सरकार ने ली हरिश्चंद्र सागर सिंचाई परियोजना की सुध, 26 करोड़ रुपये करेगी खर्च
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सरकार ने ली हरिश्चंद्र सागर सिंचाई परियोजना की सुध, 26 करोड़ रुपये करेगी खर्च

क्षेत्र के किसानों के लिए महत्वपूर्ण हरिश्चन्द्र सागर सिंचाई परियोजना के जल्दी ही अच्छे दिन आएंगे. परियोजना की मुख्य नहर और वितरिकाओं की मरम्मत के लिए सरकार 26 करोड़ रुपये खर्च करेगी. 

हरिश्चंद्र सागर सिंचाई परियोजना

Sangod: क्षेत्र के किसानों के लिए महत्वपूर्ण हरिश्चन्द्र सागर सिंचाई परियोजना के जल्दी ही अच्छे दिन आएंगे. परियोजना की मुख्य नहर और वितरिकाओं की मरम्मत के लिए सरकार 26 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसके लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति भी जारी कर दी है. यह पहला मौका है जब परियोजना के अस्तित्व में आने के बाद सरकार ने नहरों और वितरिकाओं की स्थिति सुधारने के लिए एक साथ इतनी बड़ी राशि स्वीकृत की है. 

उल्लेखनीय है कि खानपुर तहसील के हीचर गांव में कालीसिंध नदी से निकल रही हरिश्चन्द्र सागर सिंचाई परियोजना की मुख्य नहर और वितरिकाओं से सांगोद और खानपुर क्षेत्र के 180 से अधिक गांवों की भूमि सिंचित होती है लेकिन बरसों से परियोजना की मरम्मत के लिए बजट नहीं मिलने से मुख्य नहर और वितरिकाएं जीर्ण-शीर्ण हो रही है. मुख्य नहर की दीवारें जगह-जगह से टूटी हुई है और वितरिकाओं की हालत भी खस्ता है. 

मुख्य नहर में मलबा भरा हुआ है और पूरी नहर वनस्पति से अटी हुई है. ऐसे में नहर में जलप्रवाह के बाद भी सांगोद क्षेत्र में टेल क्षेत्र तक पानी नहीं पहुंचता. हालांकि हर साल विभाग महात्मा गांधी नरेगा योजना में इसकी साफ-सफाई करवाता है लेकिन मरम्मत के लिए बजट नहीं मिलने से इसकी दशा नहीं सुधरी. अब राज्य सरकार की ओर से बजट जारी करने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही किसानों को इसके ठीक होने की उम्मीद जगी है.

मंत्री ने किया था दौरा
गत दिनों कोटा दौरे पर आए सिंचाई मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय ने झालावाड़ जाते समय विधायक भरत सिंह के आग्रह पर परियोजना की मुख्य नहर का दौरा किया और कांग्रेस नेताओं और परियोजना क्षेत्र से जुड़े किसानों से भी चर्चा की, जिसके बाद से ही किसानों को उम्मीद थी कि परियोजना के पुनरुद्धार के लिए घोषणा होगी. मंत्री के दौरे के बाद परियोजना को कोटा खंड के अधीन किया गया. पूर्व में यह झालावाड़ खंड के अधीन होने से इसका सारा नियंत्रण झालावाड़ जिले से था.

बिना बांध की परियोजना
कालीसिंध नदी से निकल रही परियोजना में फिलहाल कोई बांध नहीं है. वर्ष 1956 में बांध का निर्माण हुआ लेकिन वह पहली बारिश में ही बह गया. उसके बाद नहर को गहरी करके नदी में मिलाया गया. कालीसिंध नदी का जलस्तर बढ़ते ही नहर और वितरिकाओं में पानी आता है. जब भी चुनाव आते है परियोजना की हालत राजनीतिक मुद्दा बनती है और इसके जीर्णोद्धार की बातें भी होती है लेकिन यह पहला मौका है जब परियोजना की मरम्मत के लिए सरकार ने सुध ली है.

हरिश्चन्द्र सागर सिंचाई परियोजना के लिए 26 करोड़ रुपये की प्रशासनिक और वित्तिय स्वीकृति जारी हो चुकी है. इससे परियोजना की स्थिति में सुधार होगा. जैसे ही बजट मिलता है आगे की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी.

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