Vrindavan Shabnam became Meera: एक तरफ जहां लोग धर्म-जाति के नाम पर लड़े जा रहे हैं, लोग एक दूसरे की हत्या करने पर तक उतर आ रहे हैं. मजहब और धर्म के नाम पर एक दूसरे से नफरत करने लगे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के मथुरा से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे पढ़ने के बाद आपके दिल में एक अजीब सी खुशी महसूस होगी. जी हां, आप यह तो जानते ही हैं कि मथुरा हिंदुओं के आराध्य भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है. कहते हैं कि वहां की रज रज में भगवान कृष्ण बसते हैं. जो कोई भी एक बार उसकी पर जाता है, उनका होकर रह जाता है. कुछ इसी तरह से कृष्ण प्रेम में डूब चुकी हैं मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाली शबनम.
जी हां, शबनम अब 'मीरा' बन चुकी हैं. उन्हें कृष्ण से इस कदर प्रेम हो गया है कि अब वह हर रोज मंदिर जाती हैं, कृष्ण के भजन गाती हैं, इतना ही नहीं सनातन धर्म के मुताबिक, वह भगवान कृष्ण की हर रोज पूजा करती हैं. उनका कहना है कि वह रोज मंदिर जाती हैं. इसके साथ ही कान्हा के नाम की माला भी जपती हैं. शबनम को किस तरह से भगवान कान्हा से प्रेम हुआ और किस तरह से वह मीरा बनी? चलिए हम आपको उनके बारे में उनकी पूरी कहानी बताते हैं.
एक तरफ जहां पाकिस्तान की रहने वाली सीमा हैदर भारत के रहने वाले सचिन मीणा के प्यार में भारत आ गईं, वहीं, मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाली शबनम अपना धर्म छोड़कर कृष्ण के प्रेम में वृंदावन पहुंच चुकी हैं. वह शबनम से मीरा बनकर भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो चुकी हैं. उनका कहना है कि अब उनकी जिंदगी श्री कृष्ण के हवाले है. इसके चलते वह वृंदावन में सुर्खियों में आ चुकी है.
धार्मिक नगरी वृंदावन की गलियों में भगवान श्री कृष्ण की वाणी, भागवत कथा और भजन कीर्तन की किताबों को बेचकर शबनम से मीरा बनी यह महिला अपनी जिंदगी बिता रही है. जानकारी के अनुसार, शबनम मुरादाबाद की रहने वाली हैं. वह धर्म से मुस्लिम हैं लेकिन आजकल श्रीकृष्ण की लीलाओं से भक्तों को भक्तिमय बना रही हैं. जिस तरह से किसी जमाने में मथुरा की गलियों में गोपियां घूमती थी, वैसे ही आज वृंदावन की गलियों में कान्हा की भक्ति में लीन होकर शबनम बनी मीरा घूम रही हैं. वह कृष्ण के प्रेम में पूरी तरह से जान चुकी है और उन्हीं के गीत गाती नजर आती हैं.
बताया जा रहा है कि शबनम से मीरा बन चुकी यह मुस्लिम महिला पूरी तरह से सनातन धर्म के प्रति समर्पित हो चुकी है. इसके साथ ही शबनम सनातन धर्म का प्रचार भी कर रही हैं. उनका कहना है कि दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे अच्छा सनातन धर्म है. उनका कहना है कि यहां पर महिलाओं को बार-बार तलाक नहीं दिया जाता है. यहां एक बार जिस घर से महिला की डोली उठकर पति के घर जाती है, वहीं से उसकी अर्थी उठती है. शबनम यानी कि मीरा का कहना है कि इस्लाम में ऐसा नहीं है. उनका कहना है कि वैसे दोनों धर्म की अपनी-अपनी मान्यता है लेकिन मुझे सनातन धर्म अपनाकर बेहद खुशी है. मैं काफी खुश हूं और इस बात से मुझे खुशी है कि मुझे जिंदगी गुजारने के लिए वृंदावन धाम का वास मिल चुका है. मैं पूरी जिंदगी यही रहूंगी और कृष्ण भक्ति करती रहूंगी.
शबनम से मीरा बनी महिला का कहना है कि वह हर रोज श्री कृष्ण भगवान के भजन गाती हैं. उनकी सनातन धर्म के मुताबिक पूजा करती हैं. सुबह होते ही मंदिर जाती हैं बल्कि भगवान श्री कृष्ण के माला जपना शुरू कर देती हैं. मीरा बनी शबनम बताती हैं कि उनके परिवार में माता-पिता भाई-बहन सब हैं और सभी का अच्छा व्यापार है. उनकी शादी हुई थी लेकिन उनके पति ने तलाक दे दिया. साल 2006 से उन्होंने सनातन धर्म को अपनाया था. इसके बाद से उनके परिवार ने उनसे दूरी बना ली. उनके परिवार वालों का कहना है कि तुम अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जियो. हम तुमसे अलग रहेंगे.
शबनम आजकल आर्थिक तंगी से गुजर रही हैं. शबनम बनी मीरा का कहना है कि मैं तो अपने खर्च के पैसे भी नहीं जुटा पाती हूं लेकिन मुझे बंसी वाले पर भरोसा है. मुझे भगवान श्री कृष्ण पर विश्वास है और मुझे लगता है कि एक दिन वह मेरी जरूर सुनेगा और मैं उन्हीं के साथ अपने हर सुख दुख में रहूंगी और अपनी जिंदगी गुजार लूंगी.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित जिगर कॉलोनी की निवासी शबनम यानी कि मीरा के पिता का नाम इकराम हुसैन है. वह बर्तन और पीतल की मूर्तियां बनाने का काम करते थे. इसके चलते शबनम का शुरू से ही हिंदू धर्म के प्रति लगाव था. उन्हें हमेशा से ही हिंदू देवी देवता बेहद पसंद थे. जब उनका तलाक हो गया तो वह अपने हाथों में लड्डू गोपाल को लेकर वृंदावन धाम चली आई और यही रहने लगी.
शबनम बताती हैं कि जब उनके पति के साथ उनका तलाक हुआ तो उन्होंने प्राइवेट कंपनी में काम भी किया था. उन्होंने लेडी बाउंसर के तौर पर काम किया लेकिन कुछ समय बाद उनका मन नहीं लगा और उन्होंने अपने मन को श्री कृष्ण भक्ति में लगा लिया.
जानकारी के अनुसार, फिलहाल शबनम आधार कार्ड में अपना नाम बदलवाने की कोशिश कर रही हैं. वह चाहती हैं कि उनका नाम शबनम इकराम की जगह पर मीरा हो जाए. आपको बता दें कि शबनम उर्फी मीरा हर समय अपने लड्डू गोपाल को साथ रखती हैं और उन्हें नियमित रूप से भोग भी लगाती हैं. उनका कहना है कि यह तो मेरे लाला हैं. अब मैं छोटी सी नौकरी ढूंढ रही हूं, जिसमें मेरा और मेरे लाला का जीवन कट जाए.
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