किसान ने इस तकनीक से तीन हेक्टेयर में उगाए सिंदूरी अनार, जल्द होगा 6 लाख का मुनाफा
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किसान ने इस तकनीक से तीन हेक्टेयर में उगाए सिंदूरी अनार, जल्द होगा 6 लाख का मुनाफा

व्यापक प्रचार प्रसार का फायदा बागवानी में अनार, नीबूं, बेर, आंवला और नवाचार में खजूर की खेतीं क्षेत्र के किसान को जानकारी साझा करने का लाभ होगा.

किसान बागवानी खेती से दोहरी कमाई कर रहे हैं.

Jodhpur: मारवाड़ मे गिरते सिचांई भूजल से अब किसान पारम्परिक खेतीं के साथ -साथ मशाला, बागवानी खेती से दोहरी कमाई कर रहे है. पश्चिम राजस्थान (Rajasthan News) की अनार अब पसंदीदा होता जा रहा है. सिंदूरी किस्म के अनार के फलों में सुगंध युक्त मिठास होती है और क्षेत्र में अनार की खेती बेखूबी से हो रही है. 
 
जोधपुर (Jodhpur News) जिले के भोपालगढ़ विधानसभा इलाके में किसान कृषि क्षेत्र में बागवानी खेतीं को प्राथमिकता देने लगे हैं. भोपालगढ़ के मंगेरिया के प्रगतिशील किसान पाबूसिंह राठौड़ ने  खरीफ और रबी फसलों की बुवाई पारम्परिक खेती के साथ-साथ सोचा कि सिचांई जल कमी हो रही है. यदि खेतीं मे नवाचार अपनाया जाए तो सिचांई कम जल में अधिक पैदावार मिले. एक दिन कृषि एवं उद्यान विभाग (Agriculture and Horticulture Department) के कृषि पर्यवेक्षक रफीक अहमद कुरैशी से सरकारी योजनाओं पर विस्तृत जानकारी ली. 

कृषि पर्यवेक्षक ने बागवानी खेती की पद्धति और लाभ के बारे में सलाह दी. इस सलाह पर सरकारी योजनाओं का लाभ भी बताया. इसके बाद किसान ने भी कुछ नया करने का संकल्प लेकर नई राह को चुना और आगे बढ़ने का मन बनाया. इसके लिए खेत की मिट्टी और सिचांई जल की जाचं करवाई, जब अनुकूल रिपोर्ट आई तो अनुदान पर बूंद-बूंद सिचांई पद्धति को अपनाते हुए सफल बागवानी खेतीं शुरू की गई. 

चार साल पहले लगे बगीचे में आज पौधे पर फल लगने शुरू हो गए. चार वर्ष पूर्व दो हजार तीन सौ सिंदूरी अनार के पौधे उद्यानिकी विभाग की सलाह अनुसार स्थापित किए. कुल तीन हेक्टर में अनार का बगीचा वर्तमान स्थापित है, जो सफलतम पनपा है. अनार के पौधों को कंवर किया ताकी उपज की गुणवत्ता बनी रहे. औंस, सर्दी, पक्षियों के नुकसान से बचाव हो. इस बगीचे में ज्यादा जैविक पद्धति के अवयवों का उपयोग किया गया. अनार खेती में उद्यानिकी की सभी उन्नत तकनीकी को अपनाया. उद्यानिकी विभाग से उन्नत तकनीकी ज्ञान का लाभ मिला. योजना में पौधों और ड्रिप सिचांई पर अनुदान भी मिला. पौधे पनपने तक पौधे के बीच रिक्त स्थानों मे अन्तराशस्य के रूप में खरीफ और रबी की फसलों का उत्पादन निरतंर मिलता रहा. 

बूंद-बूंद सिंचाई अपनाने से कम सिंचाई जल में बागवानी खेतीं पनप गई. सिचांई बचत जल से सिचिंत खेतीं का अतिरिक्त लाभ हुआ. आज एक पौधे पर 50 से 70 फल है अनुमानित 6-7 किलोग्राम फल प्रति पौधे से इस माह और जनवरी मे मिलेगा. प्रति पौधा से ढ़ाई सौ से तीन सौ रुपये आय देगा तो कुल अनार के पौधौं से 6 लाख की आय दिसंबर -जनवरी महीनें में होगी. उद्यान विभाग की सलाह किसान के लिए उपयोगी साबित हुईं. उद्यान विभाग के अधिकारियों में कृषि पर्यवेक्षक रफीक अहमद कुरैशी ने भी अनार बगीचे का समय- समय पर निरीक्षण कर बागवानी की उपयोगी उन्नत तकनीकी जानकारी से लाभान्वित किया. यह बागवानी खेती जीवन का आय का सर्वोत्तम स्त्रोत है. 

भूमिगत जल की कमी के बाद ज्यादा पैदावार भूमिगत सिचांई जल नलकूपों में काफी गहराई में जाना और सिचांई जल की कमी को देखते हुए ऐसी बागवानी खेतीं की जाए तो निश्चित रूप से भविष्य में खेतीं आय का लाभ होगा. व्यापक प्रचार प्रसार का फायदा बागवानी में अनार, नीबूं, बेर, आंवला और नवाचार में खजूर की खेतीं क्षेत्र के किसान को जानकारी साझा करने का लाभ होगा. सरकार के  और कृषि विभाग के अधिकारी के प्रयास से अब इलाके में बागवानी खेती को बढ़ावा मिल रहा हैं.   

Reporter- Bhawani bhati

 

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