Vultures Do funeral: हिंदू धर्म में जहां अतिंम संस्कार के वक्त पूरे मंत्रोचार के साथ मृतक के शरीर की अतिंम यात्रा और फिर दाह संस्कार किया जाता है. वहीं एक संप्रदाय ऐसा है जहां मृतक का अंति संस्कार गिद्ध करते हैं. ये संप्रदाय दोखमेनाशिनी पर यकीन करता है. जिसका मतलब है कि मृतक के शव को पक्षियों के हवाले कर दिया जाए.
पारसी लोग मृतक के शव को पक्षियों के लिए खाने की तरह रख देते हैं. ये परंपरा तीन हजार साल पुरानी बतायी जाती है. दोखमेनाशिनी परंपरा से होने वाले अंतिम संस्कार में गिद्ध मृतक के शव को नोंच नोंच कर खा जाते हैं.
पारसियों के कब्रिस्तान को दखमा या ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’कहा जाता है. ये एक गोलाकार और खोखली आकृति के इमारत है जो ऊंचाई पर बना होता है. पारसी लोग मृतक के शव को इसी इमारत छोड़ देते हैं.जिसे चील, गिद्ध, कौए और अन्य पक्षी आहार बना लेते हैं.
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भारत में पारसी समृद्ध समुदाय माना जाता है जो अहुरमज्दा भगवान को मानते है. लेकिन यहां मृतक का अंतिम संस्कार की प्रक्रिया सुनकर ही रुह कांप जाती है.
इस संप्रदाय के लोग मृतक के शव को एक ऊंचे बुर्ज (टावर ऑफ साइलेंस) पर रखकर आकाश को समर्पित कर देते हैं जहां पर उसे गिद्ध, और चील जैसे पक्षी खा लेते हैं.
इस संप्रदाय के लोग पृथ्वी, जल और अग्नि तत्व को पवित्र मानते हैं इसलिए ना तो शव को जलाते, ना दफनाते है और ना ही बहाते. क्योंकि इससे पृथ्वी, जल और अग्नि अपवित्र हो जाती है.
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