75th Independence Day: आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) पर हम आपको बताते हैं कि ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या अंतर है?
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75th Independence Day: आज देशभर में आजादी का 75वां साल धूमधाम से मनाया जा रहा है और इसी खुशी को दोगुना करने के लिए भारत सरकार ने 'हर घर तिरंगा' कैंपेन शुरू किया है. इसके तहत आम से लेकर खास हर कोई अपने घर पर तिरंगा लगा रहा है. वहीं, इस जश्न को मनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई तैयारियां की है.
देश का राष्ट्रीय ध्वज आन-बान और शान का प्रतीक है. हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराते हैं, लेकिन स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) और गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में भी होते हैं. दो तरह से झंडे को फहराया या लहराया जाता है. पहले को ध्वजारोहण कहते हैं और दूसरे को हम ध्वज फहराना कहते हैं. आइए आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) पर हम आपको बताते हैं कि इन दोनों के बीच क्या अंतर है?
ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर
देश के इन दो खास मौकों पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराया या लहराया जाता है जिसके बीच अंतर होता है. स्वतंत्रता दिवस पर जब ध्वज को ऊपर की तरफ खींचकर लहराया जाता है, तो इसको ध्वजारोहण कहते हैं, जिसे इंग्लिश में Flag Hoisting कहते हैं. वहीं, दूसरी तरफ गणतंत्र दिवस पर ध्वज को ऊपर बांधा जाता है और उसको खोलकर लहराते हैं, इसे झंडा फहराना कहते है, जिसे अंग्रेजी में Flag Unfurling कहते हैं.
जानें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति में क्या अंतर है?
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के कार्यक्रम को आयोजन लाल किले पर होता है. इस खास मौके पर कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री शामिल होते हैं और ध्वजारोहण करते हैं. वहीं, गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के कार्यक्रम का आयोजन राजपथ पर होता है और कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति शामिल होते हैं और झंडे को फहराते हैं. प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक प्रमुख होते हैं और राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होते हैं.
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति क्यों फहराते हैं झंडा?
देश का संविधान 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ था. इससे पहले देश में न तो संविधान था और न राष्ट्रपति. इसी के के कारण हर साल 26 जनवरी को राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं.