गाड़िया लुहारों को मशीनी युग के चलते दो वक्त की रोटी के लाले पड़ रहे है. परिवारों का लालन पालन करना भी भारी साबित पड़ रहा है.
Trending Photos
Baran: राजस्थान के बारां जिले के अन्ता में आजादी के 74 साल बाद भी महाराणा प्रताप के वंशज कहलाने वाले गाड़िया लुहारों को मशीनी युग के चलते दो वक्त की रोटी के लाले पड़ रहे है. ऐसे में अपने बच्चों की ढंग से परवरिश करना तो दूर रहा लालन पालन करना भी भारी साबित पड़ रहा है.
यह भी पढ़ें:- Baran Crime News: बहला फुसला कर नाबालिग को भगाने वाला, आरोपी हुआ गिरफ्तार
गत 40 वर्षों से अंता में रोड के किनारे डेरा जमाए बैठे गाड़िया लुहारों की सिर्फ चुनाव के दौरान ही पूछ होती है. बाद में इन गरीबो की कोई खेर खबर नही ली जाती. ऐसे में ये गाड़िया लुहार अपने भाग्य को कोसते हुए नजर आते है. लगभग 35 से 40 परिवारों के बीच कोटा बारां रोड और सीसवाली रोड पर बसे गाड़िया लुहारों का अपना परम्परागत धंधा मशीनरी युग के चलते पूर्ण रूप से चौपट हो चुका है.
यह भी पढ़ें:- Baran: खुले में अंतिम संस्कार, गांव में नहीं है श्मशान घाट
ऐसे में अब इन परिवारों के सामने खाने के भी लाले पड़े हुए है. सिर्फ सरकार द्वारा अनाज उपलब्ध कराने के कारण इनके चूल्हे जल पाते है. इन गाड़िया लुहारों के भी अरमान होते है कि उनके बच्चे भी अच्छे स्कूलों में पड़े लेकिन यह सब इनके लिये कोसो दूर की बात है. दूसरी ओर रोड के किनारे गाड़िया लुहार बसे रहने के कारण हर पल दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है. तिरपाल के सहारे अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे इन गाड़िया लुहारों को चाहे कड़ाके की सर्दी हो या गर्मी या बरसात हो इस तम्बू में ही गुजर बसर करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
गाड़िया लुहारों का कहना है कि चुनाव के दौरान उन्हें मकान बनाकर देने का वादा किया जाता है लेकिन बाद में सब भुला दिया जाता है. जब कि अंता के अलावा अन्य जगहों पर गाड़िया लुहारों को मकान बनवाकर दिए जा चुके है सिर्फ हमारे साथ ही शोतेला व्यवहार किया जा रहा है. लेकिन इस बार वह चुनाव का बहिष्कार करेंगे. किसी भी पार्टी को वोट नही देंगे.
Reporter: Ram Mehta