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जयपुर: खेतड़ी रियासत (ठिकाना) 2016 के बाद फिर से एक बार सुर्खियों में है.जयपुर चांदपोल स्थित खेतडी हाउस पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है.खेतडी हाउस के रिसीवर (जयपुर तहसीलदार) ने सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद करीब 35 परिवारों को नोटिस थमाए गए हैं..और उनका पक्ष रखने के लिए दस्तावेज सहित जवाब मांगा हैं.नोटिस जारी होने के बाद खेतडी हाउस में रहने वाले परिवारों में हडकंप मचा हुआ हैं.
जयपुर में चांदपोल स्थित खेतडी हाउस पर हो रहे अतिक्रमण और हेरिटेज संरक्षण में विफल रहने पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद जयपुर प्रशासन के अफसरों की नींद उड गई हैं..और इस फटकार ने रिसीवरशुदा खेतडी हाउस में रहने वाले 35 परिवारों की भी नींद उडा दी हैं.सुप्रीम कोर्ट ने खेतडी के पूर्व महाराजा की हेरिटेज संपत्तियों पर हो रहे कब्जों को छह सप्ताह में हटाने के निर्देश देते हुए किसी भी अन्य कोर्ट में इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं करने का आदेश देकर हाथ भी बांध दिए हैं.
राजस्व टीम ने 26 बीघा जमीन का किया निरीक्षण
इस आदेश के बाद जयपुर जिला प्रशासन की ओर से राजस्व टीम द्वारा करीब 26 बीघा में फैले खेतडी हाउस का मौका निरीक्षण करवाया गया.जिसमें रिसीवरशुदा खेतडी हाउस में अनाधिकृत रूप से पक्का निर्माण कर मकान, दुकान, गैराज बने हुए मिले. जिसमें बाद करीब 35 लोगों को नोटिस थमाए गए हैं.नोटिस की लैंग्वेज है की 'रिसिवर शुदा भूमि को खुर्दबुर्द करने के दोषी हैं'..'ऐसे में अपने हित के समर्थन में पक्ष रखने के लिए आश्ययक दस्तावेजों सहित दस दिन में जवाब पेश करें'.'अन्यथा आपके विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी'.
कब्जों को हटाना प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती
नोटिस मिलने के बाद करीब 15 परिवारों ने अपना जवाब मय दस्तावेज जयपुर तहसील ऑफिस में पेश भी किया हैं. चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का है तो प्रशासन को पालना करनी होगी. लेकिन प्रशासन के सामने बडी चुनौती इन कब्जों को हटाना हैं.क्योंकि जो लोग यहां रहते हैं उनका कहना हैं की बचपन यहीं बीता हैं.आज भी बिजली, पानी के बिल बहादुर सिंह के नाम से ही आते हैं.उन्होने किराए पर जगह दी थी.इस जगह पर रिसीवर नियुक्त होने (1987) से पहले वो यहां रहते हैं. सुप्रीम कोर्ट में हमारा पक्ष सुना जाए इसके लिए तैयारी कर रहे हैं. खेतडी हाउस में रहने वाले लोगों ने नोटिस मिलने के बाद जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसरों से मुलाकात कर मदद की गुहार की, लेकिन सभी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशें का हवाला देते हुए हाथ खींच लिए.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने खेतड़ी के दिवंगत पूर्व राजा बहादुर सरदार सिंह की संपत्तियों की तस्वीरों के विश्लेषण के बाद कहा है की यह हैरान करने वाला है. राज्य सरकार ने पिछले निर्देशों का उल्लंघन किया और राज्य ने ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक मूल्य की संरचनाओं की रक्षा करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.बहादुर सिंह की 1987 में मृत्यु हो गई थी वे निसंतान थे.उसके बाद जयपुर तहसीलदार को रिसीवर नियुक्त किया गया था.
खेतड़ी हाउस- जयपुर के चांदपोल स्थित तीन सितारा हैरिटेज होटल रहा है. विवाद के बाद बदहाल है.
गोपालगढ़किला- यह खेतड़ी में एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है. नया महल पुराना महल सहित अन्य इमारत है.
सुखमहल- यहभी पहाड़ी पर स्थित भव्य इमारत है. इसमें आलीशान कक्ष कारीगरी है.
जयनिवास-खेतड़ी कस्बा में स्थित इमारत है.
अमरहॉल- यह खेतड़ी में प्राइम लोकेशन में स्थित है.
बागोरकिला-इसकी कीमत सौ करोड़ से ज्यादा मानी जाती है. इसे रक्षा मंत्रालय को दिया गया है.
अन्य संपत्तियां-खेतड़ी में कार्यालयों के तौर पर इस्तेमाल की जा रही अन्य प्रॉपर्टी भवन है.
कौन था खेतड़ी रियासत का राजा?
- 1742 में खेतड़ी रियासत की खोज ठाकुर किशन सिंह ने की.
- 1870 से 1901 के बीच खेतड़ी रियासत पर अजित सिंह का राज था.
- अजित सिंह बहादुर स्वामी विवेकानंद के शिष्य थे, शिकागो धर्म संसद में भाग लेने के बाद स्वामी विवेकानंद सबसे पहले खेतड़ी आए थे.
- बताया जाता है कि खेतड़ी के राजा अजित सिंह ने ही नरेंद्रनाथ दत्त ( स्वामी बिबिदिशानंद) को स्वामी विवेकानंद नाम सुझाया था.
- बताया जाता है कि खेतड़ी से नेहरू खानदान का भी ताल्लुक रहा है.
- मोतीलाल नेहरू के बड़े भाई नंदलाल उन्हें लेकर खेतड़ी आए थे. वे खेतड़ी के तत्कालीन राजा फतेह सिंह के दीवान थे.
- राजा फतेह सिंह की 1870 में मृत्यु होने के बाद अलसीसर से अजित सिंह को गोद लेकर उत्तराधिकारी बनवाया था.
- इस मामले को लेकर दीवान नंदलाल नेहरू विवाद में रहे. बाद में नंदलाल आगरा चले गए और वकालत करने के लिए इलाहाबाद में बस गए
खेतडी हाउस जो जयपुर के चांदपोल स्थित तीन सितारा हैरिटेज होटल रहा है.विवाद के बाद बदहाल है.राजाराय बहादुर सरदार सिंह खेतड़ी के 11 वे शासक थे.उनका जन्म मार्च 1920 में हुआ.उन्होंने विदेश में पढ़ाई की.सरदार सिंह राज्य सभा सांसद के अलावा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे.उनकी शादी नवंबर 1948 में नेपाल शासक शमशेर जंग बहादुर राणा की बेटी रानी भुवन लक्ष्मी देवी के साथ हुई.बाद में उनका तलाक हो गया.
सरदार सिंह की 1987 में मृत्यु हो गई. खेतड़ी राजघराने में एक तीन सितारा हेरिटेज होटल, जयपुर का खेतड़ी हाउस है.ये सारी प्रॉपर्टी 1987 में खेतड़ी के आखिरी शासक राय बहादुर सरदार सिंह की मौत के बाद से राज्य सरकार के संरक्षण में है.सरदार सिंह के उत्तराधिकारी नहीं होने से राज्य सरकार ने सारी प्रॉपर्टी पर राजस्थान एस्चीट्स रैगुलेशन एक्ट-1956 के तहत प्रॉपर्टी पर कब्जा ले लिया.
प्रशासन को 6 सप्ताह में खेतडी हाउस की संपत्ति से हटाना है अतिक्रमण
संपत्ति पर कब्जा सार संभाल के लिए रिसीवर नियुक्त कर दिया.इसके बाद खेतड़ी ट्रस्ट, सरदार सिंह के परिजनों और सरकार के बीच प्रॉपर्टी पर कब्जे को लेकर लडाई चलती आ रही हैं.सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद जब अफसरों ने खेतडी हाउस का विजिट किया तो देखा की रिसीवर (तहसीलदार) नियुक्त होने के बाद भी पृथ्वीराज सिंह प्रबंधक न्यायी खेतडी ट्रस्ट के नाम लिखी हुई पट्टिकाएं लगा दी गई हैं. जिस पर साफ लिखा है की यह संपत्ति खेतडी ट्रस्ट की हैं. इसमें प्रवेश निषेध हैं.
हालांकि, इन पट्टिकाओं को प्रशासन ने अब हटा दिया गया हैं. इस मामले में खेतड़ी ट्रस्ट के जनरल मैनेजर अविनाश जोहरी का कहना हैं कि सरदार सिंह ने 1985 में वसीयत लिखी थी.इसमें शिक्षा अनुसंधान कार्यों के लिए सारी प्रॉपर्टी दे दी, लेकिन सरकार ने 1987 में अवैधानिक तरीके से संपत्ति कब्जे में ली थी.जिसके बाद से सरकार और खेतड़ी ट्रस्ट के बीच मुकदमेबाजी शुरू हो गई.जोहरी का कहना हैं की खेतड़ी और जयपुर में हैरिटेज संपत्तियां हैं, जो लंबे समय से चल रहे विवाद के कारण देखरेख नहीं होने से खंडहर हो गईं.
21 मार्च को होगी मामले की अगली सुनवाई
मामले में पिछले साल सितंबर में अदालत ने इन संपत्तियों की देखरेख के आदेश दिए थे.फिर भी कुछ नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा कि यह भयावह है. चित्र, किताबें, फर्नीचर, सब कुछ नष्ट हो गया.दीवारें और अन्य संरचनाएं तोड़ दी गई हैं.हम यह दर्ज करने जा रहे हैं कि सरकार ने जानबूझकर विरासत को नष्ट किया और कोर्ट के आदेशों की अवमानना की.मामले में अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी.ट्रस्टियों में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा गजसिंह, अजितसिंह शेखावत, पृथ्वीराज सिंह जैसे प्रभावशाली लोग हैं.
बहरहाल, खेतडी रियासत से अपनी निकटता का दावा करने वालों को हालांकि अदालतों में बहुत कामयाबी नहीं मिली है.150 साल बाद भी उत्तराधिकार के मुकदमों का गवाह बना हुआ है.जहां अंदाजन 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत की संपत्ति के मालिकाना हक पर जंग छिड़ी हुई है.पहले विश्व युद्ध में खेतड़ी से सैनिकों को लडऩे के लिए भेजा गया था, जिनमें कुछ ने अपनी जान दे दी थी.आज वही खेतड़ी लापरवाही, भ्रम, छल-कपट और अंतहीन मुकदमों की चपेट में अपनी ढह रही शाही विरासत को बचाने की जंग लड़ रहा है.