रक्षाबंधन के मौके पर 1996 में जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सुखराम बिश्नोई की प्रतिमा को रक्षा बंधन पर्व पर उनकी बहनों ने राखी बांधी तो भावुक हो गई. माथे पर जब बहन ने तिलक लगाया तो आंखों के सामने शहीद सुखराम बिश्नोई का चेहरा नजर आ रहा था.
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Jalore: राजस्थान के अलग -अलग इलाकों में भाई-बहन के अटूट प्रेम का महापर्व रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया गया. जालोर जिले के दाता गांव में राखी का त्योहार मनाया गया लेकिन यहां के रक्षाबंधन पर मनाया गया पर्व देश की हर बहन गर्व महसूस कर रही है. रक्षाबंधन के मौके पर 1996 में जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सुखराम बिश्नोई की प्रतिमा को रक्षा बंधन पर्व पर उनकी बहनों ने राखी बांधी तो भावुक हो गई. माथे पर जब बहन ने तिलक लगाया तो आंखों के सामने शहीद सुखराम बिश्नोई का चेहरा नजर आ रहा था, जब वे कभी बहनों के सिर पर हाथ रख रक्षा का वचन दिया था.
शहीद सुखराम बिश्नोई की प्रतिमा को राखी बांधी
रक्षाबंधन पर शहर के दाता गांव में 1996 में जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सुखराम बिश्नोई की प्रतिमा को राखी उनकी बहनों ने बांधकर राखी का त्योहार मनाया. बहनों ने अपने भाई की शहादत पर गर्व करते हुए कहा कि ऐसे भाई तो सभी को मिले, जिन्होंने देश की रक्षा में अपने आपको न्यौछावर कर दिया. शहीद की बहनों ने कहा कि जब रक्षाबंधन का त्योहार आता है, तो भाई की याद जरूर आती है. इस दिन भाई की प्रतिमा को ही राखी बांधकर भाई के पास होने का एहसास करती है. रक्षा सूत्र बांधकर भाई और बहन के अटूट प्रेम के बंधन को लगातार निभा रही है. इस दौरान परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे. बहन की आंखों से आंसू बहते देख गांव के लोगों की भी आंखें नम हो गयी.
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30 मई 1996 में हुए थे शहीद
30 मई 1996 में हुए थे शहीद दाता निवासी सुखराम विश्नोई 19 वर्ष की उम्र में बीएसएफ में भर्ती हो गए थे. जिसके बाद 1996 के लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में ड्यूटी लग गई थी. उसके बाद से ही बहन का भाई इस दुनिया में तो नहीं था लेकिन वह कभी भी अपने भाई को अपने से अलग नहीं मानते हुए उसने शहीद होने के बाद से ही लगातार रक्षाबंधन के पर्व पर शहीद सुखराम बिश्नोई स्मारक स्थल पर पहुंचकर राखी बांधी.
बता दें कि धोलिया निवासी सुखराम विश्नोई भारतीय थल सेना की 269 रेजीमेंट में गनर के पद पर कार्यरत थे तथा 31 अक्टूबर 2003 को जम्मू कश्मीर के बारामूला क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे.