Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले बहुजन समाज पार्टी ने राजस्थान में अपनी जमीन तलाशना शुरू कर दिया है. मायावती ने अपने भेतीजे आकाश आनंद को राजस्थान की जिम्मेदारी दी है.
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Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर से सक्रिय हो गई है. इसके लिए पार्टी सुप्रीम मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने खुद कमान संभाल ली है. पिछले चुनाव में 6 सीटें जीतने वाली BSP इस बार कुछ खास प्रभाव छोड़ने के लिए चुनावों से 6 महीने पहले ही राज्य में सक्रिय हो गई है.
पूर्वी राजस्थान में भरतपुर धौलपुर से लेकर अलवर समेत शेखावाटी और दौसा तक बहुजन समाज पार्टी चुनावी समय में अच्छा खासा असर छोड़ती है. अशोक गहलोत की पिछली दोनों सरकारें बसपा के टिकट से जीते विधायकों के सहारे ही बहुमत का आंकड़ा छू पाई है. साल 2008 में भी बसपा के 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे. 2018 में जीते विधायक भी चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
राजस्थान में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कई दूसरे प्लेयर भी मैदान में है. सचिन पायलट की अलग दिशा हो सकती है. हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी अपनी संभावनाएं देख रही है. ऐसे में बिखरे वोटबैंक को देखते हुए हर बार करीब आधा दर्जन सीटें जीतने वाली बसपा इस बार भी खास प्लान बनाकर 6 महीने पहले ही तैयारी में लग गई है.
बसपा हर बार राजस्थान में ठीक ठाक प्रदर्शन करती है. लेकिन चुनाव जीतने के बाद विधायक पाला बदल देते है. ऐसे में पार्टी इस बार जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवारों पर पहले से नजरें गाड़े हुए है. पार्टी की कोशिश है कि चुनाव के बाद भी विधायक संगठन के साथ जुड़े रहें.
आकाश आनंक मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे है. आनंद कुमार की इस समय पार्टी में नंबर दो की पॉजिशन है. आकाश ने दिल्ली में अपनी स्कूली पढ़ाई की और लंदन में एमबीए की डिग्री की. उसके बाद वो साल 2017 में वापिस भारत लौटे. इसी समय उन्होनें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का दौरा अपनी बुआ मायावती के साथ किया था. इस समय सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों में संघर्ष हुआ था.
राजस्थान में BSP की वर्तमान स्थिति
राजस्थान विधानसभा चुनाव परिणाम 2018 में बहुजन समाज पार्टी ने 6 सीटें जीती थी. इसमें से 2 सीटें भरतपुर से, 2 सीटें अलवर से जीती थी. इसके अलावा 1-1 सीट झुंझुनूं और करौली जिलों से जीती थी. चुनाव परिणाम के बाद सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए और अशोक गहलोत का समर्थन दिया था.
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