नवरात्रि के हर दिन श्रद्धा, भक्ति और आस्था की लहरें भक्ति रस के समंदर में उमड़ रही है. मंदिरों में पूजा की थाल लेकर श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं. घर से लेकर मंदिरों तक माता के जयकारों से गूंज सुनाई दे रह है. श्रद्धालु माता के दर्शन कर मंगल कामना कर रहे हैं.
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Jaipur: नवरात्रि के हर दिन श्रद्धा, भक्ति और आस्था की लहरें भक्ति रस के समंदर में उमड़ रही है. मंदिरों में पूजा की थाल लेकर श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं. घर से लेकर मंदिरों तक माता के जयकारों से गूंज सुनाई दे रह है. श्रद्धालु माता के दर्शन कर मंगल कामना कर रहे हैं. आज नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना का दिन है. शास्त्रों मे बताया गया कि कत नामक प्रसिद्ध महर्षि के कुल में ऋषि कात्यायन भगवती मां के सबसे बड़े उपासक थे.
उन्होंने मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए कई वर्षों तक घोर तपस्या की, जब मां भगवती उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर उनके समक्ष आई तो उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए मां भगवती को अपने घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने को कहा. मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली और उनके यहां एक पुत्री के रूप में जन्म लिया.
कात्यायन ऋषि के घर पर जन्म लेने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ गया. इस कारण देवी का यह स्वरूप कात्यायनी कहलाया. ज्योतिषियों का मानना है कि देवी कात्यायनी जी के पूजन से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है. जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं. इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है.
मां कात्यायनी की भक्ति से मनुष्य को अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां कात्यायनी का स्वरूप बहुत ही दिव्य और सिंह की सवारी और चार भुजाओं वाली हैं. इनके बाएं हाथ में कमल और तलवार और दाएं हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा में है. उपवास करने के बाद माता को शहद का भोग लगाया जाता है.
अविवाहित कन्याएं अगर गुरुवार को मां कात्यायनी देवी की पूजा करती हैं, तो उनके विवाह का योग जल्दी बनता है. जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही हो तो उनके लिए कात्यायनी देवी के मंत्र का जप अति लाभदायक होता है.
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