Jalore में मौसमी बीमारियों का प्रकोप, सरकारी-निजी अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की भीड़
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Jalore में मौसमी बीमारियों का प्रकोप, सरकारी-निजी अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की भीड़

चिकित्सा विभाग ने डेंगू से बचाव के लिए लोगों से कूलर, गमलों और परिण्डों में जमा पानी को खाली करने की जानकारी दे रहे हैं. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jalore: कोरोना संक्रमण (Corona infection) अभी पूरी तरह काबू हुआ ही था कि इधर मौसमी बीमारियों (Seasonal Diseases) का प्रकोप अधिक बढ़ गया है. जालोर में मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. 

वर्तमान में हर घर में एक से दो सदस्य डेंगू, वायरल बुखार और अन्य मौसमी बीमारियों की चपेट में है. वायरल बुखार में भी प्लेट्लेटस गिर रही है. मौसमी बीमारियों की चपेट में आने से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. लंबी कतारें होने से मरीजों को खड़े होकर इंतजार करना पड़ रहा है.

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मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन के कारण मौसमी बीमारियों ने घर कर लिया है. मौसम में हो रहे बदलाव के चलते गले में संक्रमण, खांसी, जुकाम, बुखार और बदन दर्द के मरीज बढ़ गए हैं. ओपीडी में काफी सेवा में डाक्टर को दिखाने के लिए मरीज सुबह से ही रजिस्ट्रेशन काउंटर पर कतारबद्ध होने लगते हैं.

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वहीं, बात करे जिले के अस्पतालों की तो 1 सितम्बर से अब तक जालोर में 21368, भीनमाल में 18561, रानीवाड़ा में 21319 ओर सांचोर में 14442 तक ओपीडी का आंकड़ा पहुच गया है. अस्पतालों के इन दिनों ज्यादा सर्दी, खांसी और जुकाम के मरीज बढ़े हैं. इनके साथ ही छोटे बच्चे भी मौसमी बीमारी की चपेट में है. इसके अलावा हर रोज 2-3 डेंगू के मरीज भी सामने आ रहे हैं. वहीं, चिकित्सालय में इन दिनों ब्लड जांच के लिए मरीजों की संख्या भी बढक़र दुगुनी हो गई है. 

चिकित्सालय में एक माह पूर्व रोजाना 50-60 मरीजों की ब्लड की जांच होती थी, लेकिन अब 100 से अधिक लोगों के ब्लड की जांच हो रही है. ब्लड जांच के लिए भी मरीजों की लंबी कतार लग रही है.

ग्रामीण क्षेत्रों में भी खराब हैं हालात
बात करें ग्रामीण क्षेत्रों की तो यहां भी हालात खराब हैं. आस-पास गांवों से ग्रामीण लोग इलाज के लिए सरकारी और निजी चिकित्सालयों में आकर जांच और इलाज करा रहे हैं लेकिन ऐसे मरीज काफी तादात में हैं, जो अपने स्तर पर मेडिकल स्टोर से दवा लेकर काम चला रहे हैं. आमजन को अपने स्वास्थ्य के प्रति पहले से ज्यादा सचेत होना पड़ेगा. मौसमी बीमारी ने जकड़ा है या नही, दुविधा में पड़ने की बजाय डॉक्टर से चेकअप करवाएं.

कोरोना नहीं, ये मौसम की मार है
डॉक्टर्स की मानें तो कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार अब थम चुकी है. ऐसे में जो भी पेशेंट आ रहे हैं, उनमें मौसमी बीमारी का असर दिख रहा है इसमें भी ज्यादातर लोग सर्दी, जुकाम और बदन दर्द से पीड़ित होकर जांच के लिए आ रहे हैं. हॉस्पिटल में बच्चों से लेकर बड़े तक मौसमी बीमारियों की चपेट में तेजी से आ रहे हैं. ऐसे मरीजों को यही सलाह दी जा रही है कि वे ठंडे गर्म के फर्क को समझकर खुद का बचाव करें. तेज धूप में न निकलें. ओर बहुत ज्यादा ठंडा पानी पीने से बचें. 

मच्छरों से करें बचाव
चिकित्सा विभाग ने डेंगू से बचाव के लिए लोगों से कूलर, गमलों और परिण्डों में जमा पानी को खाली करने की जानकारी दे रहे हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि मच्छर साफ पानी में पनपते है. ऐेसे में कूलर, फ्रीज की ट्रे, नारीयल का खोल, टायर, गमलों और परिण्डों में जमा पानी को खाली कर दें. इन में हर सात दिन में पानी को खाली कर दूसरा पानी जमा करे, जिससे पानी में लार्वा नहीं बने. 

तापमान कम होने पर एसी और कूलर में सोने से बचें, बाजार का खाना न खिलाएं, बासी भोजन से भी बचें, गुनगुना पानी पिलाएं, काडा भी पी सकते हैं, हाथों को साफ करने के बाद ही बच्चों को भोजन करने दें, ठंडा पानी न पिलाएं, फ्रिज में रखी सामग्री न खिलाए, अपने घरों के आसपास साफ-सफाई रखने, कूड़ा खुले स्थानों की बजाय कूड़ेदान में ही कूड़ा डालने और एक जगह पानी एकत्र नहीं होने दे. 

Reporter- Bablu Meena

 

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