PM Narendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन इस बार खास होगा. 17 सितंबर को पीएम मोदी का जन्मदिन है.मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर इन चीतों के पिंजरे खोलेंगे. चीतों को जयपुर आना एतिहासिक पल होगा.
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PM NarendraModi Birthday: 16 सितंबर को देश में चीते की 70 वर्ष बाद वापसी होगी. अफ्रीका से चीतों को स्पेशल प्लेन से रवाना किया जाएगा. मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर जाने से पहले उन्हें दक्षिणी अफ्रीका के नामीबिया से जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विशेष मालवाहक विमान से लाया जाएगा.
जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इन चीतों को लाया जाएगा
यहां से उन्हें एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से सीधे कूनो नेशनल पार्क के बीचो-बीच उतारा जाएगा. यहां पहले से चीतों के हेलीकॉप्टर के लिए हेलीपैड तैयार हैं. वन मंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री के आने से ठीक 4 घंटे पहले चीते कूनो पहुंचेंगे यानी सुबह 8 बजे कूनो नेशनल पार्क में चीतों की आमद हो जाएगी. जब प्रधानमंत्री मोदी उनके पिंजरों को खोलेंगे, तब तक वे कूनो की आबोहवा से थोड़े एडजस्ट भी हो जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर इन चीतों के पिंजरे खोलेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर इन चीतों के पिंजरे खोलेंगे.चीतों को छोड़े जाने का लाइव प्रसारण होगा. कूनों में दो नर और एक मादा चीतों को PM मोदी खुद छोड़ेंगे. पुली इलेक्ट्रॉनिक नहीं मैकेनिकल होगी. पहले रिमोट के जरिए चीता छोड़ने की तैयारी थी.
मध्यप्रदेश के कूनो पालनुर राष्ट्रीय उद्यान में 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में चीतों को बाड़े में छोड़ा जाएगा. जानकारी के अनुसार अफ्रीकी देश नामिबीया से विशेष मालवाहक विमान से कुल आठ चीते लाए जा रहे हैं. जिनमें 5 मादा, 3 नर चीते है. विशेष विमान उन्हें लेकर 16 सितम्बर को रवाना होगा. 17 सितंबर को सुबह वे जयपुर एयरपोर्ट पर पहुंच जाएंगे.
चीतों को यहां आना एतिहासिक पल होगा
यहां से उन्हें दो हेलीकॉप्टर से 40 से 42 मिनट में मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर पहुंचाया जाएगा. इन चीतों को करीब एक माह बाड़े में ही रखा जाएगा. जयपुर एयरपोर्ट के चीफ एयरपोर्ट ऑफिसर विष्णु मोहन झा का कहना है कि अभी चीतों के यहां लाए जाना लगभग तय है. उन्हें काग्रो के विशेष विमान से ही लाया जाएगा. इसको लेकर तैयारी चल रही है. चीतों को यहां आना एतिहासिक पल होगा.
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75 साल बाद चीतों की होगी वापसी
बता दें कि भारत में 75 साल बाद चीतों की वापसी हो रही है. सन् 1948 के बाद देश में चीते देखे जाने की कोई अधिकारिक सूचना नहीं है. 1952 में तो इसे शासकीय तौर पर विलुप्त अथवा भारत से प्रजाति का खत्म होना मान लिया गया था. देश में इससे पहले आखिरी बार चीते को 1948 में छत्तीसगढ़ की कोरिया रियासत में देखा गया था. यहां के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने बैकुंठपुर से लगे जंगल में तीन चीतों का शिकार किया था. यही देश के आखिरी चीते थे.