पूर्वी राजस्थान के पूर्वी जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर और टोंक में 16 नदियों को जोड़कर बनने वाली एक नहर से जिससे भविष्य में इन 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई का संकट खत्म हो जाएगा और बिना बोरिंग के ही सतही जल उपलब्ध होगा.
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Jaipur: राजस्थान में जिस ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट को लेकर सियासी संग्राम जारी है. परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग को लेकर आज पूर्वी राजस्थान के 13 ज़िलों में कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है. सबके ज़हन में सवाल यही है कि आख़िर वो प्रोजेक्ट क्या है, जिसे लेक़र इतना हंगामा मचा है?
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दरअसल, पूर्वी राजस्थान के पूर्वी जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर और टोंक में 16 नदियों को जोड़कर बनने वाली एक नहर से जिससे भविष्य में इन 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई का संकट खत्म हो जाएगा और बिना बोरिंग के ही सतही जल उपलब्ध होगा. इससे राजस्थान की 40% आबादी को पेयजल और 2 लाख हैक्टेयर जमीन की सिंचाई की सुविधा मिलेगी.
अब पेयजल और सिंचाई जल की कमी होने लगी
एक सच ये भी है कि पूर्वी राजस्थान में माही और चम्बल के अलावा कोई भी साल भर बहने वाली नदी नहीं है. इन इलाकों में जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिससे यहां अब पेयजल और सिंचाई जल की कमी होने लगी है. इन 13 जिलों में 16 ऐसी नदियां हैं, जिनमें मानसून में काफी पानी आता है परन्तु पर्याप्त व्यवस्था ना होने के कारण यह पानी व्यर्थ चला जाता है. इन सब नदियों को आपस में नहरों के माध्यम से जोड़ दिया जाए तो यह पानी व्यर्थ नहीं जाएगा और जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सकेगा.
बनेगी 1,268 किलोमीटर लम्बी नहर
इस परियोजना में 6 बैराज और 1 बांध बनाया जाएगा. ये कुन्नू बैराज, रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नवनेरा बैराज, मेज बैराज, राठौड़ बैराज और डूंगरी बांध होंगे. नदियों और बांधों को आपस में जोड़ने के लिए 1,268 किलोमीटर लम्बी नहर बनेगी, जो इन 13 जिलों से निकलेगी और यहां पानी उपलब्ध करवाएगी. ईआरसीपी परियोजना की लागत 38,000 करोड़ रुपये है. यह भारत की सबसे बड़ा नदियों को जोड़ने वाली परियोजना होगी. इस परियोजना में अभी तक केन्द्र सरकार ने कोई योगदान नहीं दिया है जबकि प्रधानमंत्री ने 7 जुलाई 2018 एवं 06 अक्टूबर 2018 को ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने पर सकारात्मक रुख रखने का आश्वासन दिया था.
सीएम गहलोत ने लिखा था पत्र
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 15 पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ये आश्वासन याद भी दिलवाए परन्तु केन्द्र सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं दिया. राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने से 38,000 करोड़ रुपये में 90% पैसा केन्द्र सरकार से दिया जाता जिससे राजस्थान की जनता के हक के पैसे बचते.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2019-20 के बजट में ही इसका काम शुरू करने के लिए बजट दे दिया था और अब तक 1000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च कर कई जिलों में बैराज निर्माण कार्य शुरू करवाए हैं. 2022-23 के बजट में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ईआरसीपी के लिए राज्य के बजट से 9,600 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है.