जालौर (Jalore News) उपखंड समेत आसपास के गांवों में मंडराता हेलीकॉप्टर दिनभर जिज्ञासा का विषय बना रहता है.
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Jalore: राजस्थान के जालौर (Jalore News) उपखंड समेत आसपास के गांवों में मंडराता हेलीकॉप्टर दिनभर जिज्ञासा का विषय बना रहता है. इसमें नीचे गोल घेरे में लटके खास तरह के कैमरे हैं, जो भू-गर्भ में पानी की गुणवत्ता, उपलब्धता सहित अन्य व्यापक जानकारी जुटा रहे हैं.
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प्रदेश के 8 जिलों में हो रहा सर्वे
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से हेली बोर्न सर्वे (Heli-Borne Survey) शुरू करवाया गया है. इनमें राजस्थान के 8 जिलों में सर्वे हो रहा है. इन जिलों में हेलीकॉप्टर से जमीन में 500 मीटर की गहराई तक जल का पता लगाया जाएगा. राजस्थान के बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, जालौर, पाली, जैसलमेर, जोधपुर और सीकर जिले के 65,500 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में भू-जल की स्थिति का पता लगाया जाएगा.
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हेली-बोर्न सर्वेक्षण
भू-गर्भ के सर्वे में शामिल हेलीकॉप्टर के नीचे कैमरे लगे हैं और यह हेलीकॉप्टर जब एक बार उड़ान भरेगा तो 10 से 15 किमी तक और 500 मीटर नीचे तक भू-गर्भ में क्या स्थिति है, उसका सर्वे एक बार में कर लेगा. भूजल प्रबंधक के लिए हेली सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी शुरू की गई थी. पहले चरण में राजस्थान, पंजाब, गुजरात और हरियाणा राज्यों का हेली-बोर्न सर्वेक्षण किया जा रहा है. जोधपुर से 5 अक्टूबर को सर्वे शुरू किया था और यह तकनीक सीएसआईआर- एनजीआरआई हैदराबाद द्वारा विकसित की गई है.
शुष्क क्षेत्रों में भू-जल स्रोतों का मानचित्रण करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक हेली सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा. सर्वेक्षण से भू-जल को पीने के लिए उपयोग करने में मदद मिलेगी. हेली-बोर्न भू-भौतिकीय मानचित्रण तकनीकी उप-सतह के लिए जमीनी स्तर से 500 मीटर नीचे की गहराई तक हाई-रिजॉल्यूशन 3डी छवि प्रदान करेगी.