विजय दिवस: जब पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने टेक दिए थे घुटने, पढ़िए वीरों की गाथा
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विजय दिवस: जब पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने टेक दिए थे घुटने, पढ़िए वीरों की गाथा

Victory Day News: विजय दिवस गवाह है, भारतीय सैनिकों की वीरता का, जिन्होंने अपने शौर्य से पाकिस्तान को घुटने टेकने में मजबूर कर दिया था. शनिवार को जैसलमेर में विजय दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. 

जैसलमेर में विजय दिवस पर कार्यक्रम के दौरान मंच पर बैठे अतिथि,

Victory Day News: वर्ष 1971 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना ने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था.यह युद्ध दुनिया के इतिहास में इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारतीय सैनिकों की वीरता के बदौलत बांग्लादेश का उदय हुआ था. इसी युद्ध में विजय की याद में शनिवार को जैसलमेर के जिला सैनिक कल्याण कार्यालय के बाहर विजय दिवस मनाया गया.

वीरांगनाओं का भी सम्मान किया गया

इस अवसर पर 1971 के युद्ध में शहीद होने वाले सेना के जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई साथ ही 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले भारतीय सैनिकों का सम्मान किया गया. साथ ही शहीद जवानों की वीरांगनाओं का भी सम्मान किया गया.

वीरांगनाएं इस कार्यक्रम में उपस्थिति रहीं

इस अवसर पर जैसलमेर विधायक छोटू सिंह भाटी, पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी,नगर परिषद सभापति हरिवंल्लभ कल्ला,जैसलमेर सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष व पूर्व सैनिक व वीरांगनाएं इस कार्यक्रम में उपस्थिति रही.

कार्यक्रम मे पोकरण विधायक महंत प्रतापपूरी महाराज ने कहा कि विजय दिवस पर आज हम उन शहीदों को नमन कर रहे हैं,जिन्होने माँ भारती के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी है. उन्होंने कहा कि देश के लिए जीते सभी है,लेकिन एक सैनिक का जीवन अनेक दुश्वारियों से गुजर के भी राष्ट्र के प्रति समर्पित रहता है. यही बड़ी वजह है कि सैनिकों के सम्मान में हम सब हमेशा आदर भाव से खड़े रहते है.

जिला पूर्व सैनिक संस्थान के जिलाध्यक्ष ने याद करते कहा कि 16 दिसंबर 1971 के दिन हमारी सेना के जाबांजो ने विश्व की छाती पर एक ऐसा हस्ताक्षर कर दिया कि आने वाली नस्ले भारतीय जाबांजो के हौसलों की कहानियां अपने बच्चों को सुनाया करेंगी.

उन्होंने कहा कि युद्ध हमारी प्राथमिकता में कभी नहीं रहा, पर युद्ध से मुंह मोड़ लेना भी हमारी फितरत में नही है, और यह हमने 13 दिनों के अथक संघर्ष के बाद पाकिस्तानी सेना को एक बार फिर अहसास करवा दिया कि वो हमसे कभी भी नहीं जीत सकते.इस मौके पर अनेकों पूर्व सैनिक मौजूद रहें.

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