PFI Banned : राजस्थान का वो चेहरा जो था PFI में बड़ा नाम, बैन के बाद अब आगे क्या ?
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PFI Banned : राजस्थान का वो चेहरा जो था PFI में बड़ा नाम, बैन के बाद अब आगे क्या ?

PFI Banned : ज्यादा वक्त नहीं हुआ जब कुछ दिनों पहले ही पीएफआई के नेताओं को देश के कई राज्यों से गिरफ्तार किया गया था. इन सभी का कहीं न कहीं आतंकी संगठनों से रिश्ता रहा है.

फाइल फोटो.

PFI Banned : नरेंद्र मोदी सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानूनके कड़े प्रावधानों के तहत ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. उसके साथ ही आठ अन्य संगठनों पर भी नकेल कसी गई है. ये सभी संगठन आतंकी गतिविधियों में शामिल बताये जा रहे है.

इधर बैन के बाद PFI की तरफ से आई पहली प्रतिक्रिया में बताया गया है कि हमने सभी को सूचित किया जाता है, कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को भंग कर दिया गया है. संगठन इस फैसले को स्वीकार करता है भारत सरकार ने PFI पर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया है.

PFI पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा है. कुछ दिन से लगातार जारी छापेमारी की कार्रवाई में पीएफआई के कई नेता और पदाधिकारी देश के कई राज्यों से गिरफ्तार किए गए हैं जिनका टेरर कनेक्शन भी सामने आया है.

मोहम्मद आसिफ (पीएफआई राजस्थान अध्यक्ष)
मोहम्मद आसिफ ग्रेजुएशन के दौरान ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (सीएफआई) से जुड़ गया था और  इसका राष्ट्रीय महासचिव बना. आसिफ को 2013-14 में पीएफआई की प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. विभिन्न जांच एजेंसी का कहना है कि आसिफ ने राज्य भर में संगठन को फैलाया था. आसिफ मिर्जा की केरल से हुई थी. आसिफ कोटा के सांगोद का रहने वाला बताया जाता है.

ओ.एम.ए. सलाम (पीएफआई अध्यक्ष)
केरल राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी सलाम को सस्पेंड कर दिया है. पीएफआई के साथ संबंधों के कारण सलाम के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है. सलाम के ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ (आरआईएफ) से भी कनेक्शन की खबर है.

अनीस अहमद (राष्ट्रीय महासचिव)
अहमद ने बेंगलुरू में पढ़ाई की. उसकी पीएफआई की साइबर गतिविधियों और मौजूदगी को बढ़ाने में अहम भूमिका रही है. वो एक ग्लोबर टेलीकॉम कंपनी में काम कर रहा था, जिसने उसे हाल में निलंबित कर दिया गया था. विभिन्न जांच एजेंसी ने उसे सोशल मीडिया, समाचार चैनलों पर वर्तमान मुद्दों को लेकर टिप्पणी करने, प्रतिक्रिया देने में बेहद एक्टिव पाया है. उसे केंद्र सरकार की नीतियों और शासन की मुखरता से आलोचना करते देखा गया.

पी. कोया (राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद सदस्य)
प्रतिबंधित संगठन सिमी के सक्रिय सदस्य कोया ने केरल के कोझिकोड विश्वविद्यालय में लेक्चरर के तौर पर काम किया. उससे पहले कोया ने 1986 से कतर में एक निजी कंपनी में तीन साल तक काम किया. विभिन्न जांच एजेंसी का कहना है कि कोया ने इस्लामिक यूथ सेंटर (आईवाईसी), कोझिकोड के निदेशक के रूप में काम किया, जो वास्तव में इस्लामी कट्टरवाद और मुस्लिम उग्रवाद को बढ़ावा देने वाली विचारधारा का प्रचार करता है.

ई.एम.अब्दुर रहिमन (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष)
रहिमन केरल के एर्णाकुलम जिले में स्थित को चीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त पुस्तकालयाध्यक्ष है. वो सिमी का अध्यक्ष रह चुका है. विभिन्न संघीय एजेंसी का कहना है कि वो पीएफआई का बहुत प्रभावशाली नेता और निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाने वाला है.

अफसार पाशा (राष्ट्रीय सचिव)
पाशा एक व्यवसायी है और वो 2006 में पीएफआई के गठन के बाद से उसका एक्टिव मेंबर है.

अब्दुल वाहित सैत (राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद का सदस्य)
सैत शिवाजीनगर बेंगलुरु के शिवाजीनगर में रहने वाले कच्छी मेमन समुदाय से आते हैं. वो कट्टरपंथी इस्लामी संगठन का संस्थापक सदस्य है और सॉफ्टवेयर से जुड़ी कंपनी चलाता है.

मोहम्मद शाकिब उर्फ शाकिफ (राष्ट्रीय सचिव)
शाकिब पीएफआई का संस्थापक सदस्य है. वो एक रियल एस्टेट व्यवसाय का मालिक है.

मिनारुल शेख, पीएफआई पश्चिम बंगाल अध्यक्ष
शेख ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री ले चुका है. वो कोचिंग कक्षाएं संचालित करता है और रिसर्च करता है.

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