राजस्थान हाई कोर्ट मुख्य पीठ जोधपुर में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता डॉ सुरेंद्र सिंह चौधरी को पिछले चार साल से सेवानिवृति परिलाभ नहीं दिए जाने पर उनकी ओर से पेश अवमानना याचिका में शपथ-पत्र पेश करने वाले निदेशक (जन स्वास्थ्य) चिकित्सा विभाग जयपुर डॉ के के शर्मा को अगली सुनवाई पर न्यायालय में व्यक्तिगत उपस्थित होने के आदेश दिए.
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Jodhpur: राजस्थान हाई कोर्ट मुख्य पीठ जोधपुर में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. पिछले चार साल से सेवानिवृत्त परिलाभ नहीं देने को लेकर डॉ सुरेंद्र सिंह चौधरी की ओर से पेश अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अमले में झूठा शपथ पत्र पेश करने को गंभीरता से लेते हुए निदेशक जन स्वास्थय चिकित्सा विभाग जयपुर को तलब किया.
याचिकाकर्ता डॉ सुरेंद्र सिंह चौधरी को पिछले चार साल से सेवानिवृति परिलाभ नहीं दिए जाने पर उनकी ओर से पेश अवमानना याचिका में शपथ-पत्र पेश करने वाले निदेशक (जन स्वास्थ्य) चिकित्सा विभाग जयपुर डॉ के के शर्मा को अगली सुनवाई पर न्यायालय में व्यक्तिगत उपस्थित होने के आदेश दिए. अब याचिका की अगली सुनवाई 04 अगस्त को पेश रहने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पक्ष रखते हुए बताया कि पाल रोड, धन्वन्तरि अस्पताल, जोधपुर निवासी याची डॉ सुरेंद्र सिंह चौधरी की ओर से अवमानना याचिका पेश कर बताया कि याचिकाकर्ता 31 दिसम्बर 2018 को उप सीएमएचओ जोधपुर के पद से सेवानिवृत्त हुए.
चिकित्सा विभाग ने विभागीय जांच लंबित होने या प्रस्तावित नहीं होने का प्रमाण पत्र जारी भी कर दिया, लेकिन सेवानिवृत्ति और बक़ाया सेवा परिलाभ नहीं दिए जाने पर रिट याचिका पेश की. जहां 04 अक्टूम्बर 2019 को हाई कोर्ट द्वारा स्वीकार कर 30 दिन में सभी परिलाभ दिए जाने के आदेश दिए, लेकिन पालना नहीं होने पर अवमानना याचिका पेश की.
याचिकाकर्ता की और से अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि याची का 36 साल तक बेदाग सेवा रिकॉर्ड रहा हैं और पिछले 04 साल से कोई विभागीय जांच का कोई नोटिस या चार्जशीट आज दिन तक तामील नहीं हुई है, लेकिन विभाग की ओर से बताया गया कि उसके खिलाफ विभागीय जांच विचाराधीन होने के कारण पेंशन इत्यादि जारी नहीं हुई है. जिसका याची की और से भारी विरोध करते हुए बताया गया कि विभागीय जांच तत्कालीन सीएमएचओ जोधपुर के विरुद्ध विचाराधीन थी, लेकिन उनका देहांत हो जाने पर जांच समाप्त कर दी गई और याची को उक्त जांच में अभियोजन साक्षी बनाया गया था.
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याची के विरुद्ध कोई जांच विचाराधीन नहीं है और याची को बेवजह सेवानिवृत्ति परिलाभों से वंचित कर रखा है. विलंब से सेवानिवृत्ति परिलाभों जारी करने पर 9% ब्याज़ का भी नियमानुसार प्रावधान है. उक्त रिट याचिका की सुनवाई के दौरान विभागीय अधिवक्ता ने बताया कि याची के विरुद्ध कोई विभागीय जांच विचाराधीन नहीं है. हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विजय बिश्नोई ने चिकित्सा विभाग की ओर से जवाब और शपथ-पत्र पेश करने वाले निदेशक (जन स्वास्थ्य) चिकित्सा विभाग जयपुर डॉ के के शर्मा को अगली सुनवाई पर न्यायालय में व्यक्तिगत उपस्थित होने के आदेश दिए. मामले की अगली सुनवाई 04 अगस्त को होगी.
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Reporter- Bhawani bhati