Jaipur News : राजस्थान में रेप और यौन अपराध के मामले में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. साल 2022 में राजस्थान में 4041 मामले सामने आए. वहीं अगर पिछले 10 सालों की बात की जाए तो 800 गुना केस बढ़ें हैं. पॉक्सो अदालतों में हर साल मुकदमें करीब दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं. 2019 ही ऐसा साल रहा जब यह संख्या 1025 से 1482 हुई, जबकि हर साल इनकी संख्या करीब दो गुणा बढ़ी.
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Jaipur News : कहने को तो दवा की जरूरत बीमारी को कम करने के लिए होती है, लेकिन दवा मिलने के बाद भी मर्ज बढ़ता रहे तो होने वाली भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. हम बात कर रहे हैं प्रदेश में बाल यौन अपराधों की रोकथाम के लिए बनाए गए पॉक्सो अधिनियम, 2012 की. इस कानून को लागू करने का उद्देश्य बाल अपराधों के अभियुक्तों को दंडित करना और बच्चों के प्रति लैंगिक अपराधों में कमी लाना था, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो कानून लागू होने के साल- दर- साल बच्चों के खिलाफ यौन अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. इस कानून के तहत अब 12 साल से कम उम्र की बच्चे के साथ दुष्कर्म करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है. बीती एक जनवरी तक प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में पॉक्सो एक्ट के जहां 10202 मुकदमें लंबित हैं. वहीं हाईकोर्ट में इस एक्ट के 4230 से बढ़ते हुए वर्ष 2021 के मुकाबले मुकदमें न्याय का इंतजार कर रहे हैं.
पॉक्सो अदालतों में हर साल मुकदमें करीब दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं. 2019 ही ऐसा साल रहा जब यह संख्या 1025 से 1482 हुई, जबकि हर साल इनकी संख्या करीब दो गुणा बढ़ी. हालांकि इस दौरान 2018 में यह संख्या करीब ढाई गुणा बढ़कर 438 से बढ़कर 1025 हो गई. इसी तरह हाईकोर्ट में भी हर साल पॉक्सो मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी नजर आई. इस दौरान वर्ष 2020 में यह मुकदमों की संख्या में कमी होते हुए वर्ष 2019 के मुकाबले यह 707 से घटकर 416 रह गए, लेकिन 2022 में इन मुकदमों की संख्या तेजी 555 से बढ़कर 1242 हो गई.
साल पॉक्सो कोर्ट हाईकोर्ट
2012 05 00
2013 12 00
2014 31 65
2015 68 192
2016 138 317
2017 209 373
2018 438 363
2019 1025 707
2020 1482 416
2021 2753 555
2022 4041 1242
कुल 10202 4230
राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने कहा कि कुंठाग्रस्त अपराधियों के लिए बच्चे आसान शिकार होते हैं. इसके चलते इन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है. इनकी बढ़ती संख्या को रोकने के लिए मुकदमों का तेजी के साथ निस्तारण करना होगा. इसके लिए नई अदालतें खोलने की भी जरूरत है.
Reporter- Mahesh Pareek
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