Rajasthan News: उपराष्ट्र्रपति जगदीप धनखड़ और जया बच्चन के बीच हुई नोंकझोंक और हंगामे पर राज्यसभा सांसद तथा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि जया बच्चन को अमिताभ बच्चन से चिढ़ है तो वो जानें. सदन में जो नाम लिखा है वो पुकारा जाएगा. राठौड़ ने कहा कि सोनिया गांधी उकसा रही थी.
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Rajasthan Politics: राज्यसभा में जया बच्चन को जया अमिताभ बच्चन के नाम से पुकारने पर हुए हंगामा के साथ राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए भले ही स्थगित हो गई, लेकिन अब इस मुद्दे पर सदन से बाहर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने राज्यसभा में हुई हंगामे पर जमकर विपक्ष का निशाना साधा.
जया बच्चन के बर्ताव पर जताई नाराजगी
राठौड़ ने कहा कि जया अमिताभ बच्चन वाला इश्यू बनना नहीं चाहिए था. सदस्य को नाम से पुकारा जाता है. जो नाम लिखकर दिया है उससे ही पुकारा जाता है. छोटे मोटे परिवर्तन के अलावा ज्यादा परिवर्तन नहीं होता है. जया अमिताभ बच्चन लिखकर दिया है, तो आसन से वही नाम पुकारा गया. आप चाहे तो बदल लें तो उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है. इस विषय पर छोटी मोटी नोकझोंक हुई. जया बच्चन ने कहा कि आप और हम कलिग हैं. यह बिल्कुल गलत है, वो उपराष्ट्रपति हैं राज्यसभा का सदस्य होना अलग बात हैं वो राज्यसभा सदस्य नहीं सभापति हैं. उनका सम्मानीय पद हैं. जया बच्चन ने गलती की है ऐसा नहीं कहना चाहिए था. सदन नियमों से चलता है और नियमों के अनुसार जो नाम है उसी नाम से पुकारा जाएगा. अगर जया बच्चन को अमिताभ बच्चन के नाम से चिढ़ तो वह जाने. इसके साथ विपक्ष अपनी भूमिका निभा रहा है.
मदन राठौड़ ने विपक्ष पर कसा तंज
अविश्वास प्रस्ताव के सवाल पर मदन राठौड़ ने कहा कि विपक्ष अपनी भूमिका निभा रहा है. विपक्ष का काम है वह जो भी करना चाहे वह करें. उनके अधिकार उनके पास सुरक्षित है, लेकिन जिस मुद्दे पर विपक्ष हंगामा कर रहा है या अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद कर रहा है. उसमें कोई दम नहीं है. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है.
सोनिया गांधी उकसा रही थी- राठौड़
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने आरोप लगाया कि सदन में सोनिया गांधी उकसा रही थी. प्रश्नकाल में जब पहला नाम पुकारा तो उन्होंने इशारा किया तुम मत बोलो. इसके बाद हंगामा हो गया. विपक्ष को दायित्व दिया तो निभाए, लेकिन वो हंगामा करेंगे यह नहीं हो सकता है. सदन में जनता का कितना पैसा खर्च होता है. एक एक सवाल का जवाब जुटाने के लिए पूरे देश की मशीनरी लगती है. सब जगह से आंकड़े जुटाए जाते हैं और फिर जवाब दिया जाता है. सदन चलाने के लिए दोनों की ही जवाबदारी है. सदन 12 अगस्त तक चल सकता था, लेकिन विपक्ष ने हंगामा कर दिया.
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