Hanuman Beniwal Comment on Divya Maderna : जोधपुर के ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में लगातार जुड़ी रही. उनकी फोटो को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई. हनुमान बेनीवाल ने भी इस पर बयान दिए. लेकिन वो यात्रा से जुड़ी रही.
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Rajasthan news : हनुमान बेनीवाल और दिव्या मदेरणा के बीच सियासी बयानबाजी लगातार जारी है. दिव्या मदेरणा भारत जोड़ो यात्रा के साथ आखिर पड़ाव तक जुड़ी रही. मध्यप्रदेश हो या कर्नाटक. राजस्थान हो या हरियाणा और दिल्ली से लेकर कश्मीर तक वो भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ी रही. राहुल गांधी से उनकी नजदीकी पर कई नेताओं ने प्रतिक्रियाएं दी. सोशल मीडिया पर उससे जुड़े भद्दे कमेंट भी किए गए. लेकिन इन पर मदेरणा ने न तो प्रतिक्रिया दी. और न ही भारत जोड़ो यात्रा से खुद को अलग किया.
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ दिव्या मदेरणा के बॉन्ड से सियासी गलियारों में एक संदेश साफ गया है कि दिव्या गांधी परिवार के करीब है. जोधपुर के ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा परिवार की विरासत को आगे ले जा रही है. वो 2018 में पहली बार विधायक बनी. राजस्थान कांग्रेस की राजनीति जब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच स्पष्ट रुप से बंटी हुई है. उस समय में भी दिव्या उन नेताओं में शामिल थी जो किसी गुट में नहीं थे. सीधे तौर पर आलाकमान में आस्था जता रहे थे.
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीम हनुमान बेनीवाल की ओसियां सीट पर नजर है. 2023 के चुनाव से पहले वो यहां पर अपनी जमीन मजबूत करना चाहते है. इसके लिए उनके निशाने पर सबसे ज्यादा दिव्या मदेरणा ही है. क्योंकि उनको कमजोर किए बिना ओसियां फतह करना मुश्किल होगा.
परसराम मदेरणा की पौती है दिव्या मदेरणा. मारवाड़ की राजनीति में परसराम मदेरणा का नाम आज भी किसान कौम की बीच सम्मान से लिया जाता है. साल 1998 में परसराम मदेरणा मुख्यमंत्री के दावेदार माने जाते थे. लेकिन आलाकमान के फैसले के बाद वो संगठन के साथ ही बने रहे.
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पिता महिपाल मदेरणा के निधन के बाद विरासत का जिम्मा पूरी तरह से दिव्या मदेरणा के कंधों पर आ गया है. जोधपुर जिला परिषद चुनाव में भी दिव्या ने कमान संभाली और मां लीला मदेरणा को जिला प्रमुख बनवाने में कामयाबी हासिल की.
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जोधपुर की राजनीति अगले एक साल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. हनुमान बेनीवाल को भी यहीं संभावना नजर आती है. तो मदेरणा परिवार की सियासत का भविष्य भी अगले एक साल में ही तय होगा. उधर अगला एक साल वैभव गहलोत के लिए भी काफी अहम है जो लोकसभा चुनाव से पहले इलाके में फिर से जमीन तैयार करेंगे. तो गहलोत के गढ़ में गजेंद्र सिंह शेखावत के लिए भी महत्वपूर्ण रहने वाला है.