 रुपए प्रतिलीटर वसूला जाता है. 

डीजल का उपयोग सबसे ज्यादा काश्तकार और औद्योगिक क्षेत्र में होता है. काश्तकार सडक पर नहीं चलते हुए भी रोड सेस देने को मजबूर हैं. राजस्थान में पेट्रोल पर डीलर को 3 रुपए 40 पैसे प्रतिलीटर के हिसाब से कमीशन दिया जाता है. इसमें से भी राज्य सरकार 1 रुपए 13 पैसे प्रतिलीटर का वैट वसूल लेती है. इसी प्रकार डीजल के लिए 2.27 रुपए डीलर कमीशन में से 0.43 पैसे प्रतिलीटर के हिसाब से वैट वसूला जाता है. राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स वेट स्टेयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भाटी ने बताया की पीएम मोदी ने राज्य सरकारों से वैट करने की नसीहत दी है.

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बहरहाल, राजस्थान में वैट ज्यादा होने से प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के पेट्रोल पंप सूने पड़े हैं क्योंकि उनके पड़ोस के अन्य राज्यों के पंप पर वही पेट्रोल और डीजल सस्ता मिल रहा है. यदि सरकार वैट कम करती है तो यहां बिक्री बढ़ने से सरकार का राजस्व कम नहीं, बल्कि बढ़ जाएगा. इसके अलावा बहुत से सीमावर्ती जिलों में चोरी छिपे बाहरी राज्यों से पेट्रोल और डीजल लाकर बेचा जा रहा है, जिस पर लगाम नहीं लगा पा रही है.

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