राजस्थान में 2 अक्टूबर से सरकार प्रशासन गांवों के संग अभियान चलाएगी, लेकिन गांव की सरकार ने इस अभियान का बहिष्कार कर दिया है.
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Jaipur : राजस्थान में 2 अक्टूबर से सरकार प्रशासन गांवों के संग अभियान चलाएगी, लेकिन गांव की सरकार ने इस अभियान का बहिष्कार कर दिया है. प्रदेशभर के सरपंचों ने सरकार (Rajasthan Government) को चेतावनी दी है कि यदि मांगों नहीं मानी तो गांव की सरकार प्रशासन गांवों के संग अभियान का बहिष्कार करेंगे, लेकिन प्रदेशभर के सरपंचों ने बहिष्कार किया तो कैसे यह अभियान सफल हो पाएगा.
इन मांगों पर सरपंचों का संग्राम
राजस्थान के सरपंचों (Sarpanches) ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अबकी बार सरपंचों ने प्रशासन गांवों के संग अभियान से पहले ही सरकार को चेतावनी दे डाली. सरपंच पिछले समझौते की मांगों पर लगातार अड़े हैं. ग्रामीण विकास सचिव केके पाठक और पंचायतीराज सचिव पीसी किशन से वार्ता हुई, लेकिन इसके बावजूद वार्ता में कोई हल नहीं निकला. सरपंचों की मांग है कि मनरेगा में निर्माण कार्य के लिए टेंडर प्रकिया पंचायत स्तर पर ही करना, ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित राशि 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करना, ग्राम पंचायतों का हस्तांतरित राशि का समायोजन ई—यूसी के माध्यम से करना. इसके अलावा प्रमुख मांग पंचायतों का बजट जारी करना, खाद्य सुरक्षा में नामों को जुडवाना है.
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समझौता नहीं, आदेश चाहिए
गांव की सरकार के मुखिया यानि सरपंच सरकार से फिर रूठ गए हैं. इससे पहले भी सरकार ने समझौता किया, लेकिन वे समझौते अब तक पूरे नहीं हो पाए, जिसके बाद प्रदेशभर के सरपंच फिर उखड़े उखड़े दिखाई दे रहे हैं. इससे पहले भी सरपंचों ने आंदोलन की चेतावनी दी थी, जिसके बाद सरकार ने समझौता किया था, लेकिन अब तक उनकी पूरी मांगे नहीं मानी गई, जिसको लेकर सरपंच संघ सरकार से खफा है.
गांव में प्रशासन किसके संग अभियान सफल बनाएगा
लेकिन अब गांव की सरकार की राज्य सरकार से नाराज हो गई तो प्रशासन गांवों के संग अभियान कैसे सफल हो पाएगा. क्योंकि पंचायत का पूरा कामकाज सरपंच के हाथों में होता है. ऐसे में यदि सरपंच ही रूठ जाएंगे तो प्रशासन किसके संग अभियान का सफल बनाएगा.