Baba Ramdev : पश्चिमी राजस्थान (Rajasthan)में लोक देवता बाबा रामदेव का जन्म महाभारत के महान योद्धा अर्जुन के वंश की 72वीं पीढ़ी में हुआ. हांलिक उनकी जम्म तिथि को लेकर थोड़े मतभेद हैं. डॉक्टर सोनाराम विश्नोई की किताब बाबा रामदेव की प्रामाणिक जीवनी' में जन्म को विक्रम संवत 1409 यानी साल 1352 में बताया गया है. बाबा रामदेव के पिता का नाम अजमाल और मां का नाम मैणादे था उनके बड़े भाई का नाम बिरमदेव था.
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Baba Ramdev : पश्चिमी राजस्थान (Rajasthan)में लोक देवता बाबा रामदेव का जन्म महाभारत के महान योद्धा अर्जुन के वंश की 72वीं पीढ़ी में हुआ. हांलिक उनकी जम्म तिथि को लेकर थोड़े मतभेद हैं. डॉक्टर सोनाराम विश्नोई की किताब बाबा रामदेव की प्रामाणिक जीवनी' में जन्म को विक्रम संवत 1409 यानी साल 1352 में बताया गया है. बाबा रामदेव के पिता का नाम अजमाल और मां का नाम मैणादे था उनके बड़े भाई का नाम बिरमदेव था.
पौराणिक कहानी-1
मैणादे ने अपने बच्चे बिरमदेव को पालने में लिटाकर घर का काम करना शुरू किया था कि तभी बिरमदेव की चचेरी बहन सुगना आई और देखा की पालने में दो बच्चे थे. मैणादे भी पालने का पास आई और फिर अपने पति अजमाल को बुलाया. जब अजमाल ने दूसरे बच्चे की तरफ देखा तो उन्हें द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण से मिला वरदान याद आ गया. जिसमें उन्होंने अजमाल के घर फिर से अवतार लेने की बात कही थी.
पौराणिक कहानी-2
एक दिन बालक रामदेव खेलते-खेलते जंगल में ऋषि बालीनाथ के आश्रम आ गये. जहां भैरव नाम का राक्षस आकर सबको परेशान करता था. जब राक्षस भैरव ने बालक रामदेव का वध करना चाहा, तो बालक रामदेव ने अपनी शक्तियों से भैरव राक्षस को मार गिराया. आपको बता दें कि बाबा रामदेव के 13 मुख्य चमत्कार जागरण में भजन के तौर आज तक आए जाते हैं. मारवाड़ी बोली में इन चमत्कारों को पर्चा कहा जाता है और जागरण को जम्मा कहते हैं.
पौराणिक कहानी-3
बालक रामदेव ने घोड़े पर बैठकर घूमने की ज़िद करने लगे तो मां मैणादे ने दर्जी को बुलाया और कपड़े का घोड़ा बनावा दिया. लेकिन जब रामदेव उस घोड़े पर बैठकर उड़ने लगे तो मां को लगा कि दर्जी ने ही जरूर कोई जादू किया . अब उस दर्जी को कैद कर दिया गया. दर्जी ने मन ही मन रामदेव को याद किया और तो रामदेव कपड़े के घोड़े को लेकर वापस आ गये. वो कपड़ा घोड़ा असली घोड़ा हो गया था और आंगन में दाना खा रहा था. जब दर्जी बालक रामदेव के पास पहुंचा तो तुतलाते हुए बालक रामदेव ने कहां कि घोड़ा बनाने के लिए नया कपड़ा दिया गया था लेकिन तुमने छलकर पुराने कपड़ें का घोड़ा बना दिया था इसलिए तुम्हे दंड दिया गया.
पौराणिक कहानी-3
बचपन में जब एक बार बाबा के दोस्त सारथीया की मृत्यु हो गयी तो बाबा रामदेव उसे खोजते हुए इसके पास पहुंचे. जैसे ही बाबा ने सारथीया का हाथ पकड़ा उसके प्राण लौट आए. बाबा रामसापीर का अमरकोट के राजा की बेटी नेतलदे से विवाह तय हो गया था. लेकिन लकवे ने नेतलदे के दोनों पैर ख़राब कर दिये थे. शादी की रस्में शुरू होते ही नेतलदे के दोनों पैर खुद ही ठीक हो गए और उन्होने चल कर फेरे लिये.
पौराणिक कहानी-4
बाबा रामदेव की ख्याति जब मक्का तक पहुंची तो मौलवियों ने 5 पीरों को बाबा रामदेव के पास भेजा. इन पांचों पीरों ने देखा की बाबा तो घोड़े चरा रहे हैं. बाबा ने सभी पीरों के छाया में बैठाया और खुद धूप में खड़े रहे. इन 5 पीरों ने अपने अपने दांतून निकाले और जमीन में गाड़ दिये जो कुछ ही देर में पीपल का पेड़ बन गए. ऐसा करके पीर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे. बाबा रामदेव ने पांचों पीरों को भोजन करने का आग्रह किया, तो पीरों ने कहा कि वो खास बर्तन शीपियां में ही भोजन करते हैं जो कि मक्का में है. तभी अपनी शक्ति से बाबा ने मक्का से पांचों पीरों की शीपियां पीरों के सामने ला कर रख दी.
(डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नही करता है.)