मां-बाप की ये गलतियां ही घर में मचा देती हैं कलह, आ जाती है मारपीट और खून-खराबे की नौबत
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मां-बाप की ये गलतियां ही घर में मचा देती हैं कलह, आ जाती है मारपीट और खून-खराबे की नौबत

माना जाता है कि मां-बाप के लिए गए सभी फैसले बच्चों के लिए हितकारी होते हैं लेकिन सच यह भी है कि अनजाने में मां-बाप की कुछ गलतियां ही उनके बच्चों की खुशियां और सुख-चैन छीन लेते हैं. इन्हें गलतियों का नाम दिया जाए या कुछ और लेकिन कई परिवारों में लड़ाई-झगड़ों और खून-खराबों के जिम्मेदार खुद मां-बाप भी होते हैं. यह एक कड़वी सच्चाई है, जिसको लोग अपने आसपास देखते भी हैं.

मां-बाप की ये गलतियां ही घर में मचा देती हैं कलह, आ जाती है मारपीट और खून-खराबे की नौबत

Jaipur: कहते हैं कि मां-बाप के अलावा शायद ही दुनिया में कोई ऐसा होता होगा, जो अपने बच्चों के भलाई चाहता हो. मां-बाप से ज्यादा न तो इस दुनिया में आपको कोई प्यार कर सकता है और न ही उनसे ज्यादा कोई आपकी तरक्की देखना चाहता है.

माना जाता है कि मां-बाप के लिए गए सभी फैसले बच्चों के लिए हितकारी होते हैं लेकिन सच यह भी है कि अनजाने में मां-बाप की कुछ गलतियां ही उनके बच्चों की खुशियां और सुख-चैन छीन लेते हैं. इन्हें गलतियों का नाम दिया जाए या कुछ और लेकिन कई परिवारों में लड़ाई-झगड़ों और खून-खराबों के जिम्मेदार खुद मां-बाप भी होते हैं. यह एक कड़वी सच्चाई है, जिसको लोग अपने आसपास देखते भी हैं हालांकि वह मां-बाप हैं तो सम्मान के चलते कोई कुछ कहने से डरता है.

तो चलिए आपको बताते हैं कि मां-बाप की वह कौन सी गलतियां हैं, जो घर-परिवार में कलह मचा देती हैं- 

एक बेटे/बेटी को सुनकर उसकी बातों को सही ठहराना और दूसरे को गलत मान लेना
अक्सर देखा जाता है कि मां-बाप उस बच्चे पर ज्यादा प्यार लुटाते हैं, जो उनकी बात मानता है या फिर थोड़ा हुनरबाज होता है. काबिल होने के चलते मां-बाप उस बेटे-बेटी पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं. ऐसे में अगर वह कोई गलती करता भी हो तो मां-बाप या तो उसे माफ कर देते हैं या फिर दूसरे वाले को ही खरी-खोटी सुनाना शुरू कर देते हैं. ऐसे में सगे भाई-बहनों में एक-दूसरे के खिलाफ हीन भावना पैदा होने लगती है और आगे चलकर खूब लड़ाइयां होती हैं.

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एक बहू को ज्यादा प्यार, दूसरी को तिरस्कार
भारतीय परिवारों में कई बार देखा जाता है कि छोटी बहू या बेटी को बड़ी बहू-बेटी से ज्यादा लाड़-प्यार मिलता है. इस सब बातों की गवाह बॉलीवुड की कई फिल्में भी बनी हैं. ज्यादातर परिवारों में एक बहू को ज्यादा मान-सम्मान मिलता है, उसे घर के सभी फैसलों में हिस्सेदारी और अहमियत दी जाती है लेकिन दूसरी को नहीं. ऐसे में एक के मन में कुंठा पैदा होने लगती है. अंदर-अंदर दोनों एक-दूसरे की दुश्मन बन बैठती हैं.

घर में शादीशुदा बेटी का जरूरत से ज्यादा दखल देना
आपने कई परिवारों में देखा होगा कि मां-बाप को उनकी बेटी बहुत ज्यादा प्यारी होती है. वह बेटी को आए दिन न केवल नया-नया उपहार देते हैं बल्कि उसकी शादी के बाद भी हर तीज-त्योहार पर घर से भर-भरकर सामान भेजते हैं. लड़की ससुराल से ज्यादा मायके में रहती है और अपने भाई-भाभी को हर बात में रोकती-टोकती है. घर में कोई भी फैसला हो, उस बेटी को जरूर शामिल करते हैं. आपको बता दें कि विवाहित बेटी का मायके के सभी कामों में जरूरत से ज्यादा दखल परिवार की कलह की वजह बनती है. मां-बाप को उन्हें रोकना चाहिए.

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समय रहते बंटवारा नहीं करना
बंटवारा ऐसा शब्द है, जो सुनने में भले ही सही न लगता हो लेकिन आज के समय की सबसे बड़ी कड़वी सच्चाई है. आज के समय में मां-बाप को समय रहते बच्चों में जमीन-जायदाद का बंटवारा कर देना चाहिए. ऐसा न करने से परिवार का एक बेटा उस संपत्ति का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करता है, वहीं, दूसरे को इसका फायदा नहीं मिलता है. बंटवारा न करने से मां-बाप उस बच्चे-बेटे को ज्यादा हक देते हैं, जो उनके इर्द-गिर्द घूमता है. वह कान भर-भरकर संपत्ति का इस्तेमाल करता रहता है. कई बार तो यह भी देखा जाता है कि अगर मां-बाप में से एक कोई नहीं रहा तो एक भाई सारी ही संपत्ति हड़प लेता है. ऐसे में परिवार में खून-खराबे की भी नौबत आ जाती है.

घर की हर बात दामाद से शेयर करना
भारतीय समाज में दामाद का एक अलग ही औहदा होता है. यहां दामाद को देव तुल्य मान-सम्मान दिया जाता है. कई बार मां-बाप अपने जमाई को घर की हर छोड़ी-बड़ी बात बताते हैं पर ऐसा नहीं करना चाहिए. सभी जानते हैं कि घर की बात घर के अंदर रहे तो बाहर सम्मान बना रहता है. वहीं, घर के सारे भेद पाने वाला दामाद ही कई बार ससुराल में आग लगाने का काम करता है.

एक बच्चे को प्यार, दूसरे को दुत्कार
सभी परिवारों में कोई न कोई बच्चा ऐसा होता है, जो ज्यादा शैतानी करता है. उसका दिमाग किसी न किसी खुराफात में लगा रहता है. वहीं, दूसरा बच्चा पढ़ाई में और अच्छे कामों में मन लगाता है. ऐसे में मां-बाप दोनों बच्चों में धीरे-धीरे फर्क करने लगते हैं. उनकी इस हरकत का असर बच्चे के दिमाग पर पड़ना शुरू हो जाता है. कई बार उस बच्चे को पता भी होता है कि वह गलत ही कर रहा है लेकिन वह यह भी जानता है कि कुछ भी हो, डांट तो उसे ही पड़नी है. ऐसे में वह जान-बूझकर गलती करता है.

Disclaimer: उपरोक्त सभी बिंदु समाज में मौजूद कई लोगों से बातचीत के आधार पर रखे गए हैं. इन्हें मानना न मानना आप पर निर्भर करता है.

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