मुख्यमंत्री गहलोत के जन्मदिन पर हर कोई अपने-अपने तरीके से उन्हें बधाई संदेश पहुंचा रहा है.
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Jaipur: आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जन्मदिन है. सीएम गहलोत आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं. जोधपुर के जन्मे सीएम अशोक गहलोत राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं.
इस मौके पर उन्हें ढेरों बधाइयां मिल रही हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वयं ट्वीट कर सीएम गहलोत को बधाई दी है. पीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी को जन्मदिन की बधाई. वह लंबा और स्वस्थ जीवन जिएं.
Birthday greetings to Rajasthan CM Shri Ashok Gehlot Ji. May he be blessed with a long and healthy life. @ashokgehlot51
— Narendra Modi (@narendramodi) May 3, 2022
दूसरी ओर सचिन पायलट ने भी ट्वीट कर सीएम गहलोत को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं. पायलट ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा -मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. मैं आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन की कामना करता हूं.
मुख्यमंत्री श्री @ashokgehlot51 जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
मैं आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन की कामना करता हूँ। pic.twitter.com/mYWXUQjngm— Sachin Pilot (@SachinPilot) May 3, 2022
बता दें कि मुख्यमंत्री अपना 72वां जन्मदिन सादगीपूर्ण तरीके से मनाएंगे. इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न वर्गों के लिए मुख्यमंत्री की ओर से कई अहम घोषणाएं की जा सकती हैं. जयपुर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने के साथ-साथ शाम को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मिलने वाले स्मृतिचिन्हों के नीलामी कार्यक्रम में भी शामिल होंगे. नीलामी से मिलने वाली राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा करवाई जाएगी.
गहलोत सियासत का पूरा अध्याय हैं
पिछले पांच दशक से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय अशोक गहलोत राजस्थान की सियासत में केवल कोई अध्याय नहीं बल्कि एक पूरा युग हैं. तीसरी बार राजस्थान की मुख्यमंत्री की कमान संभालने वाले अशोक गहलोत ने राजस्थान के जनमानस को अपनी कार्यशैली कार्यप्रणाली और सरकार चलाने के तरीके से बेहद गहराई तक प्रभावित किया है. उनके कार्यकाल में राजस्थान में आम आदमी, दलित, वंचित पिछड़े वर्ग ने अपने जीवन में बदलाव महसूस किया है. अशोक गहलोत के होने के मायने हैं कि वर्तमान के मूल्यक्षरण के राजनीतिक दौर में भी यह विश्वास जीवंत है कि अब भी गांधीवादी रीति नीति, तौर-तरीकों एवं मूल्यों के सहारे राजनीति की जा सकती है.