लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के दौरे राजस्थान में लगातार हो रहे हैं. बात करें नागौर सीट की तो इस सीट पर बीजेपी ने ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस इस सीट पर आरएलपी यानी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है. यहां से वर्तमान सांसद हनुमान बेनीवाल हैं.
नागौर सीट की बात करें तो इस बार बीजेपी को नागौर सीट पर कड़ी चुनौती मिल सकती है. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार बीजेपी ने गठबंधन का निर्णय नहीं लेते हुए ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस ने नागौर सीट पर उम्मीदवार को नहीं उतारा ऐसे में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग असमंजस में हैं. नागौर सीट पर सबसे ज्यादा जाट तो उसके बाद मुस्लिम मतदाता आते हैं. बेनीवाल और मिर्धा दोनों ही जाट वोटर्स को साधने में लगे हैं लेकिन इस सीट पर उनको अल्पसंख्यकों का समर्थन मिलना भी जरूरी है. चूंकि कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशी इस सीट पर घोषित ना करके गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला किया है इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि मुस्लिम वोट हनुमान बेनीवाल के खाते में जा सकते हैं.
हालांकि ये भी सच है कि बीजेपी ने 2019 में आरएलपी (Rashtriya Loktantrik Party ) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और हनुमान बेनीवाल प्रत्याशी थे, उस समय मुस्लिम वोटर्स ने भी हनुमान बेनीवाल के पक्ष में ही वोट डाला था. ऐसे में चर्चा है कि इस बार भी मुस्लिम वोर्टस उन्हीं के पक्ष में वोट डाल सकते हैं.
नागौर जाट बहुल सीट है. यहां से आरएलपी (Rashtriya Loktantrik Party )के मौजूदा सांसद हनुमान बेनीवाल सबसे बड़े नेता हैं. ऐसे में बीजेपी को इस सीट पर जीतने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है.
यूं तो नागौर में जाट समुदाय की बड़ी आबादी है, लेकिन आजादी के बाद से ही नागौर सीट पर मिर्धा परिवार की पकड़ रही है. जाट समुदाय के वोटर्स में मिर्धा परिवार का बहुत सम्मान है, माना जा रहा है कि ज्योति मिर्धा को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने कांग्रेस और रालोपा पार्टी के जाट वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई है.ज्योति मिर्धा मारवाड़ के ताकतवर सियासी परिवार से संबंध रखती है. वह कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे स्व नाथूराम मिर्धा की पोती है. किसी समय नाथूराम मिर्धा प्रदेश के जाट समाज व किसानों के बड़े नेता थे, उनकी जाट वोटर्स और किसान वोटर्स में मजबूत पकड़ रही.
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