राजस्थान में लम्पी स्किन बीमारी को लेकर टेंशन, पशुपालन मंत्री ने मिशन मोड पर काम के निर्देश दिए
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राजस्थान में लम्पी स्किन बीमारी को लेकर टेंशन, पशुपालन मंत्री ने मिशन मोड पर काम के निर्देश दिए

पशुपालकों को स्वस्थ पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए संक्रमित पशु को एकदम अलग बांधने, बुखार और गांठ आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर इलाज कराने और अनावश्यक रूप से पशुओं का आवागमन नहीं कराने की सलाह दी गई है.

राजस्थान में लम्पी स्किन बीमारी को लेकर टेंशन, पशुपालन मंत्री ने मिशन मोड पर काम के निर्देश दिए

Jaipur : पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने पश्चिमी राजस्थान के मवेशियों में फैल रही, लम्पी स्किन डिजीज की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य सरकार गौवंशीय पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए पूर्ण सजगता और संवेदनशीलता के साथ हर संभव प्रयास कर रही है, उन्होंने अधिकारियों को बीमारी की रोकथाम के लिए मिशन मोड पर काम करने के निर्देश दिए हैं.

कटारिया पंत कृषि भवन में वीसी के माध्यम से प्रभावित जिलों के अधिकारियों के साथ बीमारी के संक्रमण और रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा कर निर्देशित कर रहे थे. पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने जिलावार अधिकारियों से चर्चा कर बीमारी के संक्रमण की स्थिति, रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों, दवा की उपलब्धता और चिकित्सा कर्मियों की स्थिति के बारे में जानकारी ली और जरूरत के अनुसार संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. उन्होंने अधिकारियों को संक्रमण की जानकारी मिलने पर तुरंत मौके पर पहुंचकर उपचार करने और पशुपालकों को बचाव के उपायों के लिए जागरूक करने के निर्देश दिए.

कटारिया ने गौशाला संचालकों के निरंतर संपर्क में रहकर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए, उन्होंने कहा कि चिकित्सा दल अनुदानित-गैर अनुदानित सभी गौशालाओं का गहनता से विजिट करें और बीमार गायों का उपचार करें. स्वच्छता एवं बचाव के लिए प्रबंधन समिति को जागरूक करें और पारम्परिक तरीकों के साथ सोडियम हाइपो क्लोराइट से सेनिटाइज कराएं. उन्होंने सभी स्तर के जनप्रतिनिधियों के लगातार संपर्क में रहकर उनसे फीडबैक लेने और बीमारी की रोकथाम एवं उपचार की कार्यवाही करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि इस वायरस जनित बीमारी का हम सब मिलकर ही मुकाबला कर सकते हैं.

पशुपालन मंत्री कटारिया ने बीमारी की रोकथाम एवं उपचार के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए. बताया कि आवश्यक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आपातकालीन जरूरी दवाएं खरीदने के लिए संभाग स्तरीय अजमेर, बीकानेर और जोधपुर कार्यालयों को 8 से 12 लाख रूपए और बाकी प्रभावित जिलों को 2 से 8 लाख रूपए का बजट दिया गया है. ये राशि पूर्व में इमरजेंसी बजट में समस्त जिला स्तरीय कार्यालयों तथा बहु उद्देशीय पशु चिकित्सालयों को आवंटित राशि के अतिरिक्त जारी की गई है. आपातकालीन परिस्थितियों को देखते हुए अन्य जिलों के औषधि भंडारों में उपलब्ध औषधियां प्रभावित जिलों में भेजी गई है. अत्यावश्यक औषधियां जैनरिक नाम से उपलब्ध नहीं होने पर ब्रांड नाम से खरीदने की स्वीकृति दी गई है.

उन्होंने बताया कि ज्यादा प्रभावित जिलों में स्टेट मेडिकल टीम और पड़ोसी जिलों से टीमें भेजी गई हैं. प्रभावित जिलों के लिए अन्य जिलों से 29 पशु चिकित्सक एवं 93 पशुधन सहायक लगाए गए हैं. रोगी पशुओं का उपचार और प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए 30 अतिरिक्त वाहनों की स्वीकृति जारी की गई है. निदेशालय से भेजे गए नोडल अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर सतत मॉनिटरिंग कर रहे हैं. आवश्यकता होने पर अन्य जिलों से और स्टाफ भेजा जाएगा. पशुओं में फैल रहे इस रोग की सतत निगरानी के लिए प्रभावित जिलों के साथ-साथ जयपुर मुख्यालय पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है.

पशुपालन सचिव पीसी किशन ने लम्पी स्किन डिजीज पर 15 दिन में पूरी तरह काबू करने के निर्देश देते हुए कहा कि बाड़मेर, जालोर, जैसलमेर, जोधपुर एवं सिरोही जिलों में संक्रमण ज्यादा होने के कारण क्लोज मॉनिटरिंग की जा रही है. उन्होंने बताया कि गुजरात से सटे डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद सहित अन्य जिलों में भी सतर्कता बरती जा रही है. उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल से आए दल ने जोधपुर एवं नागौर जिले के रोगी पशुओं के सैम्पल एकत्रित किए हैं.

पीसी किशन ने बताया कि रोग प्रकोप की इस आपदा से निपटने के लिए जिलों को पूर्ण शक्तियां दी गई हैं, उन्होंने रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग करने की सलाह देने के निर्देश दिए. साथ ही स्थानीय निकाय के सहयोग से मृत पशुओं का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से करने के निर्देश दिए.

उल्लेखनीय है कि जोधपुर संभाग में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा है, हालांकि इसमें मृत्यु दर ज्यादा नहीं है. बीमार होने वाले पशुओं में से एक से डेढ़ प्रतिशत पशुओं की मौत हो रही है, जो काफी कमजोर और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले हैं. बीमारी की रोकथाम और बचाव के लिए पशु चिकित्सक लक्षण आधारित उपचार कर रहे हैं. 

पशुपालकों को स्वस्थ पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए संक्रमित पशु को एकदम अलग बांधने, बुखार और गांठ आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर इलाज कराने और अनावश्यक रूप से पशुओं का आवागमन नहीं कराने की सलाह दी गई है.

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