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रामगंजमंडी/कोटा: जिले के औधोगिक क्षेत्र कुदायला में दो मुंशियों की हादसे में मौत के मामले में मुंशियों की दूसरे दिन भी हड़ताल जारी रही. कोटा स्टोन इंडस्ट्रीज मुंशी यूनियन के आवाह्न पर मुंशियों ने कुदायला से उपखंड कार्यालय तक वाहन रैली निकाल कर आक्रोश व्यक्त किया. जिसमे मुंशियो ने दोनो मुंशियो के परिजनों को एएसआई कम्पनी और अजमेरा स्टोन मालिक से मुआवजे की मांग की. और उपखंड कार्यालय के सामने कंपनी और पिक होल्डर के खिलाफ नारेबाजी कर उपखंड अधिकारी कनिष्क कटारिया को ज्ञापन सौपा.
खदान के ट्रक ने मुंशियों को कुचला
मुंशी यूनियन का कहना है की 6 जनवरी को लक्ष्मीपुरा एएसआई कम्पनी की खदान नंबर 2 में अजमेर स्टोन के मुंशी कन्हैयालाल और बहादुर सिंह को ट्रक से कुचल दिया. जिससे दोनो की मौत हो गई. हादसा हुए 4 दिन हो गए,लेकिन एएसआई कम्पनी ने खदानों में सुरक्षा उपकरण और मृतक के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया. यहा तक की खदान पीट होल्डर और अजमेर स्टोन जहा दोनो मुंशी काम करते थे. स्टोन मालिक यतीश अग्रवाल ने भी अभी तक मृत मुंशीयो के परिजनों की पूछ परख नही की है.
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मुंशियों को 15-15 लाख मुआवजा देने की मांग
दोनो मुंशियों को 15 - 15 लाख रुपए का मुआवजा की मांग को लेकर कुदायला इंडस्ट्रीज एरिए से वाहन रैली की शुरुवात हुई. जिसमे सुकेत रोड़ होते हुए करीब 15 मोटरसाइकिल के साथ मुंशी शहर में पहुंचे. जहा अजमेर स्टोन मालिक और एएसआई कम्पनी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए,शहर के थाने चौराहा,माल गोदाम चौराहा,स्टेशन चौराहा,पंचमुखी रोड़ से उपखंड कार्यालय पहुंचे. जहा पर आक्रोश प्रदर्शन के बाद एसडीएम को ज्ञापन सौप कर मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलवाने की मांग की गई.
खदान मालिक पर मुआवजा नहीं देने का आरोप लगाकर विरोध प्रदर्शन
यूनियन उपाध्यक्ष पवन शर्मा ने बताया की मृतक मुंशी बहादुर सिंह और कन्हैया लाल अजमेर स्टोन पर पिछले 30 साल से कार्यरत थे. हादसे के दिन भी अपनी ड्यूटी निभाने के लिए खदान नंबर 2 में फैक्ट्री के लिए माल देखने गए थे. ऐसे में जब अजमेर स्टोन मालिक जो कोटा स्टोन एसोसिएशन संरक्षक यतीश अग्रवाल से मृतकों के परिजनों को मुआवजे की मांग की तो मालिक अग्रवाल ने मुआवजा देने से मना कर दिया. और कहा की दोनो मुंशी हादसे के दिन छुट्टी पर थे. यतीश अग्रवाल को यह कहते कोई संकोच नहीं हुआ की जब मुंशी छुट्टी पर होंगे तो वो अपने घर की बजाय खदान में माल देखने क्यों जायेंगे. सालो से दोनो मुंशियो ने वफादारी से काम किया. और मालिक ने मुआवजे के लिए मना कर दिया. ऐसे में जब तक मुआवजा नहीं मिलता हड़ताल जारी रहेंगी.