प्रतापगढ़ का ये मंदिर है खास, 11 रुपये में पापों से मुक्ति और स्नान करने से होती है संतान की प्राप्ति
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प्रतापगढ़ का ये मंदिर है खास, 11 रुपये में पापों से मुक्ति और स्नान करने से होती है संतान की प्राप्ति

प्रतापगढ़ जिले के गोतमेश्वर महादेव का मंदिर जो अपनी तीन ख़ास मान्यताओं के चलते विश्वभर में अपनी अलग मान्यता रखता है. विश्वभर में अपनी पहचान रखने वाले आदिवासियों के हरिद्वार में खंडित होने के बाद भी शिवलिंग वंदित है. 

प्रतापगढ़ का ये मंदिर है खास

Pratapgarh: प्रतापगढ़ जिले के गोतमेश्वर महादेव का मंदिर जो अपनी तीन ख़ास मान्यताओं के चलते विश्वभर में अपनी अलग मान्यता रखता है. विश्वभर में अपनी पहचान रखने वाले आदिवासियों के हरिद्वार में खंडित होने के बाद भी शिवलिंग वंदित है. यह वह स्थान है जहां गौतमऋषि को अपने गो हत्या के पापों से मुक्ति मिली थी. और आज भी यहां सदियों से स्थित मंदाकनी कुंड में डुबकी लगाने के बाद मिल जाती है. 

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अपने किए पापों से मुक्ति और मंदिर के पुजारी द्वारा दिया जाता है पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट और आखरी और ख़ास मान्यता इस मंदाकनी कुंड में यदि कोई निशांतन दम्पति स्नान करता है तो सालों से पुत्र प्राप्ति नहीं होने वाले व्यक्ति को भी हो जाती है संतान की प्राप्ति.

गौतमेश्वर महावेद मंदिर विश्वभर में इसलिए भी प्रसिद्ध है. क्योंकि यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है. इसके साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपने किए हुए पापों से मुक्ति के लिए भी प्रमाण पत्र भी दिया जाता है. हिन्दू धर्म शास्त्रों में खंडित देव प्रतिमाओं, खंडित शिवलिंगों और तस्वीरों के पूजन को शुभ नहीं माना जाता. लेकिन जिले का गौतमेश्वर ऐसा शिवालय है. जहां गौतमेश्वर महादेव दो भागों में विभाजित हैं. पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होने के बाद भी यहां की शिवलिंग पूजनीय है. 

यहां स्थित मोक्षदायिनी कुंड में स्नान करने के बाद उस व्यक्ति को मंदिर का पुजारी पाप मुक्ति का प्रमाण पत्र देता है. कहा जाता है कि सप्तऋषियों में से एक गौतम ऋषि पर लगा गौहत्या का कलंक भी यहीं स्नान करने के बाद मिटा था. कहा जाता है कि मोहम्मद गजनवी जब मंदिरों पर आक्रमण करते हुए यहां पहुंचा तो उसने गौतमेश्वर महादेव शिवलिंग को भी खंडित करने का प्रयास किया. शिवलिंग पर प्रहार करने पर पहले तो शिवलिंग से दूध की धार निकली. दूसरे प्रहार पर उसमें से दही की धारा निकली.

जब गजनवी ने तीसरा प्रहार किया तो शिवलिंग से आंधी की तरह मधुमक्खियों का झुंड निकला, जिसने गजनवी सहित उसकी सेना पर हमला बोल दिया. गजनवी ने शिवलिंग को शीश नवाया मंदिर का पुन: निर्माण करवाया और एक शिलालेख भी लगाया. आज भी शिलालेख मंदिर में लगा हुआ है.

आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से जाने जाने वाले प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल गौतमेश्वर महादेव मंदिर में राजस्थान सहित मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर की एक और मान्यता इसे और भी ख़ास बना देती है. संतान प्राप्ति के लिए कुछ लोग डॉक्टरों से इलाज करवाते हैं. कुछ टेस्ट ट्युब बेबी का सहारा लेते है तो कुछ ऐसे भी है जो ईश्वर की शरण लेते है. लेकिन प्रतापगढ़ जिले के आदिवासियों के हरिद्वार कहे जाने वाले गोतमेश्वर में एक ऐसा कुंड है जहां पर डुबकी लगाने से ही संतान प्राप्ति का सुख मिलता है. 

यह दावा किया है प्रतापगढ़ जिले के मंदाकिनी कुंड में स्नान करने वाले श्रद्धालु ने, जहां आज भी आदिवासी परंपरा के अनुसार कुंड में डुबकी लगाकर ही संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लिया जा रहा है. आदिवासी अंचल में लंबे समय से यह परंपरा चलती आ रही है कि जिस भी दंपत्ति के घर संतान नहीं होती वे इस कुंड में डुबकी लगाकर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लेते है. यह मान्यता लंबे समय से इस कुंड को एक बड़े धार्मिक स्थल के रूप में बदल चुकी है. 

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यहां मान्यता है कि अगर कोई निसंतान अपनी पत्नी के साथ एक ही वस्त्र धारण कर मंदाकिनी कुंड में डुबकी लगाता है तो उसके घर में किलकारी अवश्य गूंजती है. और इसी के चलते सालों से निराश आदिवासी और अन्य लोग यहां डुबकी लगाने आते है. कुंड प्रशासन द्वारा लिखित में इस तरह का दावा भी किया गया है. यहां के पुजारी कुंड में नहाने से संतान प्राप्ति की गारंटी देते है. तो वहीं कई लोग इसे महज एक इत्तेफाक भी करार देते हैं.
Report- Vivek Upadhyay

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