राजस्थान/जयपुर: कैबिनेट सचिवालय के रिमाइंडर्स और ज़ी मीडिया की खबरों के बाद आखिरकार 4 मंत्रियों को छोड़कर सभी मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दे दिया है, लेकिन सरकार-जनता के बीच पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बनाई गई यह व्यवस्था जनता की पहुंच से ही बाहर है.
केन्द्र सरकार ने 2010 में सभी केन्द्रीय और राज्यों के मंत्रियों को अपनी सम्पत्ति की जानकारी हर वर्ष 31 अगस्त को सार्वजनिक(वेबसाइड या अन्य माध्यम) करने के निर्देश दिए थे. लेकिन यह निर्देश शायद राजस्थान के मंत्रियों पर लागू नहीं होते, तभी तो राजे सरकार के मंत्री ब्योरा देने से पीछे हटते रहे और जब आज 4 साल के बाद 4 मंत्रियों छोड़ कर 13 कैबिनेट मंत्री,5 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों और 6 राज्यमंत्री ब्योरा दे चुके हैं, तो अब यह ब्योरा कैबिनेट सचिवालय की फाइलों में बंद है.
यह है नियम
रिप्रजेंटेंशन ऑफ पीपल एक्ट 1951 के तहत केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों के लिए कोड ऑफ कंडक्ट तय है. इसके दायरे में प्रधानमंत्री सहित देशभर के सभी मुख्यमंत्री, केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्री आते हैं. जिन्हें हर साल 31 अगस्त तक अपनी संपत्ति का विवरण जमा कराने का प्रावधान है.
देश की पहली ऐसी सरकार
ऐसे में यदि 4 साल बाद आया यह ब्योरा अभी भी वेबसाइड पर सार्वजनिक नहीं किया गया तो यह पहली ऐसी सरकार होगी जिसके पांच साल के कार्यकाल में किसी भी वर्ष अपने मंत्रियों का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया गया हो.
क्या देनी होती है जानकारी
-मंत्री को अपने परिवार के सदस्यों की परिसम्पत्तियों, लायबिलिटी और व्यापारिक हितों की जानकारी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को देनी होती है
-इस ब्योरे में सभी अचल सम्पत्ति, शेयर-डिबेंचर, नकदी, आभूषण की कुल अनुमानित कीमत बतानी होती है
-मंत्री बनने के बाद उसे और उसकी पत्नी को व्यापार और कार्यों के प्रबंधन-स्वामित्व छोडऩे की जानकारी शामिल होती है
अभी तक ब्योरा नहीं देने वाले मंत्री
कैबिनेट मंत्री |
नंदलाल मीणा |
टीएडी मंत्री |
राजपाल सिंह शेखावत |
उद्योग मंत्री |
अजय सिंह किलक |
सहकारिता मंत्री |
राज्यमंत्री |
अमराराम |
राजस्व राज्यमंत्री |
ज़ी मीडिया संवाददाता डॉ. ऋतुराज शर्मा की रिपोर्ट