झालरापाटन में आवारा मवेशियों से कस्बे में थी परेशानी, तो समाजसेवियों ने खुद के खर्च से बना डाली गोशाला
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झालरापाटन में आवारा मवेशियों से कस्बे में थी परेशानी, तो समाजसेवियों ने खुद के खर्च से बना डाली गोशाला

झालावाड़ जिले के झालरापाटन ने सरकार पर निर्भर न रहकर बल्कि खुद अपनी समस्या का समाधान निकाला है. डॉ. हरीश स्वामी का कहना है कि आगामी 1 महीने में गोशाला बनकर पूरी तरह से तैयार हो जाएगी.

 

झालरापाटन में समाजसेवियों ने खुद के खर्च से बना डाली गोशाला.

झालरापाटनः झालावाड़ जिले के पिड़ावा कस्बा निवासी पांच समाजसेवी लोगों ने शहर के नागरिकों को एक ऐसी परेशानी से निजात दिलाने का प्रयास किया कि आने वाले दिनों में कस्बे में भटक रहे आवारा मवेशियों से आमजन को परेशानी नहीं होगी. इन समाजसेवी द्वारा अपने निजी खर्चे से एक गोशाला का निर्माण करवाया जा रहा, जो प्राथमिक स्तर पर लगभग बनकर तैयार हो चुकी है. आने वाले दिनों में पिड़ाव कस्बे में भटक रहे आवारा मवेशियों को गोवंश को इस गोशाला में आश्रय दिया जाएगा.

जिससे दर-दर भटक रहे गोवंश को समय पर भूसा, चारा तो उपलब्ध होगा ही साथ ही आवारा मवेशियों के कारण शहर के नागरिकों महिलाओं और बच्चों को हो रही परेशानियों से भी उन्हें निजात मिल जाएगी.

 झालावाड़ जिले के पिड़ावा कस्बे में लंबे समय से आवारा मवेशियों का आतंक है, सड़कों पर दर-दर भटकते आवारा मवेशी और गोवंश कई बार झगड़ते हुए वाहनों को तक तोड़ चुके हैं. तो कई बच्चों और महिलाओं सहित बुजुर्गों को भी घायल कर चुके हैं. हर चौराहों पर आवारा मवेशियों का जमघट आसानी से देखा जा सकता है. परेशान पीड़ा नगर वासियों ने कई मर्तबा नगर पालिका प्रशासन को इन परेशानियों से अवगत कराया. लेकिन नगर पालिका के नुमाइंदों की कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.

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परेशानियां जस की तस रही. यहां तक की नगर पालिका द्वारा गोशाला के लिए  भूमि तक उपलब्ध नहीं करवाई जा सकी. ऐसे में शहर के नागरिकों की परेशानियों को देखते हुए पिड़ावा निवासी आयुर्वेदिक चिकित्सक हरिश्चंद्र स्वामी, शिक्षक पुरुषोत्तम मोदी, पंकज शर्मा, बबलू पूरी व दुर्गेश सेन ने कुछ करने की ठानी. 

 गोशाला के लिए भूमि ढूंढना शुरू किया. जल्द ही इन जुनूनी युवाओं को मेला मैदान के पास श्मशान घाट परिसर में करीब 5 बीघा जमीन ऐसी नजर आई, जो बेतरतीब पड़ी थी. ऐसे में करीब 4 माह पूर्व इन पांचों ने श्मशान घाट से सटे इस 5 बीघा भूमि में गोशाला स्थापित करने के लिए निजी खर्च से निर्माण कार्य शुरू किया. जैसे-जैसे काम आगे बढ़ता गया तो इन्हें स्थानीय नागरिकों का जन सहयोग भी मिलने लगा. 

अन्य लोगों के जन सहयोग से इन्होंने अभी तक गोशाला में करीब 160 फीट लंबाई में टिनशेड लगवा दिया है. जिसमें कस्बे में भटक रहे बेसहारा गोवंश को आश्रय मिलेगा. वहीं, इन्होंने लगभग 500 गायों की जरूरत के मुताबिक करीब 2 वर्ष तक का भूसा संग्रहण भी किया. भूसा यार्ड बनाकर उसमें रख दिया है. समाजसेवियों ने कुछ समय पहले गोशाला परिसर में पानी के लिए ट्यूबवेल भी लगवा दी है. इसके अतिरिक्त भूसे को भरने के लिए करीब 65 हजार रुपये कीमत की एक मशीन भी ला कर रख दी है.

डॉ. हरीश स्वामी का कहना है कि आगामी 1 महीने में गोशाला बनकर पूरी तरह से तैयार हो जाएगी. जिसमें पिड़ावा शहर में घूमने वाली बेसहारा गोवंश को तो आश्रय मिलेगा ही, साथ ही कस्बे में आवारा मवेशियों से हो रही परेशानियों से भी निजात मिल जाएगी. ये गो प्रेमी अभी तक गोशाला निर्माण कार्य में लगभग 9 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. जैसे-जैसे गोशाला का कार्य आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इन्हें लोगों का जन सहयोग भी मिलता जा रहा है. फिलहाल इनके द्वारा एक अस्थाई गोशाला को तैयार किया जा रहा है, लेकिन आने वाले सालों में एक सर्वसुविधायुक्त गोशाला का स्वरूप देने की योजना है. जिस कार्य को नगर पालिका प्रशासन को पूरा करना था, वह कार्य समाजसेवियों द्वारा किया जा रहा है. ऐसे में शहर के नागरिकों द्वारा भी समाजसेवी युवाओं की जमकर तारीफ की जा रही है.

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Reporter- Mahesh Parihar

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