बीजेपी (Rajasthan BJP) के पोस्टरों पर वसुंधरा (Vasundhara Raje)की तस्वीर का कायम रहना भी ये बताता है कि शीर्ष नेतृत्व वसुंधरा को कुछ खास जिम्मेदारी देने के मूड में है. इस बीच वसुंधरा और पीएम मोदी (Narendra Modi) का यूं एक साथ दिखना खास है. समर्थकों की नजर चुनाव संचालन समिति पर भी टिकी है, क्योंकि अगर वो वसुंधरा के हाथ दी जाती है तो तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी.
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Vasundhara Raje News : राजस्थान में विधानसभा चुनाव पास हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर राजस्थान के 5 जिलों के दौरे पर रहें. 10 मई को हुए इस दौरे के बाद से राजस्थान की राजनीति में उबाल है. पीएम मोदी पर सीएम अशोक गहलोत की टिप्पणी के अलावा, आबूरोड की सभा के दौरान वसुंधरा राजे और पीएम मोदी की नजदीकियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
आबूरोड की इस सभा में वसुंधरा राजे की पीएम मोदी से नजदीकियों की चर्चा राजनीतिक हलकों में हो रही है. मोदी के बगल में दांई ओर की कुर्सी पर वसुंधरा राजे बैठी दिखी. लंबे समय बाद पीएम मोदी के ठीक पास वाली कुर्सी वसुंधरा राजे को मिलना. कई सवाल खड़े कर रहा है. जैसे कि क्या वसुंधरा राजे राजस्थान में पीएम मोदी का दांया हाथ बन चुकी है.
जहां पहले दूसरे या चौथे नंबर की कुर्सी पर वसुंधरा राजे बैठी दिखती थी. वहीं आबूरोड सभा के दौरान आया ये बदलाव खास है. सभा में पीएम नरेंद्र मोदी के एक तरफ प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और दूसरी तरफ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे थीं.
सभा के मंच पर बैठने की ये व्यवस्था बीजेपी कार्यकर्ताओं में भी चर्चा का विषय है. मंच पर राजे के दांई ओर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को जगह मिली थी.
इस वक्त प्रदेश बीजेपी के भीतर और बाहर दोनों ही जगह सबसे बड़ा सवाल यही है कि बीजेपी किस चहरे पर चुनाव लड़ेगी ? और इसी सवाल का जवाब टटोलती बीजेपी कार्यकर्ताओं की नजरें जब मंच पर पड़ी तो ऐसा लगा कि उनको आधा जवाब मिला हो.
दसअसल ऐसे कई सिलसिलेवार कारण है जो वसुंधरा और बीजेपी की टॉप लीडरशिप के बीच खास अंडर्स्टेन्डिग की तस्वीर बयां करते हैं. पहले सालासर में वसुंधरा के व्यक्तिगत कार्यक्रम में प्रभारियों की मौजूदगी. फिर वसुंधरा के घोर विरोधी सतीष पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाना और अब वसुंधरा को पीएम मोदी के कार्यक्रमों में मिल रही तरजीह.
इस बीच प्रदेश बीजेपी के पोस्टरों पर वसुन्धरा की तस्वीर का कायम रहना भी ये बताता है कि शीर्ष नेतृत्व वसुंधरा को कुछ खास जिम्मेदारी देने के मूड में है. इस बीच वसुंधरा समर्थकों की नजर चुनाव संचालन समिति पर टिकी है और अगर वह वसुंधरा के हाथ दी जाती है तो तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी.