जिंदगी से खिलवाड़: झोलाछाप मेडिकल संचालक ने बुझाया घर का चिराग, ऐसे हुई मासूम की मौत
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जिंदगी से खिलवाड़: झोलाछाप मेडिकल संचालक ने बुझाया घर का चिराग, ऐसे हुई मासूम की मौत

सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी के कारण ग्रामीण परिवेश में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है

झोलाछाप मेडिकल संचालक ने बुझाया घर का चिराग

Shergarh: सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी के कारण ग्रामीण परिवेश में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है, जिनके पास न तो किसी प्रकार की डिग्री है और ना ही कोई वैधअनुज्ञा पत्र, यह लोग सरेआम मेडिकल की आड़ में क्लीनिक लगाकर गरीब ग्रामीणों की जान से खेल रहे हैं.

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जोधपुर जिले के शेरगढ़ से करीब 10 किलोमीटर दूरी मेगा हाईवे पर स्थित सोइंतरा गांव में एक मेडिकल संचालक जोकि मेडिकल की आड़ में क्लीनिक भी संचालित कर रहा है तथा गरीब ग्रामीण मरीजों का बिना किसी डिग्री और अनुभव के इलाज करता है, जिस के इलाज से एक घर का चिराग हमेशा के लिए बुझ गया. सोइंतरा के गरीब देवासी परिवार के मेहरा राम का 12 वर्षीय पुत्र गोवर्धन राम को 2 दिन पूर्व हल्का सा बुखार आया था. घरवाले उसे चेकअप करवाने के लिए सोइंतरा सरकारी अस्पताल लेकर गए मगर अस्पताल में कोई चिकित्सक न होने के कारण कस्बे में स्थित आशापूर्णा मेडिकल स्टोर कर गए, जहां पर बिना किसी अनुभव के तथा बिना अनुज्ञा के मेडिकल संचालित करने वाला भंवर सिंह ने बच्चे को इंजेक्शन दिया, जिससे बच्चा ज्यादा सीरियस हो गया. 

दूसरे दिन परिवार वाले उसी मेडिकल पर वापस गए तो उसने जोधपुर ले जाने का कहकर पल्ला झाड़ दिया, जब बच्चे को जोधपुर में स्थित निजी अस्पताल लेकर गए वहां डॉक्टरों ने गलत इंजेक्शन देने की वजह से स्थिति बाहर बताई, कुछ ही पल में बच्चे ने अपनी जान दे दी, जिससे परिवार वाले सकते में आ गए. मृतक गोवर्धन का शव लेकर परिजन आशापूर्णा मेडिकल पहुंचे तथा शव को मेडिकल के आगे रखकर मुआवजे की मांग की. 

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ग्रामीणों ने भी उचित मुआवजे की मांग की परिवार जनों ने 2000000 रुपए की मांग कर रहे हैं. हालांकि मेडिकल संचालक मात्र 700000 पर अटका हुआ है. गर्मा-गर्मी का माहौल चल रहा है. अभी आला अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे हैं. सोइंतरा का पूरा मार्केट बंद रखा गया है. गौरतलब है कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी के चलते कस्बे सहित हर दूरदराज के गांव में और ढाणियों में झोलाछाप अपना जाल बिछा रखा है. कोई मेडिकल की आड़ में इलाज कर रहा है तो कोई घर-घर जाकर दवाइयां देने का काम कर रहे हैं, जिससे कई बड़े हादसे हो गए हैं मगर प्रशासन और चिकित्सा विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. इसी का नतीजा आज एक घर का चिराग बुझ गया है.

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