Maru Pradesh in Rajasthan: राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही वक्त बचा है. ऐसे में सियासी चर्चाओं के बीच एक बार फिर मरूप्रदेश की मांग ने रफ्तार पकड़ ली है. बता दें कि इसी साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 19 जिलों का गठन किया है. वहीं संसद के विशेष सत्र के आगाज के साथ ही देश में तीन नए राज्यों के गठन को लेकर अंदरखान फुसफुसाहट शुरू हो गई है.
दरअसल राजस्थान में नए जिलों के गठन के साथ ही एक बार फिर नए राज्य की आस भी जग गई है. पश्चिमी राजस्थान के बेहतर विकास को लेकर इसकी लंबे समय से मांग है. इसी विशेष सत्र के आगाज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि यह सत्र ऐतिहासिक रहने वाला है, लिहाजा ऐसे में दावे किए जा रहे हैं कि इस संसद सत्र के दौरान अयोध्या, मुंबई और मरूप्रदेश को नए प्रदेश के रूप में गठन को लेकर सरकार बिल ला सकती है. हालांकि इस मसले पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है.
अगर राजस्थान से अलग होकर मरूप्रदेश अस्तित्व में आता है तो इसमें तकरीबन 20 जिले शामिल होंगे. श्री गंगानगर, अनूपगढ़, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, डीडवाना कुचामन, नीम का थाना, नागौर, फलोदी, जैसलमेर, जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, बालोतरा, जालौर, सांचौर और सिरोही को सम्मिलित करने की मांग है.
वहीं अगर यह प्रदेश अस्तित्व में आता है तो यह दुनिया का 9वां गम भूभाग होगा. साथ ही आपको बता दें कि देश का 14.65% खनिज उत्पादन इसी क्षेत्र से होता है. वहीं देश की 27 प्रतिशत तेल और गैस की आपूर्ति भी इसी क्षेत्र से की जाती है. जनसंख्या की बात की जाए तो इस क्षेत्र में 2 करोड़ 85 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जबकि क्षेत्र की साक्षरता दर 63 फ़ीसदी से ज्यादा है. 18 सितंबर को सोशल मीडिया पर हमारी मंगरु प्रदेश भी ट्रेड करता रहा.
मरूप्रदेश की मांग राजस्थान के अस्तित्व में आने के साथ से ही रही है. कहा जाता है कि जब राजस्थान का गठन किया जा रहा था, तब जोधपुर और बीकानेर स्टेट ने अलग से मरूप्रदेश बनाने की मांग रखी थी. जिसका समर्थन उसे वक्त के तत्कालीन जोधपुर महाराज हनुंमत सिंह ने भी की थी. हालांकि अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की सुरक्षा का हवाला देते हुए इस मांग को उसे वक्त खारिज कर दिया गया था. हालांकि साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार के दौरान जब देश में तीन नए राज्य अस्तित्व में आए तो उसे वक्त के तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरव सिंह शेखावत ने भी पत्र लिखकर मरूप्रदेश की मांग उठाई थी. हालांकि इस मांग पर कभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया गया.