संजीवनी घोटाले मामले में सरकार की अर्जी को कोर्ट ने किया स्वीकार, केंद्रीय जल शक्ति मंन्त्री के गिरफ्तारी पर रोक रहेगी जारी
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संजीवनी घोटाले मामले में सरकार की अर्जी को कोर्ट ने किया स्वीकार, केंद्रीय जल शक्ति मंन्त्री के गिरफ्तारी पर रोक रहेगी जारी

संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोयायटी मामले में घिरे केंद्रीय जल शक्ति मंन्त्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट में दायर याचिका में पूर्व आदेश संसोधन को. लेकर दायर सरकार की अर्जी को हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए निस्तारित कर दी.

संजीवनी घोटाले मामले में सरकार की अर्जी को कोर्ट ने किया स्वीकार, केंद्रीय जल शक्ति मंन्त्री के गिरफ्तारी पर रोक रहेगी जारी

Jodhpur News : संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोयायटी मामले में घिरे केंद्रीय जल शक्ति मंन्त्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट में दायर याचिका में पूर्व आदेश संसोधन को. लेकर दायर सरकार की अर्जी को हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए निस्तारित कर दी. साथ ही केंद्रीय मंत्री को राहत जारी रखते हुए उनके गिरफ्तारी पर रोक को जारी रखा.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर व मीडिया साक्षात्कार के दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार पर कई बार निशाना साधते हुए, शेखावत व उनके परिवार को इस मामले में आरोपी बताया, लेकिन संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव गबन को लेकर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत की ओर से पेश की गई विविध अपराधिक याचिका 482 पर गत 13 अप्रेल को हुई.

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया था कि फिलहाल शेखावत एसओजी की किसी भी एफआईआर या जांच में आरोपी नही है. ऐसे में उनके द्वारा पेश याचिका का कोई महत्व नही है. इस पर कोर्ट ने शेखावत की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक का आदेश जारी करते हुए मामले में तीन सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए रखा था.  

सरकार की ओर से पैरवी पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से कोर्ट के समक्ष एक अर्जी पेश कर बताया कि चुकी उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सरकार का पक्ष रखा था और इस दौरान कोर्ट में मौजूद जांच अधिकारी से समन्वय की कमी के चलते उन्होंने कोर्ट के समक्ष गलती से यह बात रख दी थी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जैसे ही उन्हें इस बात की सही जानकारी कि शेखावत इस मामले में आरोपी पाए गए है,  तो राजकीय अधिवक्ता इस भूल के सुधार के लिए कोर्ट में तुरन्त उपस्थित हुए, लेकिन तब तक कोर्ट का समय समाप्त हो चुका था.

इसको लेकर अर्जी के माध्यम से राज्य सरकार की ओर से कोर्ट से यह गुहार की गई कि उनके द्वारा कोर्ट को दी गई भूलवश गलत जानकारी के लिए उनके पक्ष पर प्रतिकूल प्रभाव नही पड़े. हाईकोर्ट जस्टिस कुलदीप माथुर की कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश  अर्जी को स्वीकार करते हुए. इस अर्जी का निस्तारण किया. अब प्रतिवादी  राज्य सरकार के अधिवक्ता के पूर्व कथन का प्रतिवादी के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ेंगा. कोर्ट ने अपने आदेश में शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक के आदेश को आगामी आदेश तक जारी रखा है.

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