तो समझ आ गया अंडे का फंडा, पहले मुर्गी आई या अंडा , वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया
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तो समझ आ गया अंडे का फंडा, पहले मुर्गी आई या अंडा , वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया

An Egg Came First Or Hen: बॉलीवुड मूवी (Bollywood Movie) जोड़ी नंबर वन में गोविंदा और संजय दत्त पर फिल्माया गया गाना अंडे का फंडा आपको याद होगा. गोविंदा बार बार इस गाने में एक ही सवाल कर रहे थे कि पहले कौन आया अंडा या मुर्गी. तो जनाब इसका जवाब वैज्ञानिकों ने खोज लिया है. हाइलाइट्स ब्रिस्टल और नानजिंग यूनिवर्सिटी की रिसर्च में ये बात साबित हुई है कि पहले अंडा नहीं मुर्गा मुर्गी आए थे...अब ये बात आपको अजीब लग सकती है...

तो समझ आ गया अंडे का फंडा, पहले मुर्गी आई या अंडा , वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया

An Egg Came First Or Hen: बॉलीवुड मूवी (Bollywood Movie) जोड़ी नंबर वन में गोविंदा और संजय दत्त पर फिल्माया गया गाना अंडे का फंडा आपको याद होगा. गोविंदा बार बार इस गाने में एक ही सवाल कर रहे थे कि पहले कौन आया अंडा या मुर्गी. तो जनाब इसका जवाब वैज्ञानिकों ने खोज लिया है. हाइलाइट्स ब्रिस्टल और नानजिंग यूनिवर्सिटी की रिसर्च में ये बात साबित हुई है कि पहले अंडा नहीं मुर्गा मुर्गी आए थे...अब ये बात आपको अजीब लग सकती है...

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और नानजिंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि धरती पर पहले अंडा नहीं आया बल्कि मुर्गा-मुर्गी आए. इसको लेकर कई तथ्य भी पेश किये गये हैं. जिसपर लोग यकीन कर नहीं पा रहे हैं. 

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रिसर्चर्स ने रिपोर्ट में दावा किया है के हजारों साले पहले मुर्गा-मुर्गी ऐसे नहीं थे जैसे की वो आज दिखते हैं. वे अंडे नहीं बल्कि पूर्ण रूप से बच्चे को ही जन्म दे देते थे. इसके बाद लगातार इनमें परिवर्तन होता रहा और अब पूर्ण रूप से बच्चा देने वाले मुर्गे-मुर्गी की प्रजातियों में अंडे देने की क्षमता विकसित हो चुकी है. जिससे ये साबित होता है कि पहले अंडा नहीं मुर्गा और मुर्गी आये थे.

रिसर्चर्स करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चे को जन्म देने की क्षमता का अलग-अलग होने का कारण एक्सटेंडेड एम्ब्रायो रेटेंशन है. मुर्गी ही नहीं बल्कि चिड़िया, मगरमच्छ और कछुए भी ऐसे अंडे देते है, जिसमें भ्रूण बिल्कुल बना भी नहीं होता है, बल्कि बाहर आने के बाद अंडे के अंदर तैयार होता है. जबकि कुछ जीव विकसित भ्रूण वाले अंडे देते हैं. जैसे- सांप और छिपकलियां.

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल स्कूल ऑफ अर्थ साइंसेज के मुताबिक 51 जीवाश्म प्रजातियों और 29 जीवित प्रजातियों को ओविपेरस के रूप में वर्गीकृत किया गया था. जिसमें कठोर या नरम खोल वाले अंडे देना और बच्चे को जन्म देना प्रक्रिया को विस्तार से जांचा गया.

ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल बेंटन के मुताबिक एमनियोट्स से पहले, मछली के पंखों से अंगों को विकसित करने वाले टेट्रापोड्स मोटे तौर पर उभयचर ही थे. उन्हें खाने और प्रजनन के लिए पानी में या उसके पास ही रहना पड़ता था, जैसा कि मेंढक और सैलामैंडर जैसे आधुनिक उभयचर. नानजिंग विश्वविद्यालय और ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का ये  अध्ययन नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है.

 

 

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