जालोर: सिरे मंदिर धाम पर विश्व कल्याण को लेकर महारूद्र यज्ञ का पूर्णाहुति के साथ हुआ समापन
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जालोर: सिरे मंदिर धाम पर विश्व कल्याण को लेकर महारूद्र यज्ञ का पूर्णाहुति के साथ हुआ समापन

सिरे मंदिर धाम पहुंचकर भक्तों ने नाथजी के प्रति अपनी श्रद्वा प्रकट की. महारूद्र यज्ञ के अंतिम दिन यजमानों ने पंच कुण्डीय यज्ञ में पूर्णाहुति के साथ विश्व कल्याण की कामना कर महोत्सव का समापन हुआ. 

जालोर: सिरे मंदिर धाम पर विश्व कल्याण को लेकर महारूद्र यज्ञ का पूर्णाहुति के साथ हुआ समापन

Jalore News: शहर के जलंधरनाथ की तपोभूमि पर कणियागिरी पर्वत पर स्थित सिरे मंदिर धाम पर आयोजित महारूद्र यज्ञ व पीर शांतिनाथ महाराज के तृतीय भण्डारा के अंतिम दिन सोमवार को फले चुन्दडी में भक्तों का रेला नजर आया. वहीं भक्तों ने सिरे मंदिर धाम पहुंचकर नाथजी के प्रति अपनी श्रद्वा प्रकट की. महारूद्र यज्ञ के अंतिम दिन यजमानों ने पंच कुण्डीय यज्ञ में पूर्णाहुति के साथ विश्व कल्याण की कामना कर महोत्सव का समापन हुआ. छह दिवसीय महोत्सव में देशभर के हजारों साधु संतो का आगमन होने के साथ लाखो भक्तो के पहुंचने से जालोर नगरी धर्ममय नजर आई.

छह दिवसीय महोत्सव का आगाज शोभायात्रा से हुआ

जालोर की धरा पर सिरे मंदिर धाम पर पहली बार एतिहासिक महारूद्र यज्ञ का आयोजन किया गया. महारूद्र यज्ञ जालोर में 44 साल बाद होने से इस धार्मिक आयोजन का साक्षी बनने के लिए लाखों भक्तों ने सिरे मंदिर की चढ़ाई चढकर अपनी आस्था प्रकट की. छह दिवसीय महोत्सव का आगाज शोभायात्रा से हुआ, जिसमें भक्तो का जन सैलाब नजर आया. छह दिन तक सिरे मंदिर धाम पर महारूद्र यज्ञ और पीर शांतिनाथ महाराज के भण्डारा को लेकर प्रतिदिन भक्तों की रेलमपेल लगी रही. छह दिन जालोर नगरी पूरे नाथजी के रंग में रंगी नजर आई. वहीं भक्तों ने भी पीर शांतिनाथ महाराज के प्रति श्रद्वा प्रकट करते हुए प्रतिदिन सिरे मंदिर धाम पहुंचकर यज्ञ और भण्डारा कार्यक्रम के साक्षी बने. पीर गंगानाथ महाराज के सानिध्य में जन कल्याण की भावना को लेकर महारूद्र यज्ञ के आयोजन में लाखों भक्तों ने शिरकत की. 

वहीं सैकडों कार्यकर्ताओं ने निःस्वार्थ भाव से आयोजन को सफल बनाने में कड़ी मेहनत की. यज्ञ और भण्डारा को लेकर छह दिन तक जालोर ग्रेनाईट नगरी धर्ममय नजर आई. सोमवार को फले चुन्दड़ी में जालोर शहर सहित आस पास के गांवो से काफी संख्या में नाथजी के भक्तों ने सिरे मंदिर धाम पहुंचकर भोजन प्रसादी ग्रहण की.

महारूद्र यज्ञ के अंतिम दिन यजमानो ने दी पूर्णाहुति

आयोजन समिति के पारसमल परमार ने बताया कि सिरे मंदिर धाम पर छह दिवसीय महारूद्र यज्ञ का आयोजन आचार्य पंडित प्यारेलाल शर्मा के निर्देशन में विद्वान पंडितो ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंच कुण्डीय यज्ञ का आयोजन करवाया. रविवार को अंतिम दिन प्रात: 8 बजे पंचाग पूजन, उत्तर पूजन, बलिदान के साथ प्रात: 10 बजे यजमानों ने हवन कुण्ड में पूर्णाहूति देकर भगवान श्री महारूद्र का स्मरण किया. विश्व कल्याण की कामना के साथ सृष्टि के मानव व जीव कल्याण की प्रार्थना की. जालोर में 44 साल बाद महारूद्र यज्ञ का आयोजन होने से भक्तों ने यज्ञ में अपनी उपस्थित दर्ज करवाकर इस एतिहासिक पल के साक्षी बने. पूर्णाहूति होने पर सिरे मंदिर धाम पर उपस्थिति हजारो की संख्या में भक्तो ने ढोल के साथ नाचकर खुशी का इजहार किया.

जनप्रतिनिधियों ने लगाई नाथजी के दरबार में धोक

सिरे मंदिर धाम पर आयोजित महारूद्र यज्ञ व पीरजी के भण्डारा को लेकर सोमवार को अंतिम दिन जन अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर, पूर्व उप मुख्य सचेतक व रानीवाडा के पूर्व विधायक रतन देवासी, भीनमाल के पूर्व विधायक डॉ. समरजीतसिंह, रानीवाडा विधायक नारायणसिंह देवल, आहोर कांग्रेस प्रत्याशी सवाराम पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने सिरे मंदिर पहुंचकर नाथजी के दरबार में धोक लगाई.

जनप्रतिनिधियों का पीर गंगानाथ महाराज ने साफा व रूद्राक्ष की माला पहनाकर बहुमान किया. वहीं जन अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पाराशर, सहित समस्त जनप्रतिनिधियों ने रत्नेश्वर महादेव मंदिर, भंवर गुफा, जलंधरनाथ महादेव, पीर शांतिनाथ महाराज की समाधी के दर्शन कर पीर गंगानाथ महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया.

मुख्यमंत्री ने यज्ञ व भण्डारे के आयोजन पर दी शुभकामनाएं

आयोजन समिति के मीठालाल दर्जी ने बताया कि सिरे मंदिर धाम पर आयोजित एतिहासिक यज्ञ और पीरजी के भण्डारा कार्यक्रम को लेकर जन अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर ने पीर गंगानाथ महाराज को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का संदेश प्रेषित किया. जिसमें मुख्यमंत्री ने भी इस भव्य आयोजन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश की आस्था धामो पर महारूद्र यज्ञ और ब्रह्मलीन संतो के भण्डारा महोत्सव अनुष्ठान से अध्यात्मक दर्शन में योगदान को श्रद्वापूर्वक स्मरण का मार्ग प्रशस्त होता है. इससे श्रद्वाओं में आपसी प्रेम, शांति, सदभाव और सामाजिक समरता का संचार होता है. भगवान श्री महारूद्र और ब्रह्मलीन पीर शांतिनाथ महाराज को श्रद्वापूर्वक स्मरण और नमन करते हुए इन अनुष्ठानों की सफलता की मंगल कामना करता हूं.

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