बारिश की मौसम की शुरुआत होने के साथ ही वन विभाग पौधारोपण के कार्य में जुड़ जाता है और विभाग की ओर से कई जगहों पर प्लांटेशन किया जाता है.
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Pratapgarh: बारिश की मौसम की शुरुआत होने के साथ ही वन विभाग पौधारोपण के कार्य में जुड़ जाता है. विभाग की ओर से कई जगहों पर प्लांटेशन किया जाता है, लेकिन इस प्लांटेशन की नीलगाय सबसे बड़ी दुश्मन बन कर सामने आती है.
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नील गायों की समस्या को देखते हुए प्रतापगढ़ जिले के वन विभाग ने एक अनूठे जुगाड़ का निर्माण किया है. नाम मात्र की कीमत पर तैयार किए गए इस जुगाड़ से जहां नीलगाय प्लांटेशन क्षेत्र से दूर रहेंगी. वहीं पर्यावरण को भी इससे कोई नुकसान नहीं होगा.
प्रतापगढ़ जिले में वन विभाग की ओर से जिले की पांच रेंज में प्लांटेशन का कार्य किया जा रहा है. प्लांटेशन क्षेत्र में नील गायों द्वारा किए जाने वाले नुकसान को देखते हुए डीएफओ सुनील कुमार के निर्देशन में वन कर्मियों ने एक जुगाड़ू गन तैयार की है. पीवीसी पाइप और गैस लाइटर से तैयार होने वाली इस गन का खर्च मात्र 400 से 500 रुपए आता है.
गन से पर्यावरण को भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है. साथ में इस गन से निकलने वाले तेज धमाके से नील गायों को प्लांटेशन क्षेत्र से दूर रखा जा सकता है. वन विभाग की ओर से अभी इस प्रकार की 50 गन तैयार कर सभी रेंज में वितरित की गई है.
डीएफओ सुनील कुमार ने बताया कि जिले के देवगढ़ रेंज के रेंजर और फॉरेस्टर के द्वारा इस गम को तैयार किया गया. इसका प्रारंभिक परीक्षण भी देवगढ़ रेंज के प्लांटेशन क्षेत्र में किया गया जहां इसके अच्छे परिणाम मिलने पर इसे बड़ी संख्या में बनवा कर जिले की सभी रेंज में दिया गया है.
प्रतापगढ़ जिला कृषि बाहुल्य क्षेत्र है और यहां पर वन क्षेत्र भी अधिक होने से किसानों के सामने भी नील गायों की समस्या लगातार बनी रहती है. कई बार नीलगाय किसानों की पूरी फसलें बर्बाद कर देती हैं. किसान मिल गया था अपनी फसलों को बचाने के लिए कई तरह के जतन भी करते हैं, ऐसे में यह गन किसानों के लिए भी काफी कारगर साबित हो सकती है.
Reporter: Vivek Upadhyay